Yashwant Singh : नोएडा में निन्यानबे परसेंट पुलिस वाले भ्रष्ट हैं! किसी को शक? यकीन न हो तो ये सच्ची कहानी पढ़ें…
पति पत्नी में पट नहीं रही थी। दोनों नौकरी पेशा। दोनों आईटी फील्ड के। शादी के तेरह साल बाद पत्नी एक रोज सामान पैक कर निकल गयी। महिला थाने में अप्राकृतिक सेक्स और सास द्वारा उत्पीड़न समेत ढेर सारी धाराओं में पति व परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कम्प्लेन दे दी। उसने लखनऊ में अपने किसी सगे के जरिए सोर्स लगवाया और पुलिस वालों ने बिना जांच पड़ताल रिपोर्ट दर्ज कर दी।
सास कभी साथ रहीं नहीं। वो होम टाउन में रहती हैं। दो साल से पति पत्नी के बीच फिजिकल रिलेशन था नहीं। विवाद मनमुटाव के कारण बोलचाल तक न थी।
रिपोर्ट दर्ज होते ही महिला थाने की महिला थानेदार को ‘न्याय’ करने का मौका मिल गया। आरोपी पुरुष को बुलाया और कुछ सेकंड के लिए म्यूट हो मूक संवाद शुरू किया। कलम उठाकर कागज पर घुमाया। 30000 लिखकर इसे एक गोल घेरे में लपेटा। फिर कागज सामने बैठे पुरुष की ओर चमकाते हुए बोलीं- “इतना कर दो, कुछ धाराएं हटवा दूंगी। जेल जाने से बच जाओगे.”
महिला थानेदार की कंप्लेन एसएसपी से की गई तो इसकी जानकारी मिलने पर मोहतरमा नाराज़ हो गईं और धमकी देकर बोलीं- “अब तुम कोर्ट में ही निपटना।”
वक़्त बीतता है। उन मोहतरमा का ट्रांसफर हो गया। एसएसपी भी चले गए।
अब महिला थाना जिस सीओ के अंडर में आता है, उस सीओ के ऑफिस का क्लर्क एक धारा हटाने के लिए 40 हजार और दो धाराएं हटाने के लिए एक लाख रुपए मांग रहा है। बोल रहा इसमें सबको हिस्सा जाएगा। सीओ साहब से लेकर महिला थानेदार तक।
अपन लखनऊ से सोर्स भिड़ाकर एसएसपी से मिलने गए, ‘आरोपी’ मित्र के साथ। क्लर्क समेत पूरे फ़र्ज़ी मुकदमे प्रकरण की शिकायत की। बेवजह फंसाए जाने से बचाए जाने की अर्जी दी। एसएसपी ने सीओ को फोन कर कहा- “आरोपी पुरुष पर जो जेनुइन आरोप हैं, उसे रहने दो। बाकी परिजनों को फंसाना, अप्राकृतिक सेक्स टाइप ये सब फ़र्ज़ी धाराएं हटा दो।”
एसएसपी का आदेश सीओ ऑफिस के क्लर्क तक पहुंच गया है। क्लर्क ने आरोपी पुरूष को फिर बुलाया और कहा- “देखो ये कागज आ गया कप्तान ऑफिस से मेरे पास। बोलो क्या करना है।”
क्लर्क फिर से एक लाख रुपया मांग रहा है। आरोपी पुरुष ने क्लर्क महोदय के दर्शन लाभ से मिले पुण्य को कायदे से सहेजने की खातिर अपने सहज बोध से 500 रुपए दक्षिणा चरण में डाला और उलटे पांव भाग लिया।
फिलहाल सभी आवेदनों पर कुंडली मार कर बैठ गया है क्लर्क, सीओ ऑफिस और महिला थाना। सीओ साहब और महिला थानेदार जी दिन रात जनता की सेवा में जुटे हैं, इस कदर की फुर्सत कहां जो बाकी आवेदनों का संज्ञान लें। वे तो अहिर्निश जन सेवा में जुटे हैं, अपराधियों की कमर तोड़ने में लगे हैं, रामराज्य के आने का मार्ग प्रशस्त करने हेतु काली ताकतों को परास्त करने में लथपथ हैं, सो छोटे मोटे मामलों, रोने-गाने वाले कागज पत्तर आवेदन आदि पर नज़र डालने भर का भी वक़्त कैसे मिल सकता है भला!
