‘बुत मरते नहीं’ का विमोचन, सीएम बघेल बोले- ‘छात्र जीवन में मैं टेक्स्ट बुक नहीं, उपन्यास पढ़ा करता था’

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प्रख्यात पत्रकार राहुल देव बोले, मैं इस पर जल्द वेब सिरीज बनते देखूंगा

रायपुर। पत्रकारिता की अपनी विशिष्ट शैली के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार और हरिभूमि के संपादक समन्वयक, ब्रह्मवीर सिंह के उपन्यास ‘बुत मरते नहीं’ का 21 सितंबर को विमोचन हुआ। दिल्ली के प्रभात प्रकाशन ने उपन्यास का प्रकाशन किया है। किताब बिक्री के लिए ऑनलाइन उपलब्ध होने के कुछ देर बाद ही ऑउट ऑफ स्टॉक हो गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राहुल देव ने कहा, यह उपन्यास इतना रोचक और दिलचस्प है कि मुझे लगता है कि मैं जल्द इस पर वेब सिरीज बनते देखूंगा।

विमोचन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय तथा वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार राहुल देव और हरिभूमि के प्रधान संपादक डा. हिमांशु द्विवेदी ने शिरकत की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ब्रह्मवीर सिंह के उपान्यास ‘बुत मरते नहीं’ के विमोचन अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पुस्तकें जो आंदोलित करें, पाठकों को बांधकर रखें, संवेदनाओं से जुड़ी हो और जो हमारी चेतना का विस्तार करे ऐसी पुस्तकों की आज ज्यादा आवश्यकता है। आज हम अपने विचारों में संकुचित होते जा रहे हैं।

ओटीटी स्टाइल का उपन्यास

प्रख्यात पत्रकार और साहित्यकार तथा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राहुल देव ने विस्तार से पुस्तक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पुस्तक पाठक की उत्कंठा को अंत तक बनाए रखती है। पुस्तक गांव और शहरों के अंतरसंबंध, मानवीय संवेदनाओं और संबंधों से गुथी हुई है। पुस्तक में संवेदना, मानवीयता, संबंधों की उष्मा की आंच पाठक को महसूस होती है। कथानक का घटना क्रम हमें परिचित सा महसूस होता है। इसकी नाटकीयता पुस्तक का आकर्षण बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि उपन्यास बिल्कुल ओटीटी के अंदाज में आगे बढ़ता है। मुझे लगता है कि जल्द मैं इस पर वेब सिरीज बनते देखूंगा।

ठहाकों से गूंजता रहा हॉल, राजनीति कटाक्ष भी

छग में कुछ दिनों के अंतराल में विधानसभा चुनाव होने हैं। किताब विमोचन के मंच में भी राजनीतिक नाेंक-झोंक चलती रही। विमोचन के दौरान कई मौके ऐसे भी आए जब हॉल ठहाकों से गूंज उठा। चरणदास महंत ने मजाकिया अंदाज में बार-बार सीएम की कुर्सी मिलते-मिलते रह जाने का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, कबीरदास ने कहा है कि चरणदास (ईश्वर चरणों के दास) को ही सबकुछ मिलता है। लेकिन इस चरणदास को कुछ नहीं मिला। सबकुछ मिलते-मिलते ही रह जाता है। सीएम ने कहा, जब वे छात्र थे तब भी पढ़ाई के दौरान टेक्सट बुक ना पढ़कर उपन्यास ही पढ़ा करते थे। इस पर प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा, टेक्सट बुक पढ़ी होती तो यहां नहीं होते।

आधी रात किताब मांगी, सुबह तक पढ़ डाली

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा, पुस्तक की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवीय संवेदनाओं, मानवता और इनके रोचक पात्रों के चित्रण के जरिए पुस्तक पाठकों को अंत तक बांधे रखती है। इसके माध्यम से गांव की राजनीति, जाति-समाज, क्षेत्र, इंसानियत, धर्म और सिस्टम का अच्छा प्रस्तुतिकरण किया गया है। मुझे कार्यक्रम से पहले आधी रात किताब मिली। उन्होंने कहा कि सुबह तक पढ़ डाली। बेहद रोचक, शानदार और बांधे रखने वाली उपन्यास है। लंबे समय बाद कोई उपन्यास एक बैठक में पढ़ी है। हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने स्वागत भाषण दिया। पुस्तक के लेखक श्री ब्रम्हवीर सिंह ने भी पुस्तक के कथानक पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री रूचिर गर्ग ने किया। कार्यक्रम में पत्रकार, साहित्यकार और प्रबुद्ध नागरिकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

दूसरा भाग शीघ्र

लेखक ब्रह्मवीर सिंह ने विशेष बातचीत में बताया कि किताब आज के युवाओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है। यूथ इससे अपने आप को जोड़ सकेंगे। प्रथम भाग अपने आप में पूर्ण है, लेकिन इसके दूसरे भाग का लेखन भी उन्होंने प्रारंभ कर दिया है। किताबों को विभिन्न अध्यायों में विभाजित किया गया है ताकि सहजता बरकरार रहे और पाठक किस्तों में भी इसका पठन कर सके।

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