Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

फ्रांस के 56 लाख मुसलमानों में आजकल कंपकंपी दौड़ी हुई है

फ्रांस के मुस्लिम मुसीबत में… फ्रांस के 56 लाख मुसलमानों में आजकल कंपकंपी दौड़ी हुई है, क्योंकि ‘इस्लामी अतिवाद’ के खिलाफ फ्रांस की सरकार ने एक कानून तैयार कर लिया है। राष्ट्रपति इमेन्यूएल मेक्रो ने कहा है कि यह कानून किसी मजहब के विरुद्ध नहीं है और इस्लाम के विरुद्ध भी नहीं है लेकिन फिर भी फ्रांस के मुसलमान काफी डर गए हैं।

फ्रांस में तुर्की, अल्जीरिया और अन्य कई यूरोपीय व पश्चिमी एशियाई देशों के मुसलमान आकर बस गए हैं। ऐसा माना जाता है कि उनमें से ज्यादातर मुसलमान फ्रांसीसी धर्मनिरपेक्षता (लायसीती) को मानते हैं लेकिन अक्तूबर में हुई एक फ्रांसीसी अध्यापक सेमुअल पेटी की हत्या तथा बाद की कुछ घटनाओं ने फ्रांसीसी सरकार को ऐसा कानून लाने के लिए मजबूर कर दिया है, जो मुसलमानों को दूसर दर्जे का नागरिक बनाकर ही छोड़ेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस कानून के विरुद्ध तुर्की समेत कई इस्लामी देश बराबर बयान भी जारी कर रहे हैं। इस कानून के लागू होते ही मस्जिदों और मदरसों पर सरकार कड़ी निगरानी रखेगी। उनके पैसों के स्त्रोतों को भी खंगालेगी। वह मुस्लिम बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान देगी। उन्हें कट्टरवादी प्रशिक्षण देने पर रोक लगाएगी। यदि मस्जिद और मदरसे फ्रांस के ‘गणतांत्रिक सिद्धांतों’ के विरुद्ध कुछ भी कहते या करते हुए पाए जाएंगे तो उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

लगभग 75 प्रतिबंध पिछले दो माह में लग चुके हैं और 76 मस्जिदों के विरुद्ध अलगाववाद भड़काने की जांच चल रही है। इमामों को भी अब सरकारी देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार ने इस्लामद्रोह-विरोधी संगठन को भी भंग कर दिया है। अब तक अरबी टोपी, हिजाब, ईसाई क्रास आदि पहनने पर रोक सिर्फ सरकारी कर्मचारियों तक थी। उसे अब आम जनता पर भी लागू किया जाएगा। तीन साल से बड़े बच्चों को घरों में तालीम देना भी बंद होगा। डाक्टरों द्वारा मुसलमान लड़कियों के अक्षतयोनि (वरजिनिटी) प्रमाण पत्रों पर भी रोक लगेगी। बहुपत्नी विवाह और लव-जिहाद को भी काबू किया जाएगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

तुर्की और मिस्र जैसे देशों में इन प्रावधानों के विरुद्ध कटु प्रतिक्रियाएं हो रही हैं लेकिन फ्रांस के 80 प्रतिशत लोग और मुस्लिमों की फ्रांसीसी परिषद भी इन सुधारों का स्वागत कर रही है। ये सुधार राष्ट्रपति मेक्रो की डगमगाती नैया को भी पार लगाने में काफी मदद करेंगे। उन्हें 2022 में चुनाव लड़ना है और इधर कई स्थानीय चुनावों में उनकी पार्टी हारी है और उनके कई वामपंथी नेताओं ने दल-बदल भी कर लिया है।

लेखक डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और विदेशी मामलों के जानकार हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement