-तेजपाल सिंह राठौर
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली की हाल ही में किताब आई है– “बिछड़े बारी–बारी”। दिल्ली के लोकमित्र प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब का सम्पादन देव श्रीमाली ने किया है। इसकी भूमिका रेमैन मैग्सेसे सम्मान प्राप्त एनडीटीवी के प्रमुख पत्रकार रवीश कुमार और भारतीय पुस्तक न्यास के हिंदी संपादक व जाने-माने लेखक पंकज चतुर्वेदी ने लिखी है।
इस किताब में कोरोना काल मे दिवंगत हुए मप्र के सौ से ज्यादा पत्रकारों के संघर्ष की कहानी है। कोरोना काल मे पत्रकारों के योगदान का दस्तावेजीकरण करने वाली यह देश के पहली पुस्तक मानी जा रही है। इसका विमोचन दिसम्बर में मप्र की विधानसभा परिसर के मान सरोवर सभागार में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष श्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम और गृह एवम संसदीय कार्यमंत्री श्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने किया था। अब मीडिया में जगह – जगह इस पर खूब चर्चाएं हो रहीं हैं।
मध्यप्रदेश में पत्रकारिता करने वाले देव श्रीमाली हिंदी पत्रकारिता के जाने–माने नाम हैं। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 12 सितंबर 1962 को देव श्रीमाली जन्मे। इनके पिता रामबाबू श्रीमाली ने स्वाधीनता आंदोलन में योगदान दिया लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात उन्होंने अपना नाम स्वाधीनता सेनानियों की सूची में लिखाने और इस एवज में कोई भी शासकीय लाभ लेने से इनकार कर दिया।
देव श्रीमाली नेजीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के अधीन एम कॉम और एलएलबी के अलावा हिंदी विषय में स्नातकोत्तर के अलावा पत्रकारिता में भी स्नातकोत्तर (बीजेएमसी और एमजेएमसी) की डिग्री हासिल की। इसके अलावा प्रसिद्ध जर्मन पत्रकार पीटर मे मार्गदर्शन में दस दिवसीय डिप्लोमा कोर्स भी किया।
देव श्रीमाली शुरू में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे और स्कूल और कॉलेज छात्रसंघ के विभिन्न पदों पर निर्वाचित हुए और अनेक शासकीय नौकरियों के लिए भी चयनित हुए जिनमे राज्य लोकसेवा आयोग भी शामिल है लेकिन नौकरी के प्रति उनका कोई रुझान नहीं था। भिण्ड के साहित्यिक माहौल के चलते वे कविताएं लिखने लगे। तब उम्र बमुश्किल 18 वर्ष की रही होगी। वे कविता छपवाने के लिए तब के युवा और वर्तमान में उरई में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार श्री केपी सिंह के संपर्क में आये।
उन्होंने देव को पद्य की जगह गद्य लेखन में जाने की सलाह दी तो वे पत्रकारिता में सक्रिय हुए और स्थानीय साप्ताहिक अखबारों वनखंडेश्वर, कैक्टस आदि से जुड़ गए और फिर भिण्ड से प्रकाशित पहले दैनिक उदगार और फिर ऋतुराज बसंत से। यहां तक आते–आते उनके लेखन को देश के हिंदी क्षेत्र में पहचान मिलने लगी। उनके लेख न केवल अंचल के बल्कि देश भर के हिंदी पत्र और पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होने लगे। वरिष्ठ पत्रकार डॉ राम विद्रोही, काशीनाथ चतुर्वेदी, एलएन शीतल, इंद्रभूषण रस्तोगी, शिव दयाल, आलोक तोमर, राकेश अचल, रवींद्र श्रीवास्तव और डॉ सुरेश सम्राट जैसे पत्रकारों के सानिध्य ने उन्हें निखारा। तब के प्रतिष्ठित धर्मयुग, माया, दिनमान टाइम्स, सीनियर इंडिया, करंट न्यूज़, अमृत बाजार, राज एक्सप्रेस, स्वदेश, राष्ट्रीय हिंदी मेल, चौथा संसार, हेलो हिंदुस्तान, हिंदुस्तान एक्सप्रेस, अजय भारत, जागरण, नई दुनिया सहित अनेक पत्र–पत्रिकाओं में उनके लेख, रिपोर्ताज़,आमुख कथाएं नियमित तौर पर छपने लगीं और वर्तमान में भी सभी प्रमुख पत्र- पत्रिकाओं तथा न्यूज पोर्टल में प्रकाशित होती रहतीं हैं।
देव श्रीमाली ने दैनिक भास्कर, जनसत्ता, आचरण, हिन्दू समृद्धि उदगार और ऋतुराज बसंत आदि समाचार पत्रों में लगभग 30 वर्ष तक काम किया है। इनके अलावा आकाशवाणी के लिए सम–सामयिक विषयों पर अनेक वार्ताएं और रूपक का लेखन किया।
देव श्रीमाली बीते बाइस सालों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में निरंतर सक्रिय हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पारी उन्होंने ईटीवी मध्यप्रदेश से शुरू की जल्द ही वे श्री राजकुमार केसवानी जी के संपर्क में आये और उन्होंने ग्वालियर चम्बल संभाग से स्टार न्यूज के साथ जोड़ लिया। स्व केसवानी जी तब स्टार न्यूज के मध्य प्रदेश के ब्यूरो चीफ थे। इसके बाद एनडीटीवी हो गया तो उससे जुड़ गए। बाद में जब एबीपी न्यूज लांच हुआ तो उसने भी ग्वालियर का जिम्मा देव श्रीमाली को ही सौंपा।
देव श्रीमाली मप्र के क्षेत्रीय न्यूज चैनल्स की लाइव डिबेट में बैठने वाले सबसे प्रमुख चेहरे हैं। खासकर राजनीतिक बहसों में उनकी सटीक टिप्पणियों और निष्पक्ष बातों को खूब सुना जाता है। न्यूज 18, ज़ी न्यूज़, बंसल न्यूज, आईबीसी24, आईएनएच, आईएनडी 24, न्यूज 24 ,ईटीवी भारत आदि सभी चैनल्स की बहसों में बतौर राजनीतिक विश्लेषक और विषय विशेषज्ञ के रूप में आमतौर पर स्थान मिलता है और एंकर उनकी राजनीतिक समझ की खूब प्रशंसा करते है।
देव श्रीमाली ने चम्बल के दुरूह बीहड़ों से लेकर हर गांव और कस्बे, वहां के धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के स्थल अपने पैरों से नापे हैं। वहां का इतिहास हो या भूगोल, जातिगत संरचना हो या खेती बाड़ी की रीति, सामाजिक परंपराएं हो या जातिगत समीकरण हर जानकारी उनकी जुबान पर रहती है। चम्बल में डाकू समस्या पर उनका लिखा देश–दुनिया में पढ़ा जाता है। चम्बल को समग्र रूप से दिखाने वाली उनकी शोध पुस्तक – चम्बल : संस्कृति और विरासत का प्रकाशन शीघ्र ही नेशनल बुक ट्रस्ट (भारतीय पुस्तक न्यास) करने जा रहा है।
देव श्रीमाली वैसे तो अब तक एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं जिनमे सबसे चर्चित हाल ही में दिल्ली के लोकमित्र प्रकाशन से आई पुस्तक ‘बिछड़े कई बारी-बारी’ है। यह कोरोना काल मे दिवंगत हुए मप्र के पत्रकारों के संघर्ष पर आधारित है। इनके अलावा उन्होंने दैनिक भास्कर में प्रकाशित लोकप्रिय कॉलम “परत दर परत” में प्रकाशित आलेखों की चुनिंदा कतरनों पर आधारिक पुस्तक का वरिष्ठ पत्रकार आलोक तोमर के संपादन में प्रकाशन किया।
देव श्रीमाली को अपनी पत्रकारिता की यात्रा में अनेकों सम्मान भी मिले। विगत 2021 में उन्हें देश का प्रतिष्ठित उदभव नेशनल एक्सीलेंस जर्नलिस्ट अवार्ड दिया गया जो केंद्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया। 2021 में मप्र विधानसभा परिसर स्थित मान सरोवर सभागार में आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष श्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने उनकी मार्मिक पुस्तक “बिछड़े कई बारी-बारी”के लिए सम्मानित किया। मप्र के श्रेष्ठ रिपोर्टर को मिलने वाला प्रतिष्ठित सप्रे संग्रहालय का “राजेन्द्र नूतन सम्मान-2019”, डॉ भगवान सहाय शर्मा स्मृति कलमवीर सम्मान- 2014,संजीवनी गौरव सम्मान-2003, चम्बल रत्न सम्मान-2204 के अलावा 1991 में ग्वालियर विकास समिति का ग्वालियर -चम्बल संभाग के सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टर अवार्ड और राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त सम्मान मिल चुके हैं । वे मध्यप्रदेश सरकार की अधिमान्यता देने वाली समिति में बीस वर्षों तक सदस्य रहे। देव श्रीमाली युवा पत्रकारों को पत्रकारिता की शुचिता और गरिमा तथा सुशिक्षित करने के लिए निरंतर सक्रिय हैं। वे लंबे समय से ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के जरिये कस्बों से लेकर शहरों तक पत्रकारों को सुशिक्षित कर आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाएं, विचार गोष्ठियां आदि का निरन्तर आयोजन करते है जो शीर्षस्थ पत्रकारों और राजनेताओं के साथ कस्बाई पत्रकारों के बीच मेलजोल का अवसर भी देते हैं।