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आयोजन

इस बार मीडिया चौपाल आईआईएमसी, दिल्ली में 11-12 अक्टूबर को

: मीडिया चौपाल में भागीदारी के लिए आमंत्रण : प्रिय साथी,   विदित हो स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) संस्था द्वारा विगत तीन वर्षों से “राष्ट्रीय मीडिया चौपाल” का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन 11-12 अक्टूबर, 2014 (शनिवार-रविवार) को भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली में किया जा रहा है. यह आयोजन स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय विज्ञान लेखक संघ (ISWA), विज्ञान भारती, इंडिया वाटर पोर्टल, संस्थान आदि के सहयोग से किया जा रहा है.

<p>: <strong>मीडिया चौपाल में भागीदारी के लिए आमंत्रण</strong> : प्रिय साथी,   विदित हो स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) संस्था द्वारा विगत तीन वर्षों से "राष्ट्रीय मीडिया चौपाल" का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन 11-12 अक्टूबर, 2014 (शनिवार-रविवार) को भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली में किया जा रहा है. यह आयोजन स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय विज्ञान लेखक संघ (ISWA), विज्ञान भारती, इंडिया वाटर पोर्टल, संस्थान आदि के सहयोग से किया जा रहा है.</p>

: मीडिया चौपाल में भागीदारी के लिए आमंत्रण : प्रिय साथी,   विदित हो स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) संस्था द्वारा विगत तीन वर्षों से “राष्ट्रीय मीडिया चौपाल” का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन 11-12 अक्टूबर, 2014 (शनिवार-रविवार) को भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली में किया जा रहा है. यह आयोजन स्पंदन (शोध, जागरूकता और कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय विज्ञान लेखक संघ (ISWA), विज्ञान भारती, इंडिया वाटर पोर्टल, संस्थान आदि के सहयोग से किया जा रहा है.

 

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चौपाल के मुख्य विषय (Theme) नद्द: रक्षति रक्षित: से सम्बंधित विविध पक्षों पर चर्चा कर जन-सामान्य के बीच नदियों के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता के लिए संचार गतिविधियाँ करना ताकि नदियों के संरक्षण-संवर्धन और विकास में मीडिया का योगदान सुनिश्चित हो सके. संचार माध्यम अभिसरण, संचारक नेटवर्किंग और संचार तकनीक का लाभ आमजन को मिल सके. सम्बंधित विभागों, संगठनों और जन-संचारकों के बीच परस्पर समन्वय स्थापित होगा.    मीडिया चौपाल -2014 का विवरण संलग्न है. कृपया इस चौपाल में सहभागी होने का कष्ट करें. कृपया अपनी स्वीकृति शीघ्र दें ताकि हमें अन्य व्यवस्थाओं में सुविधा हो सके.

सादर,

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भवदीय

उमेश चतुर्वेदी
सिराज केसर
अनिल सौमित्र

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0-9899870697
0-9211530510
0-9425008648

संलग्न : मीडिया चौपाल विवरण

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मीडिया चौपाल –  2014
 11 – 12 अक्टूबर, 2014
नई दिल्ली

आयोजक

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(शोध, जागरूकता एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान)
पंजीयन क्रमांक – 7468/99
संपर्क
अनिल सौमित्र
ई- 31, 45 बंगले, भोपाल – 462003, मध्यप्रदेश
0755 – 2765472, 09425008648
ई-मेल : [email protected], [email protected]
वेब   : http://www.spandanfeatures.com/

प्रस्तावना

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वर्तमान में समय सूचना और सूचना-तकनीक का महत्त्व सर्वाधिक है. सूचना और संचार के क्षेत्र में नित्य नई खोजें हो रही हैं. एक प्रकार से वर्त्तमान पीढी संचार-क्रान्ति के दौर में है. सूचना, संचार और इससे जुडी तमाम तकनीक का मनुष्य के जीवन में हस्तक्षेप और प्रभाव दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है. यही कारण है कि संचार माध्यमों के नये-नये रूप सामने आ रहे हैं. इन माध्यमों का लगातार विकास और विस्तार हो रहा है. जनसंचार माध्यमों की पहुँच, उदभासन और प्रभाव में लगातार वृद्धि हो रही है. संचार माध्यम एक तरफ कई समस्याओं के समाधान के माध्यम बन रहे हैं, वहीं इसके कारण कई समस्याएँ पैदा भी हो रही है.

