पुतान सिंह-
वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र विद्यार्थी जी के निधन का समाचार सुनकर व्यक्तिगत तौर पर मन व्यथित है। दरअसल, मेरा और विद्यार्थी जी का सीतापुर आगमन 1996 में एक साथ हुआ था।
मै दैनिक जागरण लखनऊ में ट्रेनी रिपोर्टर था, विद्यार्थी जी राष्ट्रीय सहारा से हिंदुस्तान अख़बार में स्टॉफ रिपोर्टर के रूप में पहुंच गए थे। हिंदुस्तान अख़बार लखनऊ से लांच हो रहा था। इसके चलते दैनिक जागरण ने मुझे सीतापुर में बतौर कार्यालय संवाददाता नियुक्त किया था।
सीतापुर आए कुछ दिन ही हुए थे, विद्यार्थी जी हिंदुस्तान अख़बार के जिला प्रभारी के रूप में आ गए। पेशे से प्रतिस्पर्धा होने के बावजूद हम लोग रोज कहीं न कहीं बैठकर खबरों पर चर्चा करते थे। याराना गजब का हो गया। वो मुझसे सीनियर थे तो आम तौर पर मुझसे खर्चा नहीं कराते थे। खाना पीना रोज साथ होता था।
इसी दौरान अगले दिन की खबरों पर विमर्श करते थे। हम दोनों खबरों के मामले में शातिर थे। चर्चा किसी और टॉपिक पर करते थे, स्टोरी कोई और छाप देते थे। फिर शिकायत होती थी, अमा यार अकेले चांप दी, मुझे भी बताया होता।
विद्यार्थी जितने हँस मुख और मौजू आदमी उतने ही व्यवहारकुशल भी थे। घर में भी उनका यही व्यवहार रहता था। भाभी जी के हांथ से बने परांठे न जाने कितनी बार खाने को मिला।
कुछ साल बाद वह पटना रांची के सफर पर चले गए। करीब पांच साल पूर्व उनसे आखिरी मुलाक़ात हुई थी। आज उनके निधन की खबर स्तब्ध रह गया। ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे। विनम्र श्रद्धांजलि।