प्रियवर यशवंत भाई
नमस्कार
हमेशा की तरह अन्याय के खिलाफ खड़े होने और इसी कड़ी में पत्रकार पवन जायसवाल का जमकर समर्थन करने के लिए आपके प्रति आभार। मिर्जापुर जिले के एक स्कूल में मासूम बच्चों को रोटी- नमक परोसने की खबर देश के लिए शर्मनाक है।
पवन ने जो कर्तव्यनिष्ठा दिखाई है, वह सचमुच प्रशंसनीय है। इस पत्रकार की जितनी प्रशंसा की जाए कम ही है। आश्चर्य तो यह है कि मिर्जापुर के जिलाधिकारी ने इसके लिए उनके खिलाफ एफआईआर दायर करवा दिया है। उनकी दलील है कि “आप प्रिंट मीडिया के हैं तो फोटो खींचिए, वीडियो बना कर वायरल क्यों कर रहे हैं?”
यह कहां लिखा है कि प्रिंट मीडिया का पत्रकार वीडियो नहीं बना सकता? कोई भी ईमानदार पत्रकार इतने बड़े अपराध को उजागर करना चाहेगा। मासूम बच्चों का भोजन हड़प कर उन्हें रोटी और नमक परोसना तो हैवानियत की हद है। जो लोग इस भ्रष्टाचार में लिप्त हों, उन्हें ऐसी सजा दी जानी चाहिए कि फिर कोई ऐसा करने की हिम्मत न करे।
जो लोग इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। कोई चोर क्या कभी मानता है कि वह चोर है? वह तो खुद को साधु साबित करेगा और भंडाफोड़ करने वाले को चोर कह देगा। एक बार फिर बधाई यशवंत भाई।
विनय बिहारी सिंह
वरिष्ठ पत्रकार
कोलकाता
[email protected]
इसी प्रकरण पर वरिष्ठ पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी लिखते हैं-
IAS होना काबिलियत कितनी बड़ी है, इसका अन्दाजा इन महाशय के बयान से लगा सकते हैं। पीसीएस से आईएएस बने मिर्जापुर के जिलाधिकारी अनुराग पटेल कह रहे हैं कि प्रिंट के पत्रकार हो तो फोटो खींच लेते, खबर गम्भीर थी तो छाप देते, वीडियो बनाने से भूमिका संदिग्ध लगती है।
वरिष्ठ पत्रकार Yusuf Kirmani फेसबुक पर लिखते हैं-
यूपी के पत्रकार और वहां के लोग जिस तरह इस तानाशाही को बर्दाश्त कर रहे हैं, वह बहुत ही शर्मनाक है। आपको वह वीडियो और फोटो याद है, जिसमें मिर्जापुर के एक स्कूल में बच्चों को मिड डे मील के दौरान रोटी के साथ नमक परोसा गया और बच्चे नमक से रोटी खाते दिखाए गए। अखबार में खबर छप गई, वीडियो-फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। अब मिर्जापुर के डीएम और बाकी अफसरों ने योगी सरकार के आदेश पर अपना दाग छिपाने के लिए उसी पत्रकार पवन कुमार जायसवाल और उस गांव के जागरूक नागरिक राजकुमार पाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। दोनों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है या हो सकता है कि अभी तक गिरफ्तार कर लिए गए हों। एफआईआर पढ़ेंगे तो आप हंसेंगे। रोटी-नमक के षडयंत्र के लिए पवन और राजकुमार को जिम्मेदार ठहराया गया है। उसमें लिखा है कि 12 बजे तक सब्जी आनी थी।…यानी जब तक सब्जी नहीं पहुंची आप बच्चों को नमक रोटी परोस चुके थे, जिसे बच्चे खा भी रहे थे। न तो वह नमक और न रोटी पत्रकार और उस शख्स ने परोसी जब अब आपकी नजर में मुलजिम हैं। …अगर सब्जी आने में देर थी तो उससे पहले रोटी नमक परोसने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, पूरा मामला बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रहा है, जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक कई अधिकारी-कर्मचारी फंस सकते हैं। क्योंकि दूर दराज के गांवों में बच्चों को मिड डे मील खिलाने के नाम पर सिर्फ खाना पूरी हो रही है और सारा पैसा इन्हीं लोगों की जेब में जा रहा है। मिर्जापुर की घटना की जांच करने की बजाय पत्रकार और आम नागरिक पर केस दर्ज करना बताता है कि आप अपना दोगलापन और करप्शन छिपाने के लिए यह सब कर रहे हैं। यह सवाल बनता तो है कि आखिर सब्जी पहुंचने से पहले नमक रोटी खिलाने की ऐसी क्या जल्दी पड़ गई। इतने सारे बच्चों को पत्रकार पवन जायसवाल और गांव के उस जागरूक शख्स राजकुमार पाल ने तो जमा नहीं किया होगा या अपने पास से नमक रोटी परोस दी होगी. नोएडा के पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करने के बाद यूपी की योगी सरकार ने जिस तरह मिर्जापुर में यह जो नया कारनामा किया है, इससे उन्होंने साबित कर दिया है कि आप फासिस्ट तरीक से पत्रकारों को कुचलना चाहते हैं। ताज्जुब है कि यूपी के तमाम शहरों में पत्रकार ऐसी घटनाओं पर खामोश बैठे हुए हैं। वे अपने अपने संस्थान की नीतियों को एक तरफ रखकर ऐसे मुद्दों पर किसी संगठन के नीचे एक तो हो सकते हैं और सशक्त आंदोलन छेड़ सकते हैं…आखिर यह आपके पवित्र पेशे को कुचलने की साजिश है, जिसे आप ही रोक सकते हैं। इसमें न तो कोई राजनीतिक दल आपका साथ देगा और न कोई अन्य संगठन। अपनी लड़ाई लड़ना खुद सीखिए। यूपी के पत्रकारों आपकी जिम्मेदारी बड़ी है। आप लोग खड़े होंगे तो बाकी जगह के लोग भी आपके साथ खड़े होंगे। पवन जायसवाल और राजकुमार पाल का साथ दीजिए। इस घटना के खिलाफ विरोध दर्ज कराइए…
मूल खबर ये है-