डिप्टी लेबर कमिश्नर एल.पी. पाठक के कार्यालय में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप बकाया वेतन और एरियर की माँग कर रहे अनेक पत्रकारों और गैर-पत्रकार साथियों के प्रकरण इन निरन्तर सुनवाई चल रही है। केस की सुनवाई में आवेदक और अनावेदक पक्ष द्वारा जो जवाब लिखित में दिए जा रहे हैं, उन जवाबों को ही श्री पाठक अपने आदेश में शामिल कर अंतिम फैसला दे रहे हैं।
प्रोसीडिंग के दौरान दोनों पक्षों की लिखित जवाबों पर बहस कराई जाती है। किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस बहस को कराये जाने का कोई औचित्य नहीं क्योंकि श्री पाठक जब प्रकरण में अंतिम आदेश जारी कर रहे हैं तो आदेश की प्रति में शब्दशः उन तर्कों को शामिल करते हैं जो लिखित जवाबों के रूप में पक्षकारों द्वारा पहले से ही श्री पाठक के कार्यालय में जमा कराये जाते हैं। ऐसे में प्रकरण में बहस कराये जाने का कोई औचित्य नजऱ नहीं आ रहा है।
बहस के दौरान अनेक प्रकरणों में आवेदक पक्ष के वकील द्वारा अख़बार प्रबंधन के अधिकारियों अथवा उनके वकीलों को सच्चाई का आईना दिखाया गया। बहस के दौरान आवेदक द्वारा माँगे जा रहे बकाया वेतन और एरियर राशि के समर्थन में दिये गए सबूतों के आधार पर प्रबन्धन के अधिकारी सिर्फ सच्चाई सुन मौन हुए बेशर्म बनकर बैठे रहते हैं क्योंकि आवेदक पक्ष के पास प्रबंधन को आईना दिखाने हेतु इतने पर्याप्त सबूत होते हैं कि प्रबंधन के अधिकारियों का मौन बैठे रहना उनकी मजबूरी होती है।
डी.एल.सी श्री पाठक अपने अंतिम फैसले में बहस के दौरान वकीलों द्वारा दिए गए सबूतों एवं तर्कों को शामिल करने की बजाय पूर्व में दिए गए लिखित तर्क ही शामिल कर रहे हैं। यह तो डी.एल.सी श्री पाठक भी भली भांति जानते और समझते हैं कि अगर बहस सुनकर फैसला देना पड़ा तो मीडिया संस्थान के खिलाफ आरसी जारी करना मजबूरी हो जायेगा, जो वह कतई नही चाहेंगे।
पाठक साहब! अगर ठान ही लिया है कि 17 (2) में ही फैसला देना है तो अपने कार्यालय में बहस कराना बन्द कर दीजिए और लिखित जवाबों के आधार पर एक दो तारीखों में ही फैसले दे दीजिये। कम से कम गरीब पत्रकारों का आपके कार्यालय में आने जाने का खर्चा ही बचेगा क्योंकि करना आपको वही है, जो अख़बार प्रबन्धन चाहता है। फिर इतनी लम्बी चौड़ी कार्रवाई का ड्रामा क्यों? और किसलिये?
इंदौर से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
मंगेश विश्वासराव
February 22, 2017 at 7:04 am
इस पाठक के घर के सामने अनशन कर सकते हैं हम लोग. ताकि उसके घरवाले भी जाने कि इसकी हैसियत क्या हैं….कामगार एकता झिंदाबाद