Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

दूरदर्शन प्रेमियों के लिए आज की तारीख़ ख़ास है!

राजीव शर्मा-

यूं तो 15 सितंबर एक आम-सा ही दिन है, लेकिन दूरदर्शन-प्रेमी चाहें तो इस तारीख़ को याद रख सकते हैं। साल 1959 में इसी दिन दूरदर्शन की स्थापना हुई थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिसने नब्बे के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम देखे हैं, वह जानता है कि इन दिनों प्राइवेट चैनलों के कार्यक्रम उनके आसपास भी नहीं हैं। 

तब ऐसे कार्यक्रम आते थे, जिन्हें परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता था। मुझे ‘ब्योमकेश बख्शी’ सबसे ज़्यादा पसंद था। यहां तक कि घर में जब कोई छोटी-मोटी चीज़ें (चाबी, चम्मच, बर्तन आदि) गुम हो जातीं तो मैं ब्योमकेश वाले तरीके से ‘छानबीन’ करता और ढूंढ़ भी लेता! हालांकि मैं इसे कोई प्रतिभा नहीं कहूंगा, क्योंकि अगर ‘छानबीन’ न करता तो दो-तीन दिन बाद वे वैसे भी मिलनी ही थीं!

और भी कई धारावाहिक, कार्यक्रम आदि थे, जो अच्छा संदेश देते थे। ‘भारत एक खोज’, ‘मालगुड़ी डेज’, ‘मुल्ला नसीरुद्दीन’, ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’, ‘वागले की दुनिया’, ‘वेद व्यास के पोते’ … ऐसे कई नाम हैं, जिन्होंने सबके दिलों पर छाप छोड़ी। रामायण, महाभारत ने तो लोकप्रियता के रिकॉर्ड ही बना दिए थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चूंकि हमारे पास अपना टीवी नहीं था, इसलिए एक दिन ऐसी घटना हुई, जिसके बाद मैंने क़सम खा ली कि अब तो तब ही टीवी देखूंगा, जब पिताजी हमें लेकर देंगे।

उस समय मां ने मुझे समझाया कि ‘अभी टीवी लेना ठीक नहीं है, तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे।’ बात मुझे ठीक लगी। फिर मैंने कई साल टीवी नहीं देखा। इस दौरान अख़बार पढ़ने में दिलचस्पी बढ़ी। रेडियो पर बीबीसी लंदन, सीआरआई हिंदी, रेडियो रूस, द वॉयस एशिया आदि सुनने लगा। मैं इन्हें पत्र लिखता, जो प्रकाशित/प्रसारित हुए। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहुत बाद, साल 2009 में धनतेरस के दिन मेरा भाई नवलगढ़ से एक छोटा टीवी सेट लेकर आया। फिर हमने सपरिवार कार्यक्रम देखने शुरू किए। चूंकि मैं गांव से हूं, इसलिए मुझे किसानों से संबंधित कार्यक्रम बहुत अच्छे लगते थे।

साल 2020 में जब कोरोना आया तो हमारी सोसाइटी के चौकीदार ने कहा कि मुझे भी एक छोटा-सा टीवी सेट चाहिए। मेरे बच्चों के पास टीवी नहीं है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

चूंकि अब मैं कामकाज में व्यस्त रहता था और टीवी देखने के लिए समय नहीं मिलता था तो मैंने उसे अपना टीवी सेट दे दिया, जो अब तक बहुत अच्छी स्थिति में था।

दूरदर्शन के बाद मैं धन्यवाद कहना चाहूंगा यूट्यूब को, जिसकी बदौलत आज मैं वे धारावाहिक और कार्यक्रम देख सकता हूं, जिनसे उस समय वंचित रहा था। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज तो टीवी चैनलों पर ऐसा माहौल है कि उन्हें देखने का मन ही नहीं करता। ख़ासतौर से न्यूज़ चैनलों ने तो हाहाकार मचा रखा है। आदमी शाम को घर आए और टीवी चलाए तो ऐसा कोई अच्छा कार्यक्रम ही नहीं, जो पूरे परिवार का स्वस्थ मनोरंजन करे। 

कहीं सास-बहू की साज़िशें, कहीं द्विअर्थी और अश्लील संवाद तो कहीं ऐसे कार्यक्रम, जिन्हें जानबूझकर रबड़ की तरह खींचा जा रहा है। न कहीं सिर, न कहीं पैर … कोई रोज़ाना देखे तो दिमाग़ के अच्छे डॉक्टर से मशवरा लेना पड़े। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

कहने को तो कह सकते हैं कि दूरदर्शन सरकारी है, उसमें अब वह बात नहीं रही आदि, लेकिन उसके कार्यक्रमों की गुणवत्ता की बात करें तो वह अन्य चैनलों के कार्यक्रमों से बहुत बेहतर है। वहां कम से कम वो चीख-पुकार वाला माहौल तो नहीं है। 

अब दो मज़ेदार बातें बताऊंगा। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

1. नब्बे के दशक में फाल्गुनी पाठक मशहूर हो रही थीं। वे आज भी बहुत मशहूर हैं। हमने जब कभी उन्हें दूरदर्शन पर देखा तो यह भ्रम हुआ कि वे आईपीएस अधिकारी किरण बेदी हैं। चूंकि दोनों की शक्ल काफ़ी मिलती है। हमें बहुत बाद में पता चला कि ये दोनों अलग-अलग हैं। आज उस बात को याद करते हैं तो हंसी आती है। शायद इसकी वजह यह रही होगी कि तब गूगल की तरह कोई सर्च इंजन नहीं था, इसलिए हर कोई सुनी-सुनाई बातों को सच मान लेता था। आज सब जानते हैं कि फाल्गुनी पाठकजी और किरण बेदीजी कौन हैं। इन्होंने अपनी मेहनत से अपने क्षेत्र में बहुत नाम कमाया है।

2. मैं जब कभी काम में ज़्यादा व्यस्त रहता हूं तो कमरे का दरवाज़ा बंद कर लेता हूं, ताकि बाहर से आवाज़ न आए। उस समय परिवार में किसी को कार्यवश अंदर आना हो तो वह दरवाज़ा खटखटाता है … टक, टक, टक! मैं दरवाज़ा खोलता हूं  … और वह मुझसे पूछता है- क्या ब्योमकेश बाबू हैं?

Advertisement. Scroll to continue reading.

.. राजीव शर्मा ..

जयपुर

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement