फतेहपुर के पत्रकारों को गैंगरेप पीड़िता के परिवार से शुभाशीष मिला और प्रशासन से मुकदमा…मामला फतेहपुर जनपद का है. लगभग सभी समाचार पत्र व टीवी मीडिया संस्थानों पर एक भाजपा विधायक ने मुकदमा पंजीकृत करा दिया है।
22 जून 2021 को पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने एक पीड़ित परिवार एक शिकायती पत्र लिए खड़ा था। समाचार संकलन के दौरान पत्रकारों ने इस परिवार के दर्द को सुना। शिकायती पत्र में यह दर्ज था कि उसकी पुत्री को 3 लोग 10 जून 2021 को ले गए। इसकी नामजद शिकायत थाना पुलिस को की गई। 3 दिन बाद यानी 13 जून को कहीं से सुराग मिलने पर उसने पुलिस को सूचना दी। तब उसकी लड़की बरामद हुई।
लड़की ने बताया कि उसके साथ तीन लोगों ने दुष्कर्म किया है और उसको बबलू विधायक के बंगले में भी रखा गया था। लड़की के नाबालिक होने के बाद पुलिस द्वारा परिवार को न सौंपकर लड़की को तीन दिन तक पुलिस द्वारा थाने में रखा गया। वहीं से उसे मेडिकल के लिए भी पुलिस द्वारा ले जाया गया। कोर्ट में 164 का बयान भी अपने मनमुवाफिक कराया गया। विधायक जी से जुड़ा मामला होने के कारण सब कुछ हर स्तर पर मैनेज करने की कोशिश की गई।
इस मामले में पुलिस ने जो कहानी बताई वो ये कि मां की डांट से नाराज होकर लड़की अपने मन से चली गई थी।
इधर, पीड़ित लड़की व उसके पिता ने कैमरे पर अपनी आपबीती सुनाई। मामले को कई पत्रकारों ने रिकार्ड किया। पुलिस से मामले की हकीकत जाननी चाही जिसमें एडिशनल एस पी राजेश कुमार द्वारा बयान दिया गया कि मामला दुष्कर्म का नहीं है और लड़की ने 161 व 164 के बयान में कहा भी है।
पूरे मामले में पुलिस पर्दा डालती रही। विधायक जी ने अपने बचाव में अपने लेटर पेड पर प्रेसनोट जारी कर दिया जिसमें कहा गया कि वह पीड़ित व आरोपी किसी को नहीं जानते न ही पहचानते हैं।
बताया जाता है कि तीन आरोपियों में से एक का चाचा विधायक जी का बहुत खास है जिससे एक आरोपी को बचाने के लिए पुलिस प्रशासन पर बहुत दबाव डाला गया था।
पीड़ित के बयान, पुलिस की बाइट, विधायक की सफाई जोड़कर लगभग सभी समाचार पत्रों ने इस खबर को प्रमुखता से छाप दिया। कुछेक टीवी मीडिया ने भी प्रसारित कर दिया। इसके बाद पुलिस को कार्यवाही के लिए विवश होना पड़ा।
जिस मामले में पुलिस घटना से ही इनकार कर रही थी, उस मामले का खुलासा कर दिया और पास्को सहित 376D में तीन आरोपियों का चालान कर दिया। बबलू नाम के एक अन्य शख्स को बबलू विधायक के नाम की जगह शामिल कर लिया जो अभी तक फरार है।
घटना के खुलासे की प्रेस कांफ्रेंस पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल द्वारा की गई। पूरी कांफ्रेंस में दुष्कर्म की घटना का जिक्र कम विधायक विकास गुप्ता उर्फ बबलू को क्लीन चिट देने की कवायद ज्यादा की जाती रही। लापरवाही बरतने में सिर्फ एक दरोगा को निलंबित कर दिया गया।
बरामदगी के बाद तीन दिन तक बिना अभिभावक के थाने में रखना और अपने प्रभाव के साथ 161 ,164 का बयान कराना, ये सभी चीजें पुलिस प्रशासन को पूरी तरह सवालों के घेरे में खड़ा करती हैं. बुरी तरह फंस रहे पुलिस व प्रशासन के लोगों ने एक साजिश रची. विधायक से पत्रकारों के खिलाफ एक शिकायती पत्र लिया गया. जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे व पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल ने पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा लिखवा दिया। कोशिश ये थी कि पत्रकार अपने ही मामले में व्यस्त हो जायें और गैंगरेप की खबर की तह में न जाएं। डर के मारे आगे भी खबरें न छापें। लेखपालों को मौखिक निर्देश दिया कि कहीं से कुछ भी निकालो जिससे मुकदमा लिखा जा सके। यह मुकदमा पूर्व में प्रकाशित “कोरोना काल में एक गांव में 100 मौत” का भी प्रतिफल रहा जिसमें जिलाधिकारी निरुत्तर हो गई थीं।
खबर ये भी है मुकदमा लिखने के बाद कुछ पत्रकारों व मीडिया संस्थानों ने अकेले जाकर चुपचाप विधायक व जिला प्रशासन को मैनेज कर लिया। लेकिन कुछ पत्रकारों के क्रांतिकारी अंदाज में कोई बदलाव नहीं है। वे मामले को किसी भी हद तक ले जाने की योजना बनाए हैं। इनका कहना है कि मुकदमा एक नहीं 100 लिख जाए लेकिन एक गरीब पीड़ित को इंसाफ मिलना चाहिए। गरीब का शुभाशीष प्रशासन द्वारा पत्रकारों पर कराए गए मुकदमे पर भारी है। कुछेक विभीषण, दरबारी, सरकारी दफ्तरों की चाय का गुणगान करने वाले, सरकारी कृपा से पलने वाले चिंटू टाइप कथित पत्तलकारो को छोड़कर शेष पत्रकार बेहद खुश हैं कि गरीब को न्याय मिला और नेता प्रशासन पुलिस के लोग नंगे हुए।