वाराणसी : प्रबंधन द्वारा अखबार में कार्यरत कर्मियों का शोषण जग जाहिर है, लेकिन मजीठिया प्रकरण ने तो जागरण प्रबंधन को पागल कर दिया है, जिसने घिनौनी हरकत करते हुए एक चपरासी से न सिर्फ इस्तीफा लिखवाया वरन उसके खिलाफ रुपए 1,15,896/- मूल्य की 878 किलो एल्युमिनियम प्रिंटिंग प्लेटों की चोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया है। गत 31.12.2013 को इस्तीफा लिए जाने के पूर्व तक जागरण, वाराणसी के स्टोर विभाग में चपरासी रहे बाबू लाल श्रीवास्तव को सीजेएम कोर्ट में 24 अक्टूबर को पेश होने की नोटिस 11 सितम्बर को थमा दी गयी है। बेचारी पुलिस ने 20.02.2014 को लिखायी गयी रिपोर्ट पर खूब मेहनत की और गहन पड़ताल व अखबारी बयान लेने के बाद चार्जशीट दाखिल की, जिसके बाद यह नोटिस जारी की गयी है।
जागरण वाराणसी के प्रवेश द्वार की सुरक्षा व्यवस्था का यह आलम है कि एक वक्त पर कम से कम तीन गार्ड रहते हैं। एल्युमिनियम की पतली प्लेट की बात करें तो वह लगभग सवा दो फुट गुणा पौने दो फुट आकार और लगभग 350 ग्राम वजनी होती है। प्लेट को आप ठीक से मोड़ नहीं सकते, झोले में रखने की बात ही छोड़ दीजिए। प्लेट की मात्रा पर गौर करें …878 किलो…..यानी बाबू लाल लगभग 25-26 सौ प्लेटें चुरा ले गया और स्टोर विभाग के प्रभारी सहित अन्य किसी को भनक तक नहीं लगी।सहज ही समझा जा सकता है कि जागरण प्रबंधन किस स्तर तक गिर गया है।
दरअसल, मजीठिया प्रकरण में संजय सेठ, उमा वर्मा, सुरेश मौर्य व राजाराम सहित कई कमजोर कम॔चारियों को एक ही झटके में जम्मू से लेकर पंजाब आदि स्थानो पर ट्रांसफर करने के बहाने उनसे जबरन इस्तीफा ले लिया गया था। ऐसे ही एक प्रताड़ित बाबू लाल ने 12.01.2014 को एसएसपी से शिकायत की और समाचार पत्र कम॔चारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी के जरिये श्रम विभाग पहुंचा। इसके बाद पुलिस जांच पड़ताल करने आफिस तक पहुंच गयी तो बौखलाहट में प्रबंधन ने 20 फरवरी को बाबू लाल के खिलाफ बड़ी चोरी की रपट लिखा दी।
दिलचस्प तो यह है कि कथित यूनिट हेड अंकुर चड्ढा ने श्रम आयुक्त की एक जांच में बयान दिया है कि बाबू लाल ने अपनी परिस्थितियों के चलते नौकरी छोड़ी और स्टाक मिलान में प्लेटें कम पायी गयीं तो बाद में उसके खिलाफ रिपोट॔ दज॔ करायी गयी।तो मित्रों, यह है जागरण का छिछोरापन। फिलहाल अजय दादा इस मामले में निरीह बाबू लाल की पैरवी कर रहे हैं और जरूरत पड़ी तो यूनियन ऊपरी अदालत भी जाएगी।
लेखक योगेश गुप्त पप्पू वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार हैं और मीडियाकर्मियों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए विख्यात हैं.