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सियासत

उन्नाव कांड की एफआईआर में एक पत्रकार और एक वकील का भी नाम!

जेपी सिंह

उन्नाव रेप कांड की पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे के प्रकरण में सीबीआई ने विधायक कुलदीप सेंगर सहित जिन कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है उसमें पत्रकार और वकील भी शामिल हैं। आरोपियों में से एक हैं अरुण सिंह जिन्हें योगी सरकार में कृषि राज्य मंत्री रणवेंद्र सिंह उर्फ धुन्नी सिंह का दामाद बताया जा रहा है. रेप पीड़िता के परिजनों का कहना है कि ये वो ही अरुण सिंह हैं, जो मंत्री के दामाद हैं और नवाबगंज से ब्लॉक प्रमुख हैं.

एफआईआर में कुलदीप सिंह सेंगर, मनोज सिंह सेंगर, विनोद मिश्रा, हरिपाल सिंह, नवीन सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, रिंकू सिंह, वकील अवधेश सिंह को आरोपी बनाया गया है। इसमें हरिपाल सिंह और रिंकू सिंह रेप केस में आरोपी शशि सिंह के पति व बेटे हैं। कोमल सिंह विधायक के भाई मनोज सिंह के दोस्त हैं। नवीन सिंह विधायक के राइट हैंड कहे जाते हैं। ज्ञानेंद्र सिंह पत्रकार हैं और कुलदीप के खास दोस्तों में से हैं। ज्ञानेंद्र हिंदुस्तान अखबार में काम कर चुके हैं और वे अखबार की एजेंसी भी चलाते हैं। ज्ञानेंद्र के बारे में कहा जाता है कि वह विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के साथ साये की तरह हरदम रहता है। वकील अवधेश सिंह कुलदीप के मामलों की पैरवी करते हैं। इसके अलावा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।

उन्नाव रेप कांड में सड़क हादसे के बाद सड़क से सुप्रीमकोर्ट तक हंगामा मचने के बाद भाजपा डैमेज कंट्रोल मोड़ में आ गयी है और रेप के मुख्य आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भाजपा ने पार्टी से निकाल दिया है। इस मामले में सेंगर के घिरने के बाद पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया है। दरअसल विपक्ष के विरोध के बीच सेंगर का मामला भाजपा के लिए गले की फांस बनता जा रहा था और उच्चतम न्यायालय के संज्ञान लेने के बाद प्रदेश ही नहीं पूरे देश में यह संदेश जा रहा था कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के साथ पूरा उत्तर प्रदेश शासन है। ऐसे में पार्टी से सेंगर को निकालने का फैसला लिया गया। विपक्षी दलों का आरोप था कि इस पूरे मामले में विधायक सेंगर को भाजपा का समर्थन मिल रहा है।

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इस मामले में लगातार फजीहत के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने सफाई दी कि कुलदीप सिंह सेंगर को करीब दो साल पहले बलात्कार का आरोप लगने के बाद ही निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि सेंगर को लेकर पार्टी का फैसला अब भी कायम है और सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी है। इससे पहले उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने भी सफाई देते हुए कहा था कि उन्हें पहले ही पार्टी से निलंबित किया जा चुका है। इसके बाद स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी आलाकमान ने गुरुवार को अचानक दिल्ली तलब किया था। स्वतंत्र देव अयोध्या दौरे को बीच में छोड़कर विशेष विमान से दिल्ली चले गए थे। इसके बाद ही ये साफ हो गया था कि पार्टी कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

उन्नाव के बांगरमऊ विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए कुलदीप सिंह सेंगर पर वर्ष 2017 में नाबालिग लड़की ने रेप का आरोप लगाया था। पीड़ित लड़की के मुताबिक न सिर्फ विधायक बल्कि उनके आदमियों ने भी उससे रेप किया था। मूल रूप से फतेहपुर के रहने वाले कुलदीप सिंह सेंगर की माखी गांव में तूती बोलती है। उन्नाव के माखी थाना क्षेत्र के सराय थोक में उनका ननिहाल है। वे यहीं आकर बस गए। कुलदीप सेंगर ने यूथ कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी। वे उन्नाव के अलग-अलग विधानसभा सीटों से लगातार 4 बार जीतकर विधायक निर्वाचित हुए हैं। सेंगर वर्ष 2002 में भगवंतनगर से बीएसपी के टिकट पर सबसे पहली बार विधायक बने। इसके बाद 2007 और 2012 में वो सपा के टिकट पर चुने गए जबकि वर्ष 2017 में वो उन्नाव जिले के बांगरमऊ से भाजपा के टिकट पर चुनकर विधानसभा पहुंचे।

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उन्नाव कांड के सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली में सात दिन में जांच, 45 दिन में ट्रायल पूरा करने का सुप्रीम आदेश

