Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

लापरवाह डाक्टर पीके पाठक और इसके हास्पिटल पर लगा दस लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना!

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0-2606/2016

Advertisement. Scroll to continue reading.

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-97/2015 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-09-2016 के विरूद्ध)

रामतीर्थ आयु 53 वर्ष पुत्र लालता प्रसाद निवासी-मोहल्‍ला मैनपुरी रोड, भौगॉंव, जिला मैनपुरी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

………..अपीलार्थी/परिवादी।

बनाम

Advertisement. Scroll to continue reading.

डॉ0 पी0के0 पाठक द्वारा पाठक हास्पिटल, कचहरी रोड, निकट डी0ए0वी0 इण्‍टर कालेज, मैनपुरी।

............ प्रत्‍यर्थी/विपक्षी। 

समक्ष:-

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आलोक कुमार सिंह विद्वान अधिवक्‍ता।
प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : 17-01-2024.

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

Advertisement. Scroll to continue reading.

निर्णय

यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-97/2015 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-09-2016 के विरूद्ध योजित की गयी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध एवं तथ्‍यों से परे है। विद्वान जिला आयोग ने यह निष्‍कर्ष देने में त्रुटि की कि परिवादी ने किसी भी ऐसे डॉक्‍टर की आख्‍या प्रस्‍तुत नहीं की, जिसने परिवादी का इलाज पुष्‍पांजली हास्पिटल में किया और न ही कोई शपथ पत्र ही दिया। पुष्‍पांजली हास्पिटल की डिस्‍चार्ज समरी में यह लिखा है कि एक्‍सप्‍लोरेटरी लेप्रोटॉमी एक्‍सीजन (हर्निया सेक विद रिसेक्‍सन आफ द हेरिनेटेड बावेल) में देखा गया कि स्‍माल बावेल में फीकल लीक था। जांच में उन्‍होंने अम्बिलिकल हर्निया कटा हुआ पाया, जिससे यह लीकेज हो रहा था। डॉ0 पी0के0 पाठक ने यह कहा कि अम्बिलिकस एब्‍सेस पाया, जिसे काटकर बहाने की सलाह दी और लोकल एनेस्‍थेसिया के अन्‍तर्गत इसे किया गया। डॉ0 पी0के0 पाठक के यहॉं यह मरीज दिनांक 20-10-2014 से 23-10-2014 तक रहा और दिनांक 23-10-2014 को ही वह पुष्‍पांजली हास्पिटल पहुँचा। वहॉं डॉ0 मयंक जैन ने इसका इलाज किया और रिसाव को रोका। डॉ0 पी0के0 पाठक के यहॉं की बी0एच0टी0 प्रस्‍तुत नहीं की। इन तथ्‍यों को न देखते हुए परिवादी का परिवाद विद्वान जिला आयोग ने दिनांक 14-09-2016 को निरस्‍त कर दिया। अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार की जाये।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा की बहस विस्‍तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्‍यक् रूप से परिशीलन किया गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

परिवादी के कथनानुसार वह दिनांक 20-10-2014 को अपने असहनीय पेट दर्द के कारण विपक्षी के यहॉं भर्ती हुआ था तथा विपक्षी ने उसका परीक्षण करके तुरन्‍त ऑपरेशन कराने का निदान किया था और इस सम्‍बन्‍ध में उससे तीस हजार रूपया जमा कराकर आपरेशन के लिए भर्ती कर लिया था। विपक्षी ने उस राशि की कोई भी रसीद नहीं दी थी, विपक्षी ने अन्‍य कोई भी परीक्षण कराये बिना उसकी नाभि के ऊपर दोपहर में ही दिनांक 20-10-2014 को पेट का आपरेशन कर दिया था। इस सम्‍बन्‍ध में विपक्षी ने बताया था कि हर्निया का ऑपरेशन हुआ है, मरीज व डॉक्‍टर के परस्‍पर विश्‍वास जनित सम्‍बन्‍ध के अन्‍तर्गत परिवादी ने रसीद के लिये जोर विपक्षी पर नहीं दिया था। ऑपरेशन के बाद विपक्षी ने परिवादी के पेट में कोई सिलाई न करके पट्टियों से बांध दिया था।

उक्‍त ऑपरेशन के लिये परिवादी के परिजन द्वारा विपक्षी के अस्‍पताल में स्थित दवाईयों की दुकान से दस हजार रूपये की दवाईयॉं व अन्‍य सामान भी खरीदा था, जिसके मांगने पर भी वितरक द्वारा रसीद नहीं दी गई। आपरेशन के करीब पॉंच घण्‍टे बाद परिवादी को रक्‍त की उल्‍टी हुई थी तथा पेट के चिरे हुये भाग से खून तथा मल निकलने लगा था, परिवादी के परिजनों ने विपक्षी को सेवारत कम्‍पाउडर से सूचना भिजवाई थी लेकिन रात भर मरणासन्‍न परिवादी को देखने के लिये विपक्षी ने आने की जहमत नहीं उठाई तथा परिवादी के अशिक्षित नर्स के द्वारा किये गये उपचार से परिवादी की हालत बिगड़ती चली गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस अस्‍पताल से निकलने के बाद परिवादी आगरा के पुष्‍पांजली हास्पिटल एवं रिसर्च सेण्‍टर में पहुँचा। हमने पुष्‍पांजलि हास्पिटल की डिस्‍चार्ज समरी का अवलोकन किया, जिसमें भर्ती की तारीख 23-10-2014 और डिस्‍चार्ज की तारीख 07-11-2014 अंकित है। इसमें मरीज के भर्ती के समय अम्बिलिकल हर्निया पाया गया और बाहर सूजन के स्‍थान पर एक चीरा मिला, जिससे फीकल पदार्थ बह रहा था। 07 दिनों से उसे दर्द की शिकायत थी। उसकी पल्‍स रेट 32 और रक्‍त चाप 110/70 पाया गया। मरीज का टैम्‍परेचर 102 डिग्री फारेनहाइट था।

हमने डॉ0 पी0के0 पाठक के पर्चे का अवलोकन किया, जिसमें अम्बिलिकस एब्‍सेस को दिनांक 20-10-2014 से बहाना लिखा है और फिर उसे उच्‍चीकृत केन्‍द्र को सन्‍दर्भित करना लिखा हुआ है। डॉ0 पी0के0 पाठक द्वारा प्रस्‍तुत लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया था, जिसमें उन्‍होंने प्रस्‍तर-12 में लिखा है कि परिवादी को दिनांक 20-10-2014 को सुबह 11.15 बजे नर्सिंग होम में भर्ती किया गया। जहॉं पर अम्बिलिकस के चारों ओर सूजन और दर्द की शिकायत थी। उस पर चीरा लगाकर मवाद को बहाने की सलाह दी गयी और उसे आई0वी0 इंजेक्‍शन तथा एण्‍टीबायोटिक भी दिये गये। इसके अतिरिक्‍त उसे इंजेक्‍शन के माध्‍यम से दर्द निवारक दवाऐं, उल्‍टी रोकने के इंजेक्‍शन तथा अल्‍सर रोकने के इंजेक्‍शन दिये गये। दिन के 2- 3 बजे तक वह लोकल एनेस्‍थेसिया के प्रभाव में था। उससे लगभग 250-300 एम0एल0 पस निकाला गया। इसके पश्‍चात् ड्रैसिंग कर दी गयी। रात 8 बजे पुन: देखा गया और पाया गया कि उसकी हालत ठीक है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

विपक्षी ने यह भी स्‍वीकार किया है कि पुन: दिनांक 21-10-2014 को सुबह 9.30 बजे मरीज का पुन: निरीक्षण किया गया और उसकी हालत में सुधार पाया गया। ड्रैसिंग, खून और पस से भीगा हुआ था। उल्‍टी की शिकायत होने पर उसे रोकने से सम्‍बन्धित इंजेक्‍शन दिया गया और ड्रैसिंग को बदला गया। उसी दिन रात 8.30 बजे पुन: निरीक्षण किया गया और उसकी हालत में सुधार पाया गया।

पुन: दिनांक 22-10-2014 को सुबह 10 बजे उसका निरीक्षण किया गया और पाया गया कि उसकी स्थिति सामान्‍य हो रही है। उसी दिन 10.30 बजे पुन: निरीक्षण किया गया और उसकी हालत ठीक पायी गयी। दिनांक 23-10-2014 को परिवादी ने विपक्षी को सुबह 7.30 बजे बुलाया और जांच में उसे ठीक पाया गया। उसने यह शिकायत की कि उसकी नाभि के पास से फीकल पदार्थ डिस्‍चार्ज हो रहा है। इसको घाव से निकाला गया और ड्रैसिंग की गयी। बड़ी सर्जरी की सुविधा अस्‍पताल में नहीं थी, इसलिए उसे सलाह दी गयी कि वह उच्‍चीकृत अस्‍पताल जाये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

विपक्षी ने यह स्‍पष्‍ट रूप से स्‍वीकार किया है कि परिवादी उसके यहॉं दिनांक 20-10-2014 से 23-10-2014 तक भर्ती रहा। इन्‍हीं तथ्‍यों के परिप्रेक्ष्‍य में विपक्षी का पत्रावली पर जो प्रेस्क्रिप्‍शन प्रस्‍तुत किया गया है वह किस दिनांक का है यह स्‍पष्‍ट नहीं है, किन्‍तु विपक्षी की स्‍वयं की स्‍वीकारोक्ति से यह स्‍पष्‍ट है कि मरीज विपक्षी के नर्सिंग होम में दिनांक 20-10-2014 से 23-10-2014 तक भर्ती रहा।

