अनिल भास्कर-
एलन मस्क – जिसे हम दुनिया के सबसे बड़े धन्नासेठ के तौर पर जानते हैं। कुछ लोग उन्हें इलेक्ट्रिक कार कम्पनी टेस्ला के संस्थापक के रूप में भी पहचानते हैं। आज से उनकी पहचान अंतरिक्ष में पर्यटन की शुरुआत करने वाले शख़्स के तौर पर भी होगी। लेकिन ये पहचान उनकी शख्सियत की लघुकृति भर है। यह जानना और भी प्रेरक है कि 50 वर्ष के एलान 50 साल आगे की दुनिया देखते हैं। उसका खाका खींचते हैं। उसे चलाने के लिए जरूरी वैज्ञानिक आधार रचने में जुटे हैं।
भौतिक विकास के मौजूदा मॉडल से बहुत हद तक असहमति के बावजूद मुझे एलन को नवोन्मेष का प्रतीक पुरुष मानने में सुखद अनुभूति हो रही है। वह इसलिए कि आमतौर पर किसी भी कारोबारी-उद्योगपति का लक्ष्य जहां सिर्फ अपनी कुल सम्पत्ति से आंकड़े में एक नया शून्य जोड़ना होता है, वहां एलन वैश्विक चिंताओं का हल ढूंढने में अपना सबकुछ दांव पर लगाने को तैयार खड़े हैं।
कहने को एलन इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले एक बड़े कारोबारी हैं, जो ऑटोमोबाइल, सोलर पैनल, सैटेलाइट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में नए प्रयोगों से हमेशा चर्चा के केन्द्र में रहते हैं। आज तमाम अखबारों में आपने चार पर्यटकों को अंतरिक्ष की सैर पर भेजे जाने के ऐतिहासिक प्रयोग की कहानी पढ़ी होगी। यह कारनामा भी एलन मस्क के प्रयोग के साकार होने का ही है। एलन की कम्पनी स्पेसएक्स ने कई सालों के प्रायोगिक अनुसंधान के बाद इस मिशन को अंजाम दिया।
हालांकि एलन के सपने इससे काफी बड़े हैं। वह चांद के साथ-साथ मंगल ग्रह पर इंसानों के लिए स्थायी ठिकाना बनाना चाहते हैं। इन दोनों ठिकानों तक पृथ्वी से रेगुलर फ्लाइट शुरू करना चाहते हैं ताकि आम इंसान भी वहां सैर-सपाटे के लिए जा सके। एलन कहते हैं कि इस मिशन के लिए अगर उन्हें अपनी सारी दौलत भी लगानी पड़े तो वह पीछे नहीं हटेंगे। इस मिशन के तहत उनकी कम्पनी अब तक करीब 1500 छोटे उपग्रह लांच कर चुकी है, जिन्हें स्पेस वर्ल्ड में स्टारलिंक सेटेलाइट्स के नाम से जाना जाता है।
एलन के सपने सिर्फ अंतरिक्ष अन्वेषण तक सिमटे नहीं हैं। वह पूरी दुनिया को सौर ऊर्जा से चलाना चाहते हैं। वह मानते हैं पारंपरिक ईंधन भंडार अंतहीन नहीं। इनका अंधाधुंध इस्तेमाल जिस तेज़ी से ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती को महासंकट में बदल रहा है, पूरी मानव सभ्यता को बचाने का एक ही उपाय है वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विकास और उस पर निर्भरता। टेस्ला इसी उपाय पर लगातार काम कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को किफायती बनाने से लेकर उसे सर्वसुलभ करने की का मिशन ही टेस्ला का ध्येय बन गया है।
साथ ही टेस्ला बिना ड्राइवर वाली कार भी आम उपभोक्ताओं लिए बाजार में उतारने की तैयारी में है। इन नवोन्मेषी तैयारियों के साथ टेस्ला ने अपनी मार्केट वैल्यू में ऐतिहासिक वृद्धि की और इस साल के शुरुआत में ही पहली 700 बिलियन डॉलर का लक्ष्य पार कर लिया जो दुनिया की शीर्ष कार कम्पनियों- टोयोटा, फ़ॉक्सवैगन, ह्यूनडाई, जनरल मोटर्स और फ़ोर्ड की कुल मार्केट वैल्यू से भी ज्यादा है।
हमारे भविष्य की ऊर्जा सिर्फ बिजली होगी- एलन इसी विश्वास की बुनियाद पर सौर ऊर्जा के अधिकतम इस्तेमाल वाली व्यवस्था गढ़ना चाहते हैं। वह अमेरिका में सौर ऊर्जा से संचालित ट्यूब ट्रेन के प्रोजेक्ट पर तो काम कर ही रहे हैं, आम लोगों की ज़िंदगी भी सौर ऊर्जा से रोशन करने के लिए अभिनव प्रयोगों में जुटे हैं।
घरेलू उपयोग वाले सोलर पैनल वाली उनकी सबसे बड़ी कम्पनी ने लगभग पांच साल पहले एक ऐसा विकल्प बाजार में पेश किया जिसमें घर की छतों पर अलग से सोलर पैनल लगाने की जरूरत नहीं रह गई थी। बल्कि छतों की टाइल्स में ही सौर पैनल लगा दिया गया था और इससे घर की बिजली की ज़रूरतें पूरी की जा सकती थी। अब जरा सोचिए कि यदि यह विकल्प सर्वसुलभ हो जाए तो दुनियाभर में ऊर्जा संकट की गंभीर चुनौती को कितनी आसानी से मात दी जा सकती है।
अब अहम सवाल यह कि धन्नासेठों की सूची में शुमार तो अम्बानी-अडानी से लेकर भारती-मित्तल तक कई अपने देश के कारोबारी-उद्योगपति भी हैं, लेकिन उनकी व्यावसायिक नीति-सिद्धान्तों में क्या राष्ट्रीय या वैश्विक चिंता का बोध है? माना कि उनकी उद्यमशीलता से देश की अर्थव्यवस्था को एक हद तक गति मिलती है। सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर प्रभावित होती है। लेकिन क्या इसके बावजूद मुनाफाखोरी उनका अकेला लक्ष्य नहीं रह जाता है? कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर के मार्फ़त समाज को सीधे तौर पर कुछ देने की जिम्मेदारी भी तो वे पूरी ईमानदारी से नहीं उठा रहे।
खैर, देश और दुनिया को आगे बढ़ाने की एलन मस्क की नवोन्मेषी व्यापारशैली हमारे धन्नासेठों के लिए कभी तो आदर्श बनेगी, चलिए फिलहाल इस उम्मीद को जिंदा रखते हैं।