ये केस मेरे एक मित्र का है और हर कदम मैं इसे वाच कर रहा हूँ। मानने लगा हूँ कि नोएडा पुलिस के चंगुल में फंस गए तो न जीने लायक रहेंगे न मरने लायक।
ये कहानी जारी रहेगी। आगे सभी पात्रों के नाम भी खोले जाएंगे। एक स्टिंग भी करा चुका हूं। तभी ये सब लिख रहा हूँ। कह सकता हूँ कि नोएडा के ज्यादातर थानेदार, सीओ बेखौफ होकर पैसे बनाने के खेल में शामिल हैं। ये लोग पैसे फेंकने वाली बड़ी कम्पनियों, बड़े लोगों के आगे पूछ हिलाते हैं। लेकिन दांत निपोरे कामन मैन को ज्ञान पेलते हैं और अथाह ज्ञान-भंडार के समुचित खर्चने, हिक भर चौतरफा मौखिक गोलीबारी करने के बाद इस निरीह आदमी को काटने/दूहने के लिए अपने क्लर्क के पास भेज देते हैं।
जन सेवा चालू आहे!
#corruptnoidapolice
भड़ास के फाउंडर और एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेर सारे कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं-
Sanjaya Kumar Singh : उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार विरोधी डबल इंजन की सरकार है। नोएडा दिल्ली से दूर नहीं है। बाकी देश की कल्पना कीजिए। ये अलग बात है कि इसके बावजूद ‘बहादुर’ भक्त पुरुषों की संख्या कम नहीं है।
Sheeba Aslam Fehmi : हर पुरुष इसको पढ़े और घर में हर रोज़ अपनी बेगुनाही के सबूत जमा करे। अपने माँ बाप को बचाने के सबूत भी रखे।
अजीत कुमार पाण्डेय : …फरमान जारी हो गया है बताओं पैसे दोगे या आईपीसी की धारा बढ़ाता जाऊँ,योगी के शासन में उत्तर प्रदेश सच में फल फूल रहा है।विभाग आप तय करें।
Sujeet Singh Prince : NOIDA POLICE का राम राज यहां से शुरू होता है…. यकीन न हो तो इसे जरुर पढें….
Shiivaani Kulshresthhaa : धारा 377 का प्रयोग आजकल के फैमिली लॉ की केसेज में बहुत हो रहा हैं। इसके लिए कुछ करना पड़ेगा।
Madan Tiwary : न्यायालय में केस दायर कर दें, कोर्ट ही एकमात्र रास्ता है. वहीं से न्याय की उम्मीद कर सकते हैं. वैसे विश्वास करें, न्याय अभी जिंदा है.
Arun Khare : Madan Tiwary लेकिन न्याय मिलने तक उससे कई गुना पैसा खर्च हो जाएगा जो अभी पुलिस मांग रही है , अदालतों का चक्कर और समय की बरबादी अलग से। यदि अदालतें एक निश्चित समय में मुकदमा निपटाने के लिए बाध्य हों तभी रिश्वतखोरी रूक सकती है।
Madan Tiwary : Arun Khare ऐसा नही होता है, पुलिस के धारा हटा देने से धारा हट नहीं जाती है.
Vijay Dixit : Court main number aate Aata tel nikal jaayega aaplicant ka
Kavita Bishnoi : मानना पड़ेगा जितना 498a का ग़लत इस्तेमाल महिलाओं ने किया हैं उतना और किसी ने नहीं किया जबकि जो असल में पीड़ित महिलाएँ हैं उन्हें तो 498a के बारे में पता ही नहीं
Pradyumna Tewari : एसएसपी से मिलकर सारे वाकये से अवगत कराया जाए। काम न बने तो ऊपर तक जायें
Pradeep Mahajan : इस मुहिम में आपके साथ साथ हैं कप्तान.
Upendra Singh : आजकल यदि पत्नी की पति से किसी बात को लेकर जिन्दगी मे कुछ कहा सुनी हो जाती है तो सिर्फ़ इस कानुन का सहारा लेकर पत्नी अपने पति के पुरे परिवार पर एफ़आईआर करवा देती है. आज की तारिख में पुरुष आयोग की अत्यधिक आवश्यकता है.
Kuldeep Singh Gyani : आपके मित्र के साथ गलत हो रहा है फिर भी यदि कुछ करना ही है तो “कुछ” ऐसा करें कि उनकी मोहतरमा खुद ब खुद केस वापस ले लें…”साम दाम दण्ड भेद” बाकी आईटी वाले हैं तो कुछ तो समझदार होंगे ही…
Madhu Sudan : सर बड़ी लीला है. बहुत लंबा जुगाड लगाना पड़ता है नोएडा में तैनाती के लिए. एक जुवा होता है. तैनाती होते ही सब बराबर करना होता है. बड़ी लम्बी कहानी है. जल्दी ही आपको भेजता हूं.
Manish Srivastava : ये हर थाने की लीला है लेकिन हर पीड़ित को Yashwant Singhभाई जैसा मित्र नहीं मिलता।
Rajnikant Shukla : यह एक अलग ही दुनिया है जिसका पता जो भुगतता है उसी को पता है…
Amod Kumar Singh : कोई जुगाड़ लगाया जाये. हम भी नोएडा चहुँप जायें. कानपुर देहात में सड़ रहे हैं.
Anup Kr Awasthi : लगभग यह स्थिति यूपी के हर थाने की है। नोएडा में कुछ ज्यादा हो रहा है। योगी बाबा ध्यान में हैं शायद
Ashok Anurag : यशवंत जी जिस पर बीतती है वही जानता है
Sonal Thakur : बहुत ही शर्मनाक घटना है! इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है। 40-50 लाख नोयडा और गाजियाबाद के तमाम थानों की पोस्टिंग का पैसा जब लखनऊ में देकर जाएंगे और साथ मे किसी बड़े नेता का वरदहस्त भी, तो यही करेंगे। न्यायालय में मुकदमों की संख्या दिन ब दिन बढ़ने के पीछे ये काली कमाई भी है।
Aalam Faridi : सरकारी पार्टी बदलने से ज्यादा कुछ नहीं बदलता। भ्रष्टाचारी नये नये तरीको से अवैध धन उगाही करता रहता है। रही नोएडा पुलिस या अन्य सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों की बात सब जगह एक जैसा ही हाल है।
Nitin Jauhari : ये हाल एक बानगी मात्र है। सब जगह यही तरीका है, पैसवा कमाने का।
Shravan Shukla : एक मामला मेरे सामने भी है। हालांकि उसमें पुलिस वालों को कुछ नहीं मिला तो खिसियाए हुए हैं। मुझसे जुड़ा है तो पांच पैसे नहीं पाएंगे। लेकिन वकील और इस सब चक्करों मैं ऐसी तैसी हो गई।
Journalist Devesh : ये खेल सिर्फ नोएडा के नहीं पूरे प्रदेश की पुलिस का है बाबा, पुलिस के साथ अन्य विभागों में भी भीषण भ्रष्टाचार व्याप्त है, कहीं भी आम आदमी जो न्याय नहीं मिलता, रामराज्य की बात तो दूर इसकी कल्पना करना भी राम नाम के साथ अन्याय होगा।
Care Naman : अभी एक ऐसा ही केस लखनऊ में हुआ मेरे मित्र के मौसी के घर का केस. उनकी बहू ने आत्महत्या कर ली. मित्र के भाई जो सरकारी कर्मचारी थे, उनका भी नाम 498A में शामिल कर दिया. नाम हटाने के 1 लाख ख़र्च किये, नहीं तो नौकरी का चक्कर. जमानत और बहाली सब से छुटकारा. 1 लाख में सस्ता सौदा मान के कर लिया.
Vikas Pandey : यह तो पूरे देश भर के थानों की लीला है, नोयडा जैसे जगहों में पुलिस को पता होता है कि ज्यादातर सक्षम लोग रहते है, जिनको दूह सकते है। फिर थानों के हिसाब से कीमत भी फिक्स होती है। पूरे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक बिना भेदभाव के।
Vinod Sachan : केवल नोएडा पुलिस…….. बल्कि…… नहीं मोदी योगी की पुलिस ऐसा नहीं कर सकती है। यहां तो रामराज है भाई !