जनसंचार माध्यमों (मीडिया) को तीन वर्गों मने बांटा जा सकता है – 1. परम्परागत मीडिया, आधुनिक मीडिया और अद्यतन मीडिया. परम्परागत माध्यमों में – नुक्कड़ नाटक, भजन मंडली, कथा-सत्संग आदि. इसी प्रकार आधुनिक माध्यम के तौर पर – प्रिंट और इलेक्ट्रानिक माध्यम हैं. इसके अंतर्गत पत्र-पत्रिकाओं से लेकर टीवी, रेडियो आदि. वहीं अद्यतन माध्यम (मीडिया) के रूप में इंटरनेट (वेब) और मोबाइल फोन आधारित संचार है. सामान्य तौर पर संचार माध्यमों का उद्देश्य सूचना, शिक्षा और मनोरंजन रहा है. लेकिन आज विभिन्न पक्ष संचार माध्यमों का उपयोग अपने-अपने हितों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कर रहे हैं. यही कारण है कि समाजवादी, पूंजीवादी और बाजारवादी सामाजिक-आर्थिक विश्व-व्यवस्था में संचार माध्यमों का उपयोग भिन्न-भिन्न प्रकार से होता रहा है. भारत में संचार माध्यमों के उपयोग में लोक-कल्याण की भावना प्रमुख रही है. संचार माध्यमों का विकास, विस्तार और उनका स्वरुप पाठक-श्रोता और दर्शक के साथ ही उसके उपयोगकर्ता के अनुकूल होना चाहिए.

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संचार माध्यमों में संचारकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. संचारक ही संचार माध्यमों को आम जनता के लिए सरल, सहज, अनुकूल और उपयोगी बनाता है. इसीलिये संचार माध्यमों के सशक्तिकरण के साथ-साथ संचारकों का सशक्तिकरण भी आवश्यक है. कहा जा सकता है कि जन-माध्यमों के विकास के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं और संचारकों का माध्यम सशक्तिकरण भी उतना ही जरूरी है. मीडिया चौपाल की अवधारणा संचार माध्यमों के साथ ही उसके उपयोगकर्ताओं और संचारकों के क्षमता संवर्धन से जुडी है. संचार माध्यम (मीडिया) के क्षेत्र में संगठित और असंगठित दोनों स्तरों पर प्रयास हो रहा है. इन प्रयासों को एक मंच प्रदान करना, संचार के विविध माध्यमों (मीडिया) के अभिसरण (कन्वर्जेन्स) के लिए प्रयास करना, संचारकों का नेटवर्किंग करना मीडिया चौपाल का प्रमुख उद्देश्य है. मीडिया चौपाल के माध्यम से यह कोशिश होती है कि जन-कल्याण के मुद्दे, खासकर- विज्ञान, विकास, संस्कृति, समाज भी जन-माध्यमों के एजेंडे का हिस्सा बन सकें.

उपरोक्त सन्दर्भों में गत दो वर्षों से मीडिया चौपाल का आयोजन भोपाल में किया जाता रहा है. अब तक यह आयोजन मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग से किया गया है. 12 अगस्त 2012 को “विकास की बात विज्ञान के साथ – नये मीडिया की भूमिका”  विषय पर एक दिवसीय चौपाल का आयोजन हुआ था, जबकि 14-15, सितम्बर, 2013 को “जन-जन के लिए विज्ञान, जन जन के लिए मीडिया” विषय पर वेब संचालक, ब्लॉगर्स, सोशल मीडिया संचारक और आलेख-फीचर लेखकों का जुटान हुआ था. इस चौपाल में नया मीडिया, नई चुनौतियां (तथ्य, कथ्य और भाषा के विशेष सन्दर्भ में), आमजन में वैज्ञानिक दृष्टि का विकास और जनमाध्यमों की भूमिका, विकास कार्य-क्षेत्र और मीडिया अभिसरण (कन्वर्जेंस) की रूपरेखा, आपदा प्रबंधन और नया मीडिया, नये मीडिया के परिपेक्ष्य में जन-माध्यमों का अंतर्संबंध तथा सुझाव और भावी रूपरेखा आदि विषयों पर चर्चा हुई थी.

