डीएसपी मर्डर केस : सवालों के घेरे में घिरी सीबीआई फिर करेगी जाँच, अबकी फँस गया ‘राजा’!

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अभिषेक उपाध्याय-

डिप्टी एसपी जिया उल हक हत्याकांड में राजा भैया पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा… ज्ञात हो, सुप्रीम कोर्ट ने कल ही इस मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए फिर से जाँच का आदेश दिया है।

ABP News पर सिलसिलेवार खुलासे…

कौन थे हत्याकांड के वे 36 Key witness जिनके बयान रिकॉर्ड ही नहीं किए गए?

हत्याकांड के चार दिन पहले SO मनोज शुक्ला को फ़ोन पर राजा भैया के आदमी ने कहा क्या था? मनोज शुक्ला ने ही हत्या के रोज जिया उल हक को फोन करके घटना की जानकारी दी थी।

जिया उल हक़ पर राजा किस बात का दबाव डाल रहे थे?

हत्या के वक्त राजा के बेहद करीबी अक्षय प्रताप सिंह की “वो” बेहद अहम लोकेशन क्या थी?

कैसे सीबीआई ने सिर्फ़ तीन महीने में दाखिल कर दी क्लोज़र रिपोर्ट?

सीबीआई ने जिसे जिया उल हक की हत्या का आरोपी बताया उनमें से एक कैसे मौक़े पर ही मर गया जबकि दूसरा जिस दिन ज़मानत पर जेल से छूटा, उसी दिन रहस्यमय तरीके से एक्सीडेंट में मारा गया।

कैसे जिस DBBL गन से जिया उल हक पर चोट की गई, वो नीचे गिरकर दो हिस्से में टूट गई और उस पर कोई फिंगर प्रिंट तक नही मिला?

कैसे सीबीआई ने सिर्फ राजा भैया का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया और क्लीन चिट दे दी। दूसरे किसी आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया ही नही गया।

ABP News पर सीओ जिया उल हक की पत्नी परवीन आज़ाद का वो बयान जिसमें राजा और जिया उल हक की हत्या के बीच के “लिंक” का सनसनीखेज खुलासा

ABP News पर एसओ मनोज शुक्ला का वो बयान जिसमें छिपा है जिया उल हक की हत्या के चार दिन पहले मनोज शुक्ला को आई राजा भैया के एक करीबी की बेहद अहम फोन कॉल का “वो” राज़

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों का हैरान करने वाला सच सिलसिलेवार-

सीबीआई ने केवल 3 महीने के भीतर ही (07.06.2013) चार्जशीट दाखिल कर दी। सीबीआई ने इस दौरान परवीन आजाद द्वारा आरोपी बनाए गए किसी भी आरोपी की भूमिका की जांच नही की। इस चार्जशीट को दाखिल करने के केवल डेढ़ महीने के भीतर ही इस मामले में सप्लीमेंट्री और फाइनल रिपोर्ट दोनो एक ही दिन (31.07.2013) दाखिल कर दी गई।

सीबीआई ने दो लोगों सुरेश यादव और बबलू यादव को जिया उल हक की हत्या में मुख्य आरोपी बताया। इसमें सुरेश यादव की मृत्य जिया उल हक के मर्डर की जगह पर ही हो गई थी। ये उसी DBBL गन से हुई थी जिससे वह जिया उल हक को मार रहा था। उसकी मौत के बाद ये गन जमीन पर गिरी और दो टुकड़ों में टूट गई। इससे हत्या के इस हथियार पर उसके फिंगर प्रिंट भी नही मिले। जबकि दूसरा आरोपी बबलू यादव 10.03.2017 को जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद रहस्यमय स्थितियों में एक रोड एक्सीडेंट में मारा गया। बबलू यादव के रिश्तेदार सुधीर यादव ने इस सिलसिले में रायबरेली के ऊंचाहार थाने में एक एफआईआर कराई जिसमें रघुराज प्रताप सिंह, अक्षय प्रताप सिंह व अन्य को आरोपी बनाया गया।

सीबीआई ने 36 “की विटनेस” के बयान रिकार्ड किए बगैर ही अपनी क्लोजर रिपोर्ट और सप्लीमेट्री फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी।

सीबीआई ने तीन महत्वपूर्ण महकमों के गवाहों के बयान उनकी मौजूदगी और जांच में भूमिका के बावजूद नही दर्ज किए। इसमें पुलिस अधिकारी, साइंटिफिक ऑफिसर, जिला अस्पताल प्रतापगढ़ के अधिकारी और एसबीआई कुंडा का स्टाफ शामिल था।

सीबीआई ने अर्जुन पटेल (PW-28) की मां का भी बयान नही लिया जो एक आईविटनेस थी।

सीबीआई ने मौके पर मौजूद एसओ मनोज कुमार शुक्ला का नन्हें यादव के मर्डर में तो बयान रिकार्ड किया मगर जिया उल हक के मर्डर में नही रिकार्ड किया। बड़ी बात यह है कि PW-7 शमशेर बहादुर सिंह के बयान के मुताबिक मनोज कुमार शुक्ला की इस मर्डर के सिर्फ एक हफ्ते पहले ही वहां पोस्टिंग की गई थी। जबकि PW-23 सीताराम सरोज जो जिया उल हक का ड्राइवर था, की नियुक्ति मर्डर के सिर्फ 5 दिन पहले की गई थी। ऐसे में ये जांच का अहम हिस्सा था।

चार्जशीट में शामिल जिया उल हक की सीडीआर में सारे पेज मौजूद नही थे मगर इस अहम तथ्य की भी अनदेखी की गई।

हैरानी की बात यह रही कि एसओ मनोज शुक्ला जिसने खुद एफआईआर दर्ज की और जिया उल हक को नन्हें प्रधान की हत्या की जानकारी दी, का भी बयान नही लिया गया। साथ ही दूसरे पुलिस अधिकारियों जैसे कि इस्पेक्टर सर्वेश कुमार मिश्रा और एसएसआई विनय कुमार सिंह जो हत्या के वक्त जिया उल हक के साथ मौजूद थे, के भी बयान नही लिए गए।

खास बात यह रही कि सीबीआई ने केवल राजा भैया का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया और किसी भी आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं कराया। राजा भैया को क्लीन चिट दे दी गई।

पुलिस अधिकारियों धीरेंद्र प्रताप सिंह (PW-43) और नन्हें राम गौतम (PW-77) के 161 के बयान में नन्हें सिंह, गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव और गोपाल जी उर्फ अक्षय प्रताप सिंह की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।

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