Shravan : महिला को पकड़िए जिसने शिकायत दर्ज की है ।
SN Mishra : पूरे भारत की यही कहानी है !!
Aloka Kujur : महिला थाना का काम है घर बचा सके पर हर जगह उलटा हो रहा है
Vinay Singh : राम राज्य का यथार्थ चित्रण
Shweta R Rashmi : मेरा भी एक मित्र फंसा हुआ है दिल्ली पुलिस के चक्कर में
Anil Kumar : एक योग्य व्यक्ति वही है जो इस तरह के मामले पुलिस, कोर्ट कचहरी में जाने से पहले ही मैनेज कर ले। बाकी जिस पर बीतती है वहीं जानता है।
Zaigham Murtaza : नोएडा में नियुक्ति मुफ्त होती है क्या? पैसा जाता है तो आना भी तो चाहिए 🙂
Shyam Krishna : मित्र से कहिये हाई कोर्ट में जाकर अरेस्ट स्टे ले मिल जायेगा। मां बाप परिजनों का तो पक्का। इनकी भी हो जाएगी। कोर्ट मेडिएशन भी कराती है। पुलिस का चक्कर फिल्मों में अच्छा लगता है। न्यायालय में जायें।
Adv Deepak Vidrohi : पुलिस के किसी अधिकारी के पास एफ आई आर दर्ज होने के बाद धारा कम या ज़्यादा करने की शक्ति नहीं होती और न ही वो कर सकते हैं। लेकिन पुलिस धारा कम करने के नाम पर पैसा ले लेती है। कभी भी एफआईआर दर्ज होने के बाद या पहले पुलिस को पैसा नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि पुलिस पैसा लेकर भी वो ही धारा लगाती है जो बगैर पैसा लिए।
Ravindra Ranjan : हमारी पुलिस ऐसी ही है। पूरे महकमे को ओवरहॉलिंग की जरूरत है।
Anupam Dubey : बंधु, क्योंकि आप पत्रकार हैं और फिलहाल पुरुषों के विरुद्ध फर्जी मुकदमों के दंश को भलीभांति समझ रहे हैं, आपके शोध/विशलेषण कर उजागर करने के लिए इसी प्रकार के अनेकों गंभीर मुद्दे और भी हैं। What you are experiencing right now is just the tip of the iceberg.
Satyendra : योगी जी संत आदमी हैं। उनके बाल बच्चे नहीं हैं। वो पैसे लेकर क्या करेंगे Yashwant Singh भैया? योगी जी दलाली नहीं खाते होंगे, सिपाही दरोगा एसएसपी ही गड़बड़ कर रहे होंगे।
तजिंदर पाल : मेरे एक जानपहचान वाले के साथ भी हो चुका है सिफारिश करने पर नजराना और बढ गया.
Rao Deepak : तजिंदर पाल जी, पुलिस में नजराना नहीं जबराना होता है।
तजिंदर पाल : Rao Deepak जबराना कह दो तो और बढ जाते हैं पैसे. भाई नजराना कहके चुपचाप दे दो.
Dhananjai Yadav : नोयडा, गाज़ियाबाद में प्रशासनिक पदों पर पोस्टिंग बहुत चढावे के बाद में मिलती है. इसलिए वसूली में लगे रहते हैं. पब्लिक का गला काटते रहते हैं.
Avadhesh Singh : भैया पुलिस कहीं की भी हो, सबका यही हाल है…
Vivek Srivastwa Noida Police निकम्मी है… 12-10-18 का एक FIR आज तक नहीं सुलझा पाई… कोई जानकारी नहीं.. भ्रष्ट तो खैर इतने कि इनके कार्य प्रणाली पर लानत भी शर्मा जाए…
Madan Tiwary : पुलिस अभी भी आजादी के पहले वाले गुमान में जीती है. गलती लोगों की है. केस नही करते हैं. पुलिसवालों के खिलाफ जब केस शुरू हो जाएगा, अक्ल आ जायेगी.
Santosh Agarwal : भैया पूरा देश का सर्वे कराइये. ज्यादातर हालात ऐसे ही हैं. लेकिन जनता उससे ज्यादा भ्रष्ट है. अपना काम निकलवाने के लिए हमेशा शॉर्टकर्ट खोजते हैं.