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दोनों आयोजनों में 1. श्री प्रेम शुक्ल (संपादक, सामना हिन्दी), 2. श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी (नई दिल्ली), 3. श्री अनिल पाण्डेय (द संडे इंडियन, नई दिल्ली), 4. श्री यशवंत सिंह (भड़ास डाटकॉम, नई दिल्ली), 5. श्री संजीव सिन्हा (प्रवक्ता डाटकॉम, नई दिल्ली), 6. श्री रविशंकर (नई दिल्ली), 7. श्री आर.एल फ्रांसिस, 8. श्री अनुराग अन्वेषी (सहायक संपादक, जनसत्ता, नई दिल्ली) 9. श्री सिद्धार्थ झा, (लोकसभा टीवी, नई दिल्ली), 10. सुश्री स्मिता मिश्रा (स्वतंत्र पत्रकार, नई दिल्ली), 11. श्री भुवन भास्कर (सहारा टीवी, नई दिल्ली), 12. श्री आशीष कुमार अंशू, 13. श्री आवेश तिवारी, 14. सुश्री वर्तिका तोमर (बीबीसी, नई दिल्ली), 15. श्री उमाशंकर मिश्र (अमर उजाला, नई दिल्ली), 16. श्री उमेश चतुर्वेदी (नई दिल्ली), 17. सुश्री शिवानी पाण्डेय, 18. श्री जयप्रकाश मानस, 19. श्री स्वदेश सिंह (नई दिल्ली),  20. श्री पंकज झा (दीपकमल,रायपुर), 21. श्री मुकुल कानिटकर , 22. श्री चंद्रकांत जोशी (हिन्दी इन, मुम्बई), 23. श्री प्रदीप गुप्ता (मुम्बई), 24. श्री संजय बेंगानी (अहमदाबाद), 25. श्री पंकज साव (रांची), 26. श्री शिराज केसर 27. सुश्री मीनाक्षी अरोड़ा (इंडिया वाटर पोर्टल, नई दिल्ली), 28. श्री चंडीदत्त शुक्ल, 29. ऋषभ कृष्ण सक्सेना (बिजनेस स्टैंडर्ड, नई दिल्ली), 30. श्री केशव कुमार, 31. श्री अरुण सिंह (लखनऊ), 32. श्री अभिषेक रंजन, 33. सुश्री अंकिता मिश्रा, 34. श्री राजीव गुप्ता  (नई दिल्ली) 35., . सुश्री संध्या शर्मा (नागपुर), 36. श्री अंकुर विजयवर्गीय (हिन्दुस्तान टाईम्स, नई दिल्ली) 40. जयराम विप्लव (जनोक्ति.कॉम, नई दिल्ली), 41. श्री कुंदन झा (नई दिल्ली), 42. सुश्री सीत मिश्रा (साधना टीवी,नई दिल्ली), 43. वागीश झा (बिजनेस स्टैंडर्ड, नई दिल्ली), 44. सुश्री आशा अर्पित (चंडीगढ), 45. सुश्री संध्या शर्मा (नागपुर), 46. श्री सुरेश चिपलूणकर, 47. श्री अरुण सिंह (लखनऊ), 48. सुश्री अलका सिंह (नई दिल्ली), 49. श्री जयदीप कार्णिक (वेब दुनिया, इंदौर), 50. प्रो. प्रमोद के. वर्मा (महानिदेशक, म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद),51. प्रो. बृज किशोर कुठियाला (कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल), 52. श्री राममाधव जी (अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), 53. श्री रितेश पाठक (संपादक, योजना, नई दिल्ली) 54. श्री विकास दवे ( कार्यकारी संपादक, देवपुत्र, इंदौर), 55. प्रकाश हिन्दुस्तानी (इंदौर), 56. ड़ा. मनोज पटेरिया, 57. ड़ा. सुबोध मोहंती (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली), 58. प्रो. हेमंत जोशी (विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता विभाग, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली), 59. श्री के. जी. सुरेश सहित भोपाल से 1. श्री रमेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार), 2. श्री गिरीश उपाध्याय (वरिष्ठ पत्रकार), 3. श्री दीपक तिवारी (ब्यूरो चीफ, न वीक), 4. सुश्री मुक्ता पाठक (साधना न्यूज), 5. श्री रवि रतलामी (वरिष्ठ ब्लॉगर), 6. श्रीमती जया केतकी (स्वतंत्र लेखिका), 7. श्रीमती स्वाति तिवारी (साहित्यकार), 8. श्री महेश परिमल (स्वतंत्र लेखक), 9. श्री अमरजीत कुमार (स्टेट न्यूज चैनल), 10. श्री रविन्द्र स्वप्निल प्रजापति (पीपुल्स समाचार), 11. श्री राजूकुमार (ब्यूरो चीफ, न संडे इंडियन), 12. श्री शिरीष खरे (ब्यूरोचीफ, तहलका), 13. श्री पंकज चतुर्वेदी (स्तंभ लेखक), 14. श्री संजय द्विवेदी (संचार विशेषज्ञ), 15. श्रीमती शशि तिवारी (सूचना मंत्र डाटकॉम), 16. श्री शशिधर कपूर (संचारक), 17. श्री हरिहर शर्मा, 18. श्री गोपाल कृष्ण छिबबर, 19. श्री विनोद उपाध्याय, 20. श्री विकास बोंदिया, 21. श्री रामभुवन सिंह कुशवाह, 22. श्री हर्ष सुहालका, 23. सुश्री सरिता अरगरे (वरिष्ठ ब्लॉगर), 24.श्री राकेश दूबे (एक्टिविस्ट), 25. श्री दीपक शर्मा (प्रतिवाद डाटकाम), 26. श्री सरमन नगेले (एमपीपोस्ट डाटकाम), 27. श्री पुष्पेन्द्रपाल सिंह (मीडिया विशेषज्ञ), 28. श्रीमती जया केतकी, 29.  सुश्री शैफाली पाण्डेय, 30. श्री रवि रतलामी, 31. श्री लालबहादुर ओझा सहित  लगभग 150 से अधिक वेब संचालक, ब्लॉगर्स, सोशल मीडिया संचारक और आलेख-फीचर लेखकों के साथ अनेक विद्वानों, विशेषज्ञों और संचारकों ने भागीदारी की.

इस वर्ष “मीडिया चौपाल – 2014” का आयोजन दिल्ली में करने का विचार और सुझाव आया है. आयोजन का मुख्य विषय “नद्द: रक्षति रक्षित:” होगा. विभिन्न स्तरों पर बातचीत के बाद “मीडिया चौपाल – 2014” की तिथि 11-12 अक्टूबर, 2014 (शनिवार-रविवार) तय की गई है. आयोजन स्थल – भारतीय जनसंचार संस्थान, अरुणा आसफअली मार्ग, नई दिल्ली का परिसर होगा.  आयोजन में विभिन्न प्रकार के सहयोग के लिए मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, पं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद्, विज्ञान प्रसार, इंडियन साइंस राइटर्स एसोसिएशन, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, विज्ञान भारती, इंडिया वाटर पोर्टल, दीनदयाल शोध संस्थान और भारतीय जनसंचार संस्थान आदि से सहयोग हेतु आवश्यक प्रयास किया जा रहा है.

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मीडिया चौपाल – 2014 : तदर्थ रूपरेखा
सत्र
प्रथम दिवस – 11 अक्टूबर, 2014

समय व अन्य विवरण
पंजीयन

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9:30 बजे से
उदघाटन सत्र 
प्रतिभागियों का परिचय
स्वागत और मीडिया चौपाल का परिचय व रिपोर्ट
मुख्य अभ्यागत का उद्बोधन
आगामी सत्रों का विवरण
अध्यक्ष का उद्बोधन
आभार 

11 बजे से
प्रस्तुति एवं चर्चा सत्र -1
प्रस्तुति – 1
प्रस्तुति – 2
प्रतिभागियों द्वारा चर्चा, हस्तक्षेप व सुझाव
अध्यक्षीय टिप्पणी

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12:00 से 1:30 तक
भोजन

1:30 से 2:00
प्रस्तुति एवं चर्चा सत्र -2 
समूह चर्चा – माध्यम अभिसरण (कन्वर्जेन्स) के प्रयास
समूह – 1 लेखक/स्तंभकार,
समूह – 2 वेब संचालक/ ब्लॉगर
समूह – 3 प्रिंट के पत्रकार 
समूह – 4 इलेक्ट्रानिक के पत्रकार
प्रतिभागियों द्वारा चर्चा, हस्तक्षेप व सुझाव
अध्यक्षीय टिप्पणी

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2:00 से 3:30 तक
प्रस्तुति एवं चर्चा सत्र -3  
“नद्द: रक्षति रक्षित:”
विशेषज्ञ वक्तव्य –
प्रतिभागियों द्वारा चर्चा, हस्तक्षेप व सुझाव
अध्यक्षीय टिप्पणी

4:00 से 5:30 बजे तक
सांस्कृतिक गतिविधि

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रात्रि भोजन

द्वितीय दिवस- 12 अक्टूबर, 2014

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प्रस्तुति एवं चर्चा सत्र – 4  
नद्द: रक्षति रक्षित: के लिए मीडिया चौपाल की भूमिका
समूह चर्चा
समूह – 1 लेखक/स्तंभकार,
समूह – 2 वेब संचालक/ ब्लॉगर
समूह – 3 प्रिंट के पत्रकार 
समूह – 4 इलेक्ट्रानिक के पत्रकार
सभी समूहों की प्रस्तुति
प्रतिभागियों द्वारा चर्चा, हस्तक्षेप व सुझाव
अध्यक्षीय टिप्पणी
 9:30 बजे से 11 बजे तक

खुला सत्र
मीडिया चौपाल की आगामी योजना
संगठनात्मक विमर्श
मीडिया चौपाल – 2015 का प्रस्ताव
11 बजे से 12:30 तक

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समापन सत्र
सभी सत्रों की रिपोर्टिंग
नया (अद्द्यतन) मीडिया सम्मान
अभ्यागत उद्बोधन
अध्यक्ष टिप्पणी
धन्यवाद 
2 बजे से 4 बजे तक

नद्द: रक्षति रक्षित: विषय के बारे में

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धरती के अस्तित्व के साथ अस्तित्व में आई गंगा अब अपना अस्तित्व खोज रही है। सदियों, सहस्राब्दियों, युगों-युगों से भारत भूमि के पवित्रता की प्रतीक रही है। उत्तर भारत का उपजाऊ मैदानी क्षेत्र गंगा की पवित्र मिट्टी से बना है। भारत की सभ्यता-संस्कृति की जननी है गंगा और उसकी मिट्टी। गंगा और उसकी पारिवारिक सहायक नदियां; और सहायक की सहायक नदियां मिलकर बनता है ‘गंगा परिवार’। गंगा परिवार में लगभग 1000 छोटी-बड़ी नदियां हैं।  गंगा परिवार के साथ ही उसकी रिश्तेदारी और नातेदारी भी है। गोदा यानि गोदावरी को तो गंगा का ही एक दूसरा रूप ‘दक्षिण गंगा’ कहा जाता है। नर्मदा, कृष्णा, कावेरी उसकी बहनें हैं। ब्रह्मपुत्र गंगा का भाई है। ‘छत्तीसगढ़ की गंगा’- महानदी; गंगा की सहेली है। हालांकि वैतरणी से पाला तो जीवनमुक्ति के बाद ही पड़ता है, पर गंगा नहाने वालों के लिए वैतरणी सादर-सम्मान के साथ पार करा देती है। ‘साबरमती और गंगा’ अब एक सामूहिक संकल्प का हिस्सा हैं। दक्षिण से उत्तर तक पश्चिम से पूरब तक गंगा परिवार और उसके रिश्तेदारों और नातेदारों की फिक्र ‘राज और समाज’ में है।

हिमालय पुत्री गंगा को लेकर चिंता अपार है। यह चिंता हिमालय को लेकर भी है। हिम पर्वत श्रृंखलाएं ही दर्जनों बड़ी नदियों का मायका हैं। ग्लोबल वार्मिंग, पिघलते ध्रुवों, डूबते देशों और सूखती नदियों के बीच धरती हमसे कुछ कहना चाहती है। क्या हम धरती की आवाज को सुन पा रहे हैं। धरती के कहने के अपने शब्द होते हैं। अपनी भाषा होती है और ‘गैजेट और तकनीक’ भी अपनी ही होती है। क्या हमारे पास उसको समझने के लिए कोई सूत्र है?  गंगा तो मां ही हैं। मां से बात करने का हमारे ममता की डोर कमजोर तो नहीं हो गई है ? गंगा का मामला सिर्फ पैसे के खर्च और लेन-देन का ही नहीं बल्कि हमारे अपने अस्तित्व का भी है। पूरा उत्तर भारत जल युद्ध के देहरी पर खड़ा हो जाएगा। गंगा परिवार की नदियों में कभी बाढ़ तो कभी सूखा मानव मात्र के जमीर को सुखा देगा। सच्चाई ये है कि गंगा का संकट मानव-निर्मित है। नगरीय समाज ज्यादा से ज्यादा अनागरिक कामों में लगा हुआ है। मल-जल और औद्योगिक कचरा और जल नदियों के हालात बद से बदत्तर कर रहा है। लेकिन मुद्दा सिर्फ पैसे भर का नहीं उससे ज्यादा संकल्प और विकल्प का है।

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मीडिया गंगा और नदियों के मुद्दों को उठाता रहा है। पर नदियों के मुद्दों पर ‘निरक्षरता और समझ’ का अभाव काफी गहरा और बड़ा है। सूचना क्रांति की बाढ़ में कबीर को याद करना जरूरी है- ‘पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय’

नदियों के मामले में प्रेम के वो ढाई आखर क्या हैं? अधिकांश हम जन-संचारक (मीडियाकर्मी) जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, जल प्रदूषण और सूखती मरती नदियों के बारे में निरक्षर ही हैं। इस तरह के विषयों पर कोई प्रशिक्षण संस्थान अभी तक तो नहीं है। ‘प्रायोजक और टीआरपी’ के केंद्र में क्या गंगा-जमुना आ सकती हैं। इंडियन प्रीमियर लीग, वालीवुड हस्तियों की निजी पार्टियां, चुनावी भाषणों का सीधा प्रसारण या किसी फिल्म के प्रचार पर जैसी टीआरपी मिलती है। आखिर वह गंगा-जमुना और नदियों के मुद्दे पर क्यों नहीं? इसीलिए जरूरत है नद्द: रक्षति रक्षित: मीडिया चौपाल।

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आयोजन की रूपरेखा

आयोजक संस्था स्पंदन (शोध, जागरूकता एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन संस्थान) द्वारा गत दो वर्षों से मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग यह आयोजन किया जा रहा है.

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गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी आयोजन के लिए आयोजन समिति का गठन किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों/संगठनों के सहयोग से मीडिया चौपाल का आयोजन होगा. 

मीडिया चौपाल 2014 का अभीष्ट

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मीडिया चौपाल – 2014 में विभिन्न माध्यमों के संचारकों द्वारा माध्यमों, खासकर नये मीडिया (अद्यतन माध्यम) की समस्याओं, चुनौतियों और बेहतरी के उपायों पर चर्चा करेगा. असंगठित रूप से कार्यरत संचारकों के क्षमता संवर्धन और सशक्तिकरण के लिए उपायों की तलाश करेगा और इस दिशा में प्रयास करेगा. इससे असंगठित क्षेत्र के जन-संचारकों को मजबूती मिल सकती है.

चौपाल के मुख्य विषय (Theme) नद्द: रक्षति रक्षित: से सम्बंधित विविध पक्षों पर चर्चा कर जन-सामान्य के बीच नदियों के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता के लिए संचार गतिविधियाँ करना ताकि नदियों के संरक्षण-संवर्धन और विकास में मीडिया का योगदान सुनिश्चित हो सके. संचार माध्यम अभिसरण, संचारक नेटवर्किंग और संचार तकनीक का लाभ आमजन को मिल सके. सम्बंधित विभागों, संगठनों और जन-संचारकों के बीच परस्पर समन्वय स्थापित होगा.   

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प्रेस रिलीज

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