इस बीच, उन्नाव रेप केस में उच्चतम न्यायालय ने बहुत कड़ा रुख अपनाया है। गुरुवार को इस मामले की तीन बार उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इस मामले का ट्रायल 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के साथ ही अब एक बार फिर उन्नाव रेप केस में न्याय होने की उंम्मीद है, हालाँकि जब ट्रायल शुरू होंगे तब पता चलेगा कि सीबीआई की विवेचना में कितना दम है।

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उच्चतम न्यायालय ने उन्नाव मामले से जुड़े सभी पांच केस को लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है। पीड़िता के एक्सीडेंट के मामले की जांच सीबीआई को सात दिन में पूरी करने का निर्देश दिया है । पीड़िता के परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी जाएगी, साथ ही साथ वकील को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। उत्तर प्रदेश की सरकार को आदेश दिया गया है कि वह पीड़िता को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा शुक्रवार तक दे। पीड़िता को अगर लखनऊ में इलाज नहीं मिल पा रहा तो उसे एम्स में शिफ्ट किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने परिवार से पूछकर पीड़िता के शिफ्ट करने पर फैसला लेने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने इस केस से जुड़े ट्रायल को 45 दिन में पूरा करने और दिन प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस ने पूछा कि अगर पीड़िता के चाचा को जेल से शिफ्ट किया जाना है तो बताएं और रिपोर्ट दें। अगर पीड़िता को कोई भी शिकायत करनी हो तो वो सीधा उच्चतम न्यायालय के पास आए।

गौरतलब है कि उन्नाव मामले को लेकर गुरुवार को तीन बार उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। तीनों ही बार चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले को सुना, जिसमें पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट, उसे दिल्ली ट्रांसफर करने की स्थिति, सीबीआई से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई। उच्चतम न्यायालय ने इसके अलावा उस मामले में भी सख्ती दिखाई है, जिसमें पीड़िता की मां के द्वारा लिखी गई चिट्ठी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई तक नहीं पहुंची थी। चीफ जस्टिस ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर काफी दिनों पहले लिखी गई चिट्ठी उन तक क्यों नहीं पहुंची थी।सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि अदालत में रजिस्ट्री के पास हर महीने 6000 से अधिक चिट्ठियां आती हैं। जुलाई महीने में चिट्ठियों की संख्या 6800 के करीब थी।पीड़िता का नाम पता नहीं होने की वजह से चिट्ठी में देरी हुई। हालांकि, मामला सामने आते ही चिट्ठी चीफ जस्टिस के सामने पेश कर दी गई थी।

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सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि उन्हें उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे और अन्य मामलों की जाँच के लिए कितना समय चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से एक महीने का वक़्त माँगा। इस पर सीजेआई ने कहा कि एक महीना बहुत ज़्यादा है, आप 7 दिन में जाँच पूरी कीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सड़क हादसे की चार्जशीट दिल्ली के कोर्ट में दाख़िल की जाए। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल से पूछा था कि क्या आर्म्स ऐक्ट में पीड़िता के पिता की गिरफ़्तारी हुई थी? क्या पीड़िता के पिता की मौत हिरासत में हुई थी?

बता दें कि उन्नाव की बलात्कार पीड़िता के परिवार की ओर से सीजेआई रंजन गोगोई को पत्र भेजा गया था। यह पत्र पीड़िता के परिवार की ओर से 12 जुलाई को भेजा गया था और इसमें बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के गुर्गों की धमकियों के बारे में बताया गया था। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से जवाब माँगा था कि पीड़िता के परिवार की ओर से लिखे गए पत्र को उनके सामने लाने में देरी क्यों हुई।बलात्कार पीड़िता की गाड़ी को ट्रक से टक्कर मारे जाने की घटना के बाद से ही पीड़िता के परिजन यह कह रहे थे कि यह घटना विधायक के इशारे पर हुई है। परिजनों ने यह भी कहा था कि विधायक के गुर्गे लगातार उन्हें धमका रहे थे।पीड़िता की बहन ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के लोग उन्हें धमकाने आते थे। वीडियो में दिख रहा व्यक्ति विधायक की क़रीबी शशि सिंह का पति है। शशि सिंह पीड़िता के साथ हुए बलात्कार के मामले में पिछले साल से ही जेल में बंद है।

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रविवार को पीड़िता जब रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी तो रास्ते में उनकी गाड़ी को ग़लत दिशा से आ रहे एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी थी। इस घटना में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई थी जबकि ख़ुद पीड़िता और वकील की हालत बेहद गंभीर है। इस मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी गई है। मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उनके भाई मनोज सिंह सेंगर और 8 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ हत्या, हत्या की साज़िश रचने का मुक़दमा दर्ज कराया गया है। पीड़िता के चाचा की शिकायत पर यह मुक़दमा दर्ज कराया गया है।

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.

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