Yashwant Singh : Santosh Agarwal जनता को मजबूर किया जाता है रिश्वत देने के लिए। सीधा सोचा करिए। आप जैसों के ये कुतर्क भ्रष्टाचारियों को इन्नोसेंट बताते हुए बचाने का काम करते हैं।
Santosh Agarwal : आप सही बोले भैया. हम थोड़ा प्रशासन से लड़ने का बात करते हैं. जनता को लड़ना चाहिए. लेकिन हर आदमी में हिम्मत नहीं है. इसका वे फायदा उठाते हैं.
Ashok Anurag : 99% भ्रष्ट. गज्जब कहा. फिर प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था तो मन डोले मोरा तन डोले हो रहा होगा.
Ashok Wankhade : 1 percent corrupt nahi hai, ye khabar hai.
Sanjaya Kumar Singh : यह पूरी हिन्दी पट्टी पर लागू है।
अजीत कुमार पाण्डेय : …सच तो यही है। किंतु परन्तु के बीच हम जनता भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सहयोगी हैं।
Yashwant Singh : अजीत कुमार पाण्डेय जनता को मजबूर किया जाता है। चोर और भ्रष्ट पुलिस वाले 24×7 बस किससे कैसे पैसे लूट लिया जाए, इस बारे में ही सोचते हैं। जनता पीड़ित है, मजबूर है। उसे ब्लेम कर आप दरअसल भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम कर रहे हैं।
अजीत कुमार पाण्डेय : इनकी खोजी निगाहों से सबसे ज्यादातर सभ्य लोग ही पीड़ित होते हैं।कानूनी दांव पेंच में ना पड़े इस लिये लेन देन कर मामले को सुलझा लेते है वहीं से इनके मनोबल को और बल मिलता है भइया!
Vijay Dixit : 100 % si and above,noida main postings paisa dene par hi hoti hai
Manoj Dublish : सरजी, एक परसेंट पर मेहरबानी क्यों? पैसे ऊपर तक जाते हैं तो ईमानदारी कैसे संभव है
V Rao Dohare : नोएडा में पोस्टिंग ही रुपये ले दे कर होती, उसका असर तो दिखाई देगा ही।
Sonal Thakur : भाई वो एक परसेंट क्या पनिशमेंट पोस्टिंग पे हैं ? या वो घर से पैसा देकर पोस्ट हुए हैं।
Dev Nath : बिल्कुल सही कहा आपने
Kumod Kumar : आपके बोलने पर शक हो सकता हैं क्या
Latif Kirmani : Kadvi sachchai hai..
Upendra Singh : आप सिर्फ़ नोएडा ही क्यों गिन रहे ये हाल तो पुरे उत्तर प्रदेश का है खाकी मे आतंक
Raghavendra Singh : आप केवल नोयडा के पुलिस वालों की ही चर्चा क्यों करते हैं। सवा अरब की जनसंख्या वाले देश में 99% आबादी भ्रष्ट है और भ्रष्ट लोगों का समर्थन करती है।
Arvind Shukla : …..और इनकी वजह से बेचारे 1 परसेंट बदनाम होते हैं…
Rajiv Tiwari Baba : सिर्फ नोएडा तक क्यों सीमित हैं पूरे प्रदेश और देश में अधिकांश पुलिसकर्मी भ्रष्ट हैं
Tarun Kumar Tarun : हां शक है! मुझे १००% भ्रष्ट मिले हैं!
Nagendra Pati Tripathy : पूरे देश में, विदेशों का तो मालूम नहीं
Manoj Malayanil : कोई शक नहीं , शायद 100% हो
Mohammad Haider : Baaki desh maatr 1% ke bharose hee chal raha hai maharaj…
Sanjay Verma
June 6, 2019 at 2:01 pm
नोएडा ही क्या सब जगह पुुलिस का यही हाल है घरेलू मामलों में तो पुलिस और खलनायक बन जाती है। जहां मोबाइल फोन के सिम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराने के लिए १०० से २०० रू लिए जाने का रिवाज़ हो बहा अन्यत्र मामलों में पुलिस से क्या उम्मीद की जा सकती है। रिश्वतखोरी के मामले पुलिस विभाग से लेकर हर विभाग में छाए हुए है। हर तरफ रिश्वतखोरी की जय जयकार है।