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सियासत

चीन के मामले में भारत बिल्कुल मौनी बाबा बना हुआ है!

चीनी माल का बहिष्कार करें या न करें? इस सवाल का दो-टूक जवाब देना आसान नहीं है कि चीनी माल का हम लोग बहिष्कार करें या न करें। जब से लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने आ खड़ी हुईं हैं, देश के कई संगठन, कई नेता, कई बाबा और कई लाला लोग मांग कर रहे हैं कि भारत सरकार चीन का हुक्का-पानी बंद कर दे। उनकी नाराज़गी जायज है, क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीनी नेताओं के साथ काफी अच्छे संबंध बना रखे हैं।

इतना ही नहीं, कोरोना वायरस के मामले में दुनिया के लगभग सवा सौ देश चीन की तरफ उंगली उठा रहे हैं। ऐसे में भारत बिल्कुल मौनी बाबा बना हुआ है। हम चीन से लगभग 5-6 लाख करोड़ रु. का व्यापार भी कर रहे हैं, जिसमें उसी का पलड़ा भारी भी है। इसके बावजूद लद्दाख में चीन ने भारत की सीमा में घुसकर अपने ट्रक, टैंक और जहाज अड़ा दिए हैं। बातचीत से विवाद हल करने का बहाना वह बना रहा है लेकिन बात आगे बढ़ ही नहीं रही है। ऐसे में यदि भारत के कुछ लोग चीन को आर्थिक सबक सिखाना चाहते हैं तो यह स्वाभाविक है।

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लेकिन यदि भारत सरकार हमारे इन गुस्साए हुए लोगों के इशारे पर व्यापारबंदी घोषित कर दे तो क्या ठीक होगा ? मैं समझता हूं कि यह ठीक नहीं होगा। सरकार यदि चीन के साथ व्यापारबंदी घोषित कर दे तो यह ठीक है कि चीन का लगभग 74 बिलियन डालर का माल भारत आना बंद हो जाएगा लेकिन हमारा भी लगभग 18 बिलियन डाॅलर का माल वह क्यों खरीदेगा ? इसके अलावा हमारे लाखों व्यापारी और कर्मचारी दुतरफा व्यापारबंदी के कारण बेरोजगार हो जाएंगे। पहले ही कोरोना ने करोड़ों लोगों को घर बिठा दिया है।

इस विभीषिका को हम अचानक क्यों तूल देना चाहते हैं ? इसके सिवाय चीन की कई कंपनियां भारत में कार्यरत हैं। भारत की कई कंपनियों में चीन ने पैसा भी लगा रखा है। यदि सरकार व्यापारबंदी करेगी तो अचानक बहुत मुश्किलें खड़ी हो जाएगी लेकिन चीन को खुले-आम भारतीय बाजारों पर कब्जा करने देना बिल्कुल भी उचित नहीं है लेकिन यह काम बड़ी तरकीब से और धीरे-धीरे किया जाना चाहिए। चीनी माल को नहीं खरीदने का अभियान-गैर सरकारी संगठनों और राजनीतिक दलों को चलाना चाहिए।

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हम जो 60-70 बिलियन डाॅलर का माल चीन से खरीदते हैं, उसमें 10 बिलियन डाॅलर के माल की खरीद शायद टाली नहीं जा सकती, लेकिन कपड़े, खिलौने, जूते, मोबाइल फोन, एयरकंडीशनर्स, रेफ्रिजेटर्स, मूर्तियां आदि तो हम खुद ही बना सकते हैं। चीन के कई एप और वेबसाइटों के बहिष्कार की बात भी सोची जा सकती है। यदि हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो चीन से क्या, हर देश से माल खरीदने में हमें काफी संकोच और सावधानी से काम लेना चाहिए।

लेखक डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश के जाने माने स्तंभकार हैं.

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1 Comment

1 Comment

  1. राजीव सक्‍सेना

    June 5, 2020 at 8:22 am

    श्री वैदि‍क जी का लेख पढा बेहद सटीक लगा । स्‍व पं जवाहर लाल नेहरू ने तो पंचशील सि‍द्धान्‍तों और गोवा आप्रेशन में चीन से यू एन सीक्‍यूरि‍टी काऊंसि‍ल मे मि‍ले समर्थन के आधार पर धोखा खाया था। लेकि‍न अब 36 साल बाद भी 36इंच सीने वालों की सरकार चुप्‍प ही रहे और एक्‍शन में नहीं आ सकी हो तो कि‍सी भी भारतीय को कष्‍ट होना तो स्‍वभावि‍क ही है।

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