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उत्तर प्रदेश

सोनभद्र में दो-दो दैनिक भास्कर! दो-दो ब्यूरोचीफ भी!

एक दैनिक भास्कर वाराणसी से (लखनऊ संस्करण), दूसरा मध्यप्रदेश के सिंगरौली से…

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में दैनिक भास्कर के पाठकों के सामने अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक ही अखबार वाराणसी से निकल रहे (लखनऊ संस्करण) दैनिक भास्कर में और मध्यप्रदेश के सिंगरौली संस्करण से आ रहे दैनिक भास्कर में छापकर भेजा जा रहा है।

दोनों असली दैनिक भास्कर होने का दावा करने में लगे हुए हैं। यहां मध्य प्रदेश के सिंगरौली से पहले से ही ‘सोनभद्र भास्कर’ नाम से अखबार छापकर भेजा जा रहा है। ब्यूरो चीफ की जिम्मेदारी यहीं के चंद्रकांत पांडेय को दी गई है।

उधर, दूसरी तरफ कुछ दिन पूर्व वाराणसी से भी भास्कर का निकलना शुरू हो गया है। सोनभद्र जिला मुख्यालय पर एजेंसी देकर जिले में अखबार भी भेजा जाने लगा है। इस संस्करण की जिम्मेदारी रेणूकुट के चंद्रमणि शुक्ला को जिम्मेदारी दी गई है। स्थानीय रिपोर्टर भी तेजी से रखे जा रहे हैं। आगे चलकर सोनभद्र पर किसका प्रभुत्व स्थापित होगा, इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

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ज्ञात हो कि दैनिक भास्कर समूह के कई मालिक हैं. यूपी के इलाके के दैनिक भास्कर के मालिक संजय अग्रवाल हैं. इन्होंने अखबार खुद निकालने की जगह इसकी फ्रेंचाइजी बेच रखी है लोगों को. मध्य प्रदेश वाले दैनिक भास्कर के मालिक सुधीर अग्रवाल व अन्य हैं. इनका ही दैनिक भास्कर सबसे ज्यादा बड़ा और सबसे ज्यादा कामयाब हुआ है.

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2 Comments

2 Comments

  1. चंद्र प्रकाश

    October 20, 2019 at 8:51 pm

    सोनभद्र में तो दो संस्करण हैं लखनऊ और मध्यप्रदेश वाला ,हमारे बिहार में एक ही संस्करण मुजफ्फरपुर से मोतिहारी जिसको पूर्वी चम्पारण बोलते हैं कई सालों तक दो ब्यूरो चीफ दो दफ्तर चलता था एक के हेड थे बिनोद सिंह दूसरे के रितेश वर्मा

