फासीवाद के खात्मे की आज 70वीं वर्षगांठ है। दुनियाभर में कई जगह द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के इस खास मौके पर आयोजन हो रहे हैं लेकिन भारत सरकार और उसके पिछलग्गू मीडिया ने इस पर चुप्पी साधी हुई है! एकदम अनभिज्ञ! जैसे कुछ पता ही न हो! जिन भारतीय सैनिकों ने दूसरे विश्वयुद्ध में फासीवादी राष्ट्रों को मात देने में अपना बलिदान दिया क्या उनके योगदान को इस अवसर पर प्रमुखता से रेखांकित नहीं किया जाना चाहिए था? उनका स्मरण क्यों नहीं? आखिर क्या वजह है कि भारत सरकार ने इस तरफ से आँखें मूंद ली?
कहीं इसकी वजह मोदी सरकार के पितृ संगठन आरएसएस की फासीवादी विचारधारा तो नहीं ! मोदी सरकार का अघोषित फासीवादी एजेंडा !
अफ़सोस विपक्ष के रवैये को लेकर भी है। क्या उसे इस मौके पर मुसोलिनी और आरएसएस के तात्कालिक मार्गदर्शकों की प्रॉक्सिमिटी को एक्सपोज़ नहीं करना चाहिए था? और ये फेसबुक पर हिंदी के लिक्खाड़? सुबह से किसी की एक पोस्ट नहीं दिखी!
क्या अब यह मान लिया जाए कि जब दुनिया में फासीवाद के अंत का जश्न मनाया जा रहा है, ठीक उसी वक्त भारत में फासीवाद का स्वागतगान तैयार है?
मुकेश यादव के एफबी वॉल से