दौरान् बहस कहा गया कि वह प्रत्‍यर्थी के यहॉं भर्ती नहीं रहा, जबकि प्रत्‍यर्थी की स्‍वयं की स्‍वीकारोक्ति से यह स्‍पष्‍ट है कि मरीज इनके यहॉं भर्ती रहा। नाभि के पास सूजन और फोड़े के मवाद को चीरा देकर निकाला गया और उसकी ड्रैसिंग की गयी। उसी स्‍थान से फीकल पदार्थ बाहर आने लगा, जो प्रत्‍यर्थी की लापरवाही को स्‍पष्‍ट करता है। प्रत्‍यर्थी ने यह स्‍वीकार किया है कि उसके यहॉं बड़ी सर्जरी से सम्‍बन्धित सुविधा नहीं है, फिर भी उन्‍होंने लोकल एनेस्‍थेसिया देकर मरीज के मवाद को निकाला और अपने यहॉं लगभग 04 दिन भर्ती रखा। अगर आपरेशन छोटा था तब 04 दिन भर्ती रखने की आवश्‍यकता नहीं थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस मामले में विद्वान जिला आयोग, मैनपुरी में जो परिवाद प्रस्‍तुत किया गया, उसको विद्वान जिला आयोग, मैनपुरी ने निरस्‍त कर दिया, जिससे क्षुब्‍ध होकर यह अपील, इस राज्‍य आयोग में प्रस्‍तुत की गयी। अपील की सुनवाई राज्‍य आयोग के मा0 सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह एवं मा0 सदस्‍य श्री विकास सक्‍सेना द्वारा की गयी।

अब हमने पुष्‍पांजलि हास्पिटल की डिस्‍चार्ज समरी का अवलोकन किया, जहॉं पर रोगी दिनांक 23-10-2014 को भर्ती हुआ और दिनांक 07-11-2014 को वहॉं से डिस्‍चार्ज हुआ। वहॉं के परीक्षण में यह पाया गया कि irreducible umbilical hernia था और वहॉं पर एक कट का निशान पाया गया जहॉ से लैट्रिन का रिसाव हो रहा था। बाद में इसको “exploratory laparotomy excision of the hernia sac with resection of the herniated bowel.” किया गया। इससे स्‍पष्‍ट है कि यह मामला अम्बिलिकस हर्निया का था न कि नाभि के आस-पास सूजन का।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब हम यह देखते हैं कि विपक्षी के नर्सिंग होम में क्‍या हुआ। विपक्षी ने कहा कि परिवादी की आयु लगभग 60 वर्ष है और दिनांक 20-10-2014 को उसके नर्सिंग होम में भर्ती हुआ। नाभि के चारों ओर पिछले 06 दिनों से सूजन और लालिमा थी। इसको कहा गया कि यह अम्बिलिकस एब्‍सेस है और उसे तुरन्‍त चीरा लगाकर मवाद बहाने की सलाह दी गयी।

परिवादी को इन्‍ट्रावेनस इंजेक्‍शन, एण्‍टीबायोटिक इंजेक्‍शन, दर्द निवारक इंजेक्‍शन, उल्‍टी रोकने के इंजेक्‍शन तथा अल्‍सर निरोधी इंजेक्‍शन दिये गये तथा हालत सामान्‍य होने पर उसे लोकल एनेस्‍थेसिया देते हुए मवाद को बहाया गया और लगभग 250 – 300 एम0एल0 मवाद उसकी नाभि के आस-पास से बहाया गया। उसके पश्‍चात् इसे हाइड्रोजन परऑक्‍साइड यूसोल से धोते हुए उसकी ड्रैसिंग की गयी। दिनांक 23-10-2014 को परिवादी ने सुबह 7.30 बजे विपक्षी को बुलाया। परिवादी का पुन: परीक्षण किया गया और पाया गया कि उसकी सामान्‍य हालत पहले से अच्‍छी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

परिवादी ने यह शिकायत की कि उसकी नाभि के पास लगे चीरे से फीकल मैटर बह रहा है। विपक्षी ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ कि परिवादी ने उसकी सलाह को नहीं माना और अपने को लैट्रिन करते समय नियन्‍त्रण में नहीं रखा। तुरन्‍त ही घाव को खोला गया और फिर इसकी ड्रैसिंग की गयी। विपक्षी के यहॉं बड़ी सर्जरी की व्‍यवस्‍था नहीं थी इसलिए उसको विपक्षी ने सलाह दी कि वह उच्‍चीकृत केन्‍द्र में जाकर अपना इलाज कराये। विपक्षी ने यह भी कहा कि उसने पूरी ईमानदारी और गम्‍भीरता के साथ परिवादी का इलाज किया और इसमें न तो उसके द्वारा सेवा में कोई कमी की गयी और न ही कोई उपेक्षा दिखायी गयी। विपक्षी ने पूरी सुरक्षा के साथ परिवादी के फोड़े से मवाद निकाला। इसीलिए परिवादी दिनांक 20-10-2014 से 23-10-2014 तक ठीक था और जो भी परेशानी उत्‍पन्‍न हुई वह परिवादी की अपनी उपेक्षा और लापरवाही के कारण हुई, क्‍योंकि उसको विपक्षी की सलाह को नहीं माना।

विपक्षी ने परिवादी को ही दोषी बना दिया, यह कहते हुए कि उसने उनकी बातों को नहीं माना लेकिन नर्सिंग होम में सारा तन्‍त्र विपक्षी के अधीन कार्यरत था और वहॉ पर परिवादी, रोगी के रूप में भर्ती था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रत्‍यर्थी ने यह कहा कि शल्‍य क्रिया से उसका कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है। उसने यह भी कहा कि परिवादी की जांच पुन: की गयी थी और बार-बार इस वाक्‍यांश का प्रयोग लिखित कथन में किया गया है, जिससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि प्रत्‍यर्थी ने ही अपीलार्थी का परीक्षण किया था। यदि अस्‍पताल में कार्यरत कोई भी डॉक्‍टर कोई कार्य करता है, तो उसके लिए अस्‍पताल का दायित्‍व होता है, जैसा कि वाइकेरियस लायबिलिटी का सिद्धान्‍त कहता है।

इस मामले में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी शल्‍य क्रिया के पश्‍चात् प्रदाने करने वाली देख-भाल के प्रति पूर्ण रूप से असफल रहा, जिसका तात्‍पर्य यह हुआ कि इस अस्‍पताल में चिकित्‍सीय सुविधाओं की कमी है। यह भी आश्‍चर्यजनक है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमारी को ढंग से पहचना नहीं सका। अभिकथनों और साक्ष्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी ने लैप्रोस्‍कोपिक मामला होने के बाबजूद भी पेट में चीरा लगाया और फिर उसमें टांके लगा दिये। परिवादी को अम्बिलिकल हर्निया था और इसका इलाज उचित प्रकार से न करके पेट में चीरा लगा दिया और वहॉं पर टांके लगा दिये,, जिससे फीकल पदार्थ बहने लगा और इसको विपक्षी नियन्त्रित करने में पूर्ण रूप से असफल रहा क्‍योंकि विपक्षी के अस्‍पताल में आपरेशन के पश्‍चात् की सुविधाओं का नितान्‍त अभाव था। ऐसी स्थिति में इस मामले में रेस इप्‍सा लाक्‍युटर का सिद्धान्‍त लागू होता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रिसाइडिंग जज मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह सदस्‍य ने इस मामले में समस्‍त तथ्‍यों को देखा और यह पाया कि विपक्षी ने इस मामले में उपचार करने में लापरवही बरती है, जो समस्‍त तथ्‍यों से प्रथम दृष्‍ट्या स्‍पष्‍ट होती है। मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह ने विभिन्‍न तथ्‍यों और मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय तथा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के विभिन्‍न निर्णयों के परिप्रेक्ष्‍य में अपने 40 पृष्‍ठ के निर्णय में विपक्षी को निम्‍नलिखित आदेश दिया :-

आदेश

Advertisement. Scroll to continue reading.

वर्तमान अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-97/2015 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-09-2016 अपास्‍त किया जाता है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी डॉ0 पी0के0 पाठक, पाठक हास्पिटल, कचहरी रोड, निकट डी0ए0वी0 इण्‍टर कालेज, मैनपुरी को आदेश दिया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी रामतीर्थ को 55,000/- रू0 और इस पर दिनांक 20-10-2014 (प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती होने का दिनांक) से 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज इस निर्णय के 30 दिन के अन्‍दर अदा करे अन्‍यथा ब्‍याज की दर 15 प्रतिशत होगी जो दिनांक 20-10-2014 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक देय होगी।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी डॉ0 पी0के0 पाठक को आदेश दिया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को चिकित्‍सीय व्‍यय, मानसिक यन्‍त्रणा, अवसाद व हानि तथा वाद व्‍यय के मद में कुल 10.00 लाख रू0 और इस पर दिनांक 20-10-2014 (प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती होने का दिनांक) से 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज इस निर्णय के 30 दिन के अन्‍दर अदा करे अन्‍यथा ब्‍याज की दर 15 प्रतिशत होगी जो दिनांक 20-10-2014 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक देय होगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

विकास सक्‍सेना
सदस्‍य
राजेन्‍द्र सिंह
सदस्‍य

Advertisement. Scroll to continue reading.

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement