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दिल्ली

बगिंग वाली खबर वाकई निराधार है तो संसद का समय खराब करने के लिए संबंधित खबरनवीस के खिलाफ कार्रवाई हो

Sanjaya Kumar Singh : नितिन गड़करी के शयन कक्ष में उच्च शक्ति वाले बगिंग डिवाइस या सुनने के उपकरण लगे होने की खबर अगर निराधार है तो सरकार को चाहिए कि यह खबर जिसने दी उसके खिलाफ कार्रवाई करे या शिकायत दर्ज कराए। मीडिया की खबरों पर विपक्ष में रहते हुए हंगामा करना और सत्ता में रहने पर उसे निराधार और बेबुनियाद कहकर मुक्त हो जाना – क्या दर्शाता है। मैं नहीं कहता कि गडकरी के घर में बगिंग डिवाइस होने की खबर सही ही है पर यह कैसे शुरू हुई इसका कोई आधार जरूर होगा।

<p>Sanjaya Kumar Singh : नितिन गड़करी के शयन कक्ष में उच्च शक्ति वाले बगिंग डिवाइस या सुनने के उपकरण लगे होने की खबर अगर निराधार है तो सरकार को चाहिए कि यह खबर जिसने दी उसके खिलाफ कार्रवाई करे या शिकायत दर्ज कराए। मीडिया की खबरों पर विपक्ष में रहते हुए हंगामा करना और सत्ता में रहने पर उसे निराधार और बेबुनियाद कहकर मुक्त हो जाना - क्या दर्शाता है। मैं नहीं कहता कि गडकरी के घर में बगिंग डिवाइस होने की खबर सही ही है पर यह कैसे शुरू हुई इसका कोई आधार जरूर होगा।</p>

Sanjaya Kumar Singh : नितिन गड़करी के शयन कक्ष में उच्च शक्ति वाले बगिंग डिवाइस या सुनने के उपकरण लगे होने की खबर अगर निराधार है तो सरकार को चाहिए कि यह खबर जिसने दी उसके खिलाफ कार्रवाई करे या शिकायत दर्ज कराए। मीडिया की खबरों पर विपक्ष में रहते हुए हंगामा करना और सत्ता में रहने पर उसे निराधार और बेबुनियाद कहकर मुक्त हो जाना – क्या दर्शाता है। मैं नहीं कहता कि गडकरी के घर में बगिंग डिवाइस होने की खबर सही ही है पर यह कैसे शुरू हुई इसका कोई आधार जरूर होगा।

और अगर जैसा कि नितिन गड़करी और राजनाथ सिंह कह रहे हैं – बिल्कुल निराधार और बेबुनियाद है तो मूल रूप से जिसने खबर दी है (कि गड़करी के शयन कक्ष में बगिंग डिवाइस लगे हैं /मिले हैं, पहले दिल्ली में और फिर मुंबई में) उससे क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि उसे यह सपना आया था या उसका कोई स्रोत है। अगर खबर वाकई निराधार है तो देश की संसद का समय खराब करने के लिए क्या मूल रूप से खबर देने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

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अगर कोई 100 नंबर पर फोन करके किसी सार्वजनिक स्थल पर बम रखे होने की सूचना देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है जबकि उसमें कुछ पुलिस वाले ही परेशान होते हैं। यहां पूरी संसद परेशान है, सरकार कितने नेक इरादे लेकर बैठी है काम करने के लिए उसे काम नहीं करने दिया जा रहा है – फिर कार्रवाई क्यों नहीं।

अगर सरकार ने मीडिया को बेसिरपैर की निराधार और बेबुनियाद खबरें छापने की छूट दे रखी है तो यह घोषणा ही कर दे। जब मीडिया और सरकार दोनों अपनी भूमिका ठीक से न निभाएं तो कुछ भी हो सकता है। संबंधित मूल खबर देने वाले को भी चुप रहने की बजाय आगे आ कर के सबूत देना चाहिए। ऐसा कुछ न होने से यह सब प्रकरण सरकार और मीडिया की मिलीभगत लग रही है। संसद का समय कट रहा