इमरोज़ खान युवा पत्रकार हैं. जनता की आवाज़ नामक ऑनलाइन पोर्टल चलाते हैं. उन्होंने फेसबुक पर अपने पोर्टल की एक स्टोरी शेयर करते हुए मुलायम की फोटो के साथ लिख दिया कि ”बुड्ढे का पागलपन बढ़ता हुआ”. बस, इसी पर उनके खिलाफ कानपुर में एफआईआर दर्ज हो चुकी है. इस बारे में इमरोज ने भड़ास को एक मेल भेजकर पूरे मामले की जानकारी दी है, जिसे नीचे प्रकाशित किया जा रहा है.
ये यूपी है, यहां बुड्ढा कहने पर हो जाती है एफआईआर
सपा सरकार द्वारा जिस तरह मेरे ऊपर कार्यवाही की गयी है, ये बताता है कि यू.पी. में कानून का नहीं, जंगलराज है. 17 सितम्बर को मैंने अपने पोर्टल “जनता की आवाज़ jantakiawaz.in की एक खबर को फेसबुक पे बुड्ढा का पागलपन बताते हुए कमेंट के साथ क्या शेयर किया कि सपा कार्यकर्ताओं ने इनबॉक्स से लेकर फ़ोन तक पर धमकाना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, फेसबुक पर सपा कार्यकर्ताओं ने स्टेटस अपडेट करके खुलेआम धमकियां दी. साथ में तरह तरह के आरोप भी लगाये गये. प्रतिक्रिया स्वरुप मैंने भी सपा के कार्यकर्त्ता राव विकास यादव को ज़वाब देते हुए उनके कारनामो का पर्दाफाश किया.
२१ सितम्बर को सपा के कुछ मित्रों के कमेंट डीलिट करने के निवेदन को स्वीकार करते हुए “बुड्ढे का पागलपन बड़ता हुआ” कमेंट भी डिलीट कर दिया. मगर जब मैं ईद की तैयारी कर रहा था तो उसके एक दिन पहले यानि २४ सितम्बर को मेरी उसी पोस्ट को, जो डिलीट हो चुकी थी, को आधार बना के कानपुर के एसएसपी से मिलकर सपा कार्यकर्त्ता राव विकास यादव ने मेरे खिलाफ शिकायत कर दी. कानपुर के एसएसपी ने बिना विलम्ब किये गोविंदनगर थाने के सीओ को जाँच के आदेश दे दिए. हैरानी की बात है कि पुलिस ने अभी तक मुझसे संपर्क नहीं किया है. जो भी जानकारी मिली है वो समाचार पत्रों में प्रसारित खबरों द्वारा मिली है. खबर पढ़कर ही आभास होता है कि खबर छपी नहीं है बल्कि छपवायी जा रही है. प्रदेश की जनता को आगाह किया जा रहा है. संदेश दिया जा रहा है कि अगर हमारे खिलाफ लिखा जायेगा तो मुक़दमा. सरकार का विरोध करने वालों का कोई भी नहीं सुनेगा. भले ही पत्रकार क्यूँ न हो. सरकार ने कथित मुख्यधारा की मीडिया को ऐसा मैनेज कर रखा है कि वो जो चाहेगी, वही लिखा जायेगा.
मैं याद दिला देना चाहता हूं कि ये वही सपा कार्यकर्त्ता हैं जिनकी हर पोस्ट और कमेंट में देश के पीएम और दूसरे नेताओं को गाली दी जाती है मगर इन बहरूपियों का दूसरा चेहरा भी है. ये अपने नेता के लिए संकेतों में लिखे गए किसी कमेंट पर इतना उत्तेजित हो जाते हैं कि मरने और मारने तक पहुंच जाते हैं. वही यू.पी. की पुलिस किसी गंभीर मामले पर कार्यवाही करने में अपने को असमर्थ पाती है लेकिन सत्ताधारी पार्टी के नेता के लिए सांकेतिक शब्दों से लिखे गए किसी कमेंट से झुझला के तुरंत जाँच करने बैठ जाती है.
अखिलेश सरकार ये तुम्हारा कैसा निजाम है.
जितना उत्पीड़न करना है कर लो.
२०१७ में अब ज्यादा समय नहीं है.
इमरोज़ खान
संपादक
जनता की आवाज़
ऑनलाइन पोर्टल
jantakiawaz.in
कानपुर
[email protected]
rajesh kumer verma
September 27, 2015 at 4:43 am
U.P.C.M. सर जी आपके आदेशों के साथ ये कैसा भद्दा मज़ाक है?
समस्या-१, आदेश- ४ बार, निवारण-0 SATTA IKARARNAMA WO MRITAK KAY BAYAN PAI GALAT TARIKAY SY NAMANTARAN KI PRIKRIYA KI GAI HAI. UP C.M KA ADASH 17/06/2014 LAMMIT