शंघाई। चीन में कंपनियों को डरा धमकाकर पैसा वसूलने वाले आठ पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है। आरोपियों में मशहूर बिजनेस अखबार की वेबसाइट का एक संपादक भी है। चीन की पुलिस इसे जबरन वसूली का बड़ा रैकेट बता रही है।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक हिरासत में लिए गए लोगों में “ट्वेंटिफर्स्ट सेंचुरी बिजनेस हेराल्ड” वेबसाइट के संपादक और उप संपादक भी शामिल हैं। वेबसाइट नानफांग मीडिया ग्रुप चलाता है जिसकी मालिक गुआनडोंग प्रांत की सरकार है। प्रांत सरकार ने 2001 में कारोबार जगत से जुड़ी खबरों को जनता तक पहुंचाने के लिए यह अख़बार शुरू किया था।
पुलिस के मुताबिक वेबसाइट के कर्मचारी बड़ी कंपनियों से पैसा वसूलते थे। पैसा देने वाली कंपनियों के बारे में अच्छी खबरें छापी जाती थीं और न देने वालों के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्टिंग की जाती थी। संदिग्धों पर यह भी आरोप है कि वे विज्ञापन पाने और कॉरपोरेशन एंग्रीमेंट करने के लिए भारी दबाव डालते थे। इनके बदले भी भारी रकम मांगते थे।
चीन में मीडिया की छवि बहुत अच्छी नहीं है। मीडिया संस्थानों पर रिपोर्ट छापने या न छापने के लिए पैसा वसूलना के आरोप लगते रहते हैं। इस साल सरकार ने इस पर काबू करने का एलान किया है। जुलाई में प्रशासन ने चीन की सरकारी प्रसारण सेवा चाइना सेंट्रल टेलीविजन के मशहूर एंकरों को हिरासत में लिया था। उन पर कवरेज का समय बढ़ाने के लिए पैसा लेने के आरोप लगे थे।
हाल ही में अलीबाबा नाम की इंटरनेट शॉपिंग कंपनी ने भी आईटी टाइम्स पत्रिका पर बदनाम करने के लिए खराब रिपोर्ट छापने का आरोप लगाया था। अलीबाबा के मुताबिक पैसा देने से इंकार करने पर कंपनी के खिलाफ खराब रिपोर्ट छापी गईं। इस बीच जांच कर रही पुलिस ने अखबारों, टीवी चैनलों और पत्रिकाओं के अहम रिकॉर्ड जमा कर लिए हैं। शंघाई की दो जनसंपर्क कंपनियां भी जांच के दायरे में हैं।
मीडिया संस्थानों का गैरकानूनी हथकंडे अपनाना नई बात नहीं है। दो साल पहले भारत के एक कारोबारी सांसद ने एक निजी टीवी चैनल के संपादक पर वसूली के आरोप लगाए थे। ब्रिटेन में भी पुलिस को रिश्वत देकर एक अखबार ने मशहूर लोगों के फोन हैक किए थे।