Breaking News औरैया के DM को सस्पेंड किया गया, काम में लापरवाही और करप्शन की शिकायत पर डीएम सुनील वर्मा सस्पेंड, नकल माफियाओं से सांठगांठ का भी आरोप, डीएम के ख़िलाफ विजिलेंस जांच भी होगी।
अब लग रहा है कि बलिया के डीएम एसपी भी देर सबेर सस्पेंड किए जा सकते हैं क्योंकि बलिया में भी खूब नक़ल हो रही, खुलासा करने पर पत्रकार जेल भेजे गए, नक़ल माफिया अब भी आज़ाद घूम रहे हैं।
बलिया के चोर व अकर्मण्य जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान के ख़िलाफ़ पत्रकार सड़कों पर उतर आए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र त्रिपाठी लिखते हैं-
मिश्रा जी जेल में, सिंह साहब खेल में… भला एक अपराध की सजा दो तरह कैसे? लेकिन होता है। जब आका मेहरबान तो…..पहलवान..। अपराध बढ़े तो कोतवाल लाइन हाजिर। ऊ बड़का वाला साब? ऊ फिर भी मलाई चाटेगा…क्यों? क्यों कि वो हुक्काम-हुक्मरानों के तलवे भी तो चाटता है। किसी भी जिले की कानून-व्यवस्था का प्रभारी कौन…?
कलेक्टर बहादुर और कप्तान साहब। पर्चा लीक हुआ तो सिर्फ डीआईओएस ही जिम्मेदार क्यों? निष्पक्ष -निरापद, परीक्षा को मुकाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी तो इन नौकरशाहों की भी थी। …तो ये अभी तक बाहर क्यों? हुक्काम-हुक्मरानों ने इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? वो क्या है कि …एक कहावत है-हाथियों की लड़ाई में झुंडों का नुकसान। राजदरबार में बैठे दो आला नौकरशाहों के वर्चस्व की लड़ाई में पिस गए बेचारे मीडिया कर्मी। दो पाटों के बीच में सच लहूलुहान हो रहा है।
चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।
बलिया पेपर लीक मामले में उपरोक्त बात सोलह आने सच साबित हो रही है…। यहां दो पाटन के बीच में तीन पत्रकार पिस गए। अभी तो ये आगाज है। खामोश रही विरादरी, तो आएगी औरों की भी बारी…!!!