  2. dmishra

    December 13, 2019 at 5:35 pm

    वाराणसी के रोहनियां थाने का हत्यारोपी बन गया बन गया वाराणसी
    संस्करण दैनिक भास्कर का संपादक
    बन्दर के हाथ लगा अस्तुरा…….निष्पक्ष पत्रकारिता की ऐसी की तैसी
    कहते हैं कि जब बन्दर के हाथ अस्तुरा लग जाता है तो परिणाम कुछ खतरनाक
    ही आते हैं। यही हाल देश का नामचीन अखबार दैनिक भास्कर का हो गया है।
    आजकल देश के नामचीन अखबार संस्थानों द्वारा निष्पक्ष, गुणवत्तापरक एवं
    पारदर्शी पत्रकारिता पर ध्यान न देकर अब अपराधियों एवं माफियाओं को
    पत्रकारिता से जोडकर पुलिस और कानून से बचने के लिए संरक्षण दिया जा
    रहा है। इसके बदले मे सम्बन्धित व्यक्ति से लाखों की वसूली अखबार प्रबन्धन
    कर लेता है। यह पत्रकारिता जगत के लिए शुभ संकेत नही है। देश का
    ख्यातिलब्ध समाचार पत्र दैनिक भास्कर प्रबन्धन ने अभी 29 सितम्बर 2019 को
    वाराणसी संस्करण का प्रकाशन नियम-कानून को ताख पर रखकर शुरू किया।
    जिसका उद्वघाटन दैनिक भास्कर के कन्ट्री हेड लल्लन मिश्रा द्वारा किया गया। दैनिक
    भास्कर प्रबन्धन ने वाराणसी संस्करण के लिए पुलिस से बचने-छिपने वाले
    तथा वाराणसी के रोहनियां थाने मे दर्ज हत्या के आरोपी वरूण उपाध्याय
    को संपादक बना दिया। वरूण उपाध्याय को वाराणसी संस्करण का संपादक बनाकर
    दैनिक भास्कर प्रबन्धन ने लाखों रूपये की वसूली की। भरोसेमंद सूत्र
    बताते हैं कि वाराणसी संस्करण का संपादक बनने के लिए वरूण उपाध्याय को
    60 लाख रूपये दैनिक भास्कर प्रबन्धन के जेब मे डालने पडे। लेकिन चैंकाने
    वाला बात तो यह है कि वाराणसी संस्करण के प्रिन्ट लाइन मे लखनऊ संस्करण
    के संपादक श्री राजेन्द्र बहादुर सिंह का नाम आज भी छप रहा है और पेज के
    अन्दर एक कालम मे संपादक के कलम से लिखा गया लेख वरूण उपाध्याय का नाम व
    उनका फोटो प्रकाशित होता है। जो नियम विरूद्व है। वाराणसी संस्करण का
    दैनिक भास्कर का अखबार छप रहा है वाराणसी मे और प्रिन्ट लाइन लखनऊ का
    है। किसके आदेश और किस अधिकार से दैनिक भास्कर का प्रकाशन वाराणसी
    से हो रहा है। यह बुद्वजीवियों लिए विचारणीय प्रश्न है।
    अब दैनिक भास्कर जनभावनाओं के अपेक्षाओं और विश्वास पर खरा न
    उतरकर ठगी, अवैध वसूली आदि के लिए गैर कानूनी कार्य करने वाला एक मजबूत
    प्लेटफार्म बन चुका है। इसके एक नही अनेकों प्रमाणित उदाहरण हैं।
    दैनिक भास्कर के सीएमडी दीपक द्विवेदी एवं कन्ट्री हेड लल्लन मिश्रा द्वारा
    उपरोक्त फार्मूले और फर्जीवाडे का प्रयोग करते हुए सर्व प्रथम मुरादाबाद
    संस्करण शुरू किया गया। लेकिन यह संस्करण दो माह का का समय भी पूरा नही
    कर पाया और दो माह के अन्दर ही मुरादाबाद संस्करण बन्द हो गया। फिर इसी
    प्रबन्धन ने आगरा संस्करण का शुरूआत 01 नवम्बर 2018 को किया गया। यह
    संस्करण भी दो माह का समय पूर्ण नही कर पाया और बन्द हो गया। ठगी
    और अवैध वसूली का अभियान यही नही बन्द हुआ फिर बदायूं एडिशन की
    शुरूआत हुआ। यह भी दो महीने के अन्दर ही बन्द हो गया। उपरोक्त तीनों
    मामलों मे अवैध वसूली के शिकार हुए प्रभावित लोगों ने दैनिक भास्कर
    के सीएमडी दीपक द्विवेदी एवं कन्ट्री हेड लल्लन मिश्रा आदि विरूद्व न्यायालय मे
    न्याय की गुहार लगा चुके हैं। दैनिक भास्कर के सीएमडी और कन्ट्री हेड को
    किसी भी समय जेल की हवा खानी पड सकती है। फर्जीवाडे के नींव पर बना
    वाराणसी संस्करण कितने दिनों का मेहमान है यह तो आने वाला समय ही
    बतायेगा।

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