वाराणसी : अब बनारस में दिखा मजीठिया बाबा का प्रकोप। मजीठिया वेज बोर्ड का जिन्न समाचारपत्र कर्मचारियों की बलि लगातार ले रहा है। केंद्र व राज्य सरकारों को अपने ठेंगे पर नचा रहे अखबार मालिकों के सम्मुख सुप्रीम कोर्ट से क्या राहत मिलेगी, यह तो कोई नहीं जानता। लेकिन यह राहत कब मिलेगी और तब तक लोकत्रंत का तथाकथित चौथा पाया किस कदर टूट चुका होगा, इसका अहसास होने लगा है।
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चार और छह अक्टूबर को लग सकता है हिन्दुस्तान प्रबंधन को करंट
मित्रों, राज्यसभा सदस्य श्रीमती शोभना भरतिया के स्वमित्व वाले दैनिक हिन्दुस्तान को, जो झूठ और फरेब के सहारे अब तक सरकारी मशीनरी को भ्रमित करता रहा है, आगामी चार और फिर छह अक्टूबर को अदालती करंट लग सकता है। आपको याद दिला दें कि यूपी के श्रमायुक्त ने हिन्दुस्तान प्रबंधन के भ्रमजाल (इसमें नोट सहित कोई भी प्रलोभन शामिल हो सकता है) में फंसकर सुप्रीम कोट॔ में दाखिल एफिडेविट में यह कहते हुए इस अखबार को क्लीनचिट दे दी थी कि वह मजीठिया वेजबोड॔ के मुकाबले ज्यादा वेतन दे रहा है। यही वजह थी कि गत 23 अगस्त के सुको के डायरेक्शन के बावजूद लेबर कमिश्नर ने उस सर्कुलर से हिन्दुस्तान का नाम गायब कर दिया था, जो उसने यूपी के सारे अखबारों को प्रेषित कर प्रबंधन व कम॔चारियों की पूरी कुंडली मांग ली थी।
दैनिक जागरण वाराणसी के प्रबंधन की घिनौनी हरकत… कमजोर कर्मचारी पर अत्याचार…
वाराणसी : प्रबंधन द्वारा अखबार में कार्यरत कर्मियों का शोषण जग जाहिर है, लेकिन मजीठिया प्रकरण ने तो जागरण प्रबंधन को पागल कर दिया है, जिसने घिनौनी हरकत करते हुए एक चपरासी से न सिर्फ इस्तीफा लिखवाया वरन उसके खिलाफ रुपए 1,15,896/- मूल्य की 878 किलो एल्युमिनियम प्रिंटिंग प्लेटों की चोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया है। गत 31.12.2013 को इस्तीफा लिए जाने के पूर्व तक जागरण, वाराणसी के स्टोर विभाग में चपरासी रहे बाबू लाल श्रीवास्तव को सीजेएम कोर्ट में 24 अक्टूबर को पेश होने की नोटिस 11 सितम्बर को थमा दी गयी है। बेचारी पुलिस ने 20.02.2014 को लिखायी गयी रिपोर्ट पर खूब मेहनत की और गहन पड़ताल व अखबारी बयान लेने के बाद चार्जशीट दाखिल की, जिसके बाद यह नोटिस जारी की गयी है।
कर्मचारियों के रुख से हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान के प्रबंधन में खलबली
वाराणसी : मजीठिया प्रकरण में यूपी सरकार ने जिस हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि वहां ज्यादा वेतन मिल रहा है, अब उस अखबार की कुछ इकाइयों के कम॔चारियों के बीच उबाल देख प्रबंधन चिंतित हो उठा है। पहले बरेली में हलचल हुई, फिर गोरखपुर के कम॔चारी लेबर आफिस तक पहुंचे और अब लखनऊ में लगभग चार दज॔न कमंचारियो ने प्रपत्र-2 भरकर श्रम विभाग के प्रमुख सचिव व श्रम आयुक्त को प्रेषित कर दिया है।
‘मध्यप्रदेश जनसंदेश’ की हालत खस्ता, जीएम और संपादक दोनों के विदाई के आसार
मध्यप्रदेश जनसंदेश अंतिम सांसे ले रहा है। वजह महैर वाले बाबू साहब द्वारा अखबार से हाथ खींच लेना है। पैसा उनका था और मजे ले रहे थे छोटे कारोबारी। इस अखबार की उल्टी गिनती तो उसी दिन शुरू हो गयी थी जब बाबू साहब की आटा मिल को प्रशासन ने सील कर दिया था। अखबार के जीएम अजय सिंह बिसेन को सेटिंग-गेटिंग की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। लेकिन अनुभवहीन बिसेन कुछ कर पाने में नाकाम रहे। अंतत: महैर वाले बाबू साहब किसी तरह आटा मिल का ताला खुलवाने में कामयाब हो गए।
वरिष्ठ खेल पत्रकार योगेश गुप्त ‘पप्पू’ ने मध्य प्रदेश जनसंदेश को अलविदा कहा
Yogesh Gupta : आदरणीय गुरुवर और मित्रों … तीन दशक की अखबारी जिंदगी में आज पांचवें अखबार का साथ छूट गया. नवम्बर 2013 में मध्य प्रदेश के दो पूंजीपतियों और स्थानीय भाजपा सांसद श्री गणेश सिंह के संयुक्त प्रयास से सतना में मध्य प्रदेश जनसंदेश का उदय हुआ था. समूह संपादक श्री राजेश श्रीनेत के बुलावे पर महाप्रबंधक श्री अजय सिंह बिसेन से वार्ता के बाद आठ अक्टूबर 2013 को मैं इस समाचारपत्र से जुड़ा था.
‘मध्य प्रदेश जनसंदेश, सतना’ के साथ जुड़ाव का एक वर्ष पूरा हो गया
Yogesh Gupta : स्नेही मित्रों …. मध्य प्रदेश जनसंदेश, सतना के साथ जुड़ाव का एक वर्ष पूरा हो गया. संपादक राजेश श्रीनेत जी के बुलावे पर पिछले वर्ष नवरात्र के चौथे दिन आठ अक्टूबर को भरे मन से बनारस छोड़कर आया था. मन में शंका थी कि पचासे की लपेट में पहुँच चुकी उम्र अनजान शहर में कैसे गुजरेगी. लेकिन माँ शारदा की कृपा देखिये कि अब तक सब कुशल मंगल है.