पिछले सात-आठ वर्षों में “दिल्ली निजाम” में कुछ भी नहीं बदला है, पहले चिदंबरम लूटते थे, अब सिर्फ हमें लूटने वाले बदल गए हैं!

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सुरेश चिपलूनकर-

सँपेरों का देश… क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – 300 लाख करोड़ रूपए के टर्नओवर वाले स्टॉक एक्सचेंज की मुखिया किसी “तथाकथित हिमालयीन बाबा” के कहने पर चलती थी…??

क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – कोई कर्मचारी 15 लाख के पॅकेज से सीधे अचानक डेढ़ करोड़ और फिर फ़टाफ़ट चार करोड़ के पॅकेज पर उस अज्ञात हिमालयीन बाबा के ईमेल से ही पहुँच जाता है?? इस व्यक्ति को पूरी दुनिया में घूमने के लिए किसी भी एयरलाईन्स का फर्स्ट क्लास टिकट की पात्रता दी जाती है, असीमित खर्चों के साथ… फिर बाबा के ईमेल से ही आनंद सुब्रह्मण्यम को सप्ताह में केवल तीन दिन काम करने की इजाजत भी मिल जाती है??

क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – NSE जैसी संस्था की प्रमुख होने (यानी खासी पढ़ी-लिखी महिला होने) तथा तमाम गाईडलाईन एवं सुरक्षा के बावजूद इस संदिग्ध सिद्धपुरुष का कोई अतापता उसके पास नहीं है…

क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – ये कथित बाबा कहाँ से ईमेल करता है?? इसे NSE की अंदरूनी जानकारी क्यों दी जाती है?? इस खतरनाक बाबा को NSE में आने वाली सभी कंपनियों की डिविडेंड, स्प्लिट, बोर्ड मीटिंग इत्यादि की जानकारी क्यों दी जाती है??

क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – देश धनवान और शक्तिशाली संस्थाओं में से एक SEBI को अभी तक इस कथित हिमालयीन परमहंस बाबा की कोई जानकारी नहीं मिल सकी है?? SEBI ने अभी तक जांच साईबर विशेषज्ञों को नहीं सौंपी है??

क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – ये बाबा सेशल्स में छुट्टियां मनाने के लिए भी ईमेल करते हैं, चित्रा रामकृष्ण को उसकी हेयर स्टाईल पर सलाह भी देते हैं??

क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि – पिछले छः साल से करोड़ों रूपए की सेलेरी भकोसने तथा NSE के तमाम दस्तावेजों को किसी कथित बाबा पर उजागर करने वालों (चित्रा रामकृष्णन और आनंद सुब्रह्मण्यम) को केवल तीन करोड़ रूपए का जुर्माना और पद छोड़ने की “सजा”(ह ह ह ह ह) पर लगभग माफ़ किया जा चुका है??

सच तो यही है कि इस कथित हिमालयी बाबा को खोज नहीं पाने और उसके “इंटरनेट फुटप्रिंट” गायब होने को लेकर पूरी दुनिया हम पर (यानी उभरती महाशक्ति और सॉफ्टवेयर शक्ति) पर हँस रही है…

कुल मिलाकर बात ये है कि पिछले सात-आठ वर्षों में “दिल्ली निजाम” में कुछ भी नहीं बदला है… पहले चिदंबरम लूटते थे… अब सिर्फ हमें लूटने वाले बदल गए हैं… इसीलिए भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले में चार साल तक जांच करने के बाद FIR की जाती है… जबकि हमें सफलतापूर्वक मंदिर, कॉरिडोर, हिजाब, साईकल आतंकी की भंवर में उलझाया जा चुका है… लेकिन जब तक 500 रूपए लीटर पेट्रोल भरवाने का फर्जी दम भरने वाले “हिन्दू वीर” इस महान धरा पर मौजूद हैं, तब तक किसी भी घोटालेबाज को कोई खतरा नहीं है…

Nirmala Sitharaman आंटी, देश की इस वैश्विक थू-थू से बचाने का कोई प्रयास तो कीजिए…


अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि कहीं ये कथित बाबा खुद आनंद सुब्रह्मण्यम ही तो नहीं है?? और इस मामूली आदमी के पीछे कौन सी बड़ी शक्ति या बड़ा उद्योगपति बैठा है, जो पिछले छः साल से NSE को अपनी मर्जी से चला रहा था…

rigyajursama@outlook.com नामक ईमेल एड्रेस किसका है, यह भारत के महानतम साईबर विशेषज्ञ और सेबी नहीं बता पा रही है…

सेबी और NSE वाले इस महाघोटाले में किसे कोर्ट में जाना चाहिए?? सरकार को या किसी और को?? जबकि सरकार ने NSE को भी RTI से बाहर रखा है… यानी सारी जानकारी तो केवल सरकार के पास है… जैसे कि SBI से खरीदे हुए चुनावी चन्दा बांड की जानकारी भी केवल सरकार के पास है…

लेखक सुरेश चिपलूनकर राइट विंग के बेबाक़ चिंतक और लेखक हैं.

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One comment on “पिछले सात-आठ वर्षों में “दिल्ली निजाम” में कुछ भी नहीं बदला है, पहले चिदंबरम लूटते थे, अब सिर्फ हमें लूटने वाले बदल गए हैं!”

  • विजय सिंह says:

    अब आम आदमी को ही घर से बाहर निकल कर न्यायपालिका के दरवाजे तक जाना होगा।
    सरकार ,नेता ,अधिकारी तो कुछ करने से रहे ?

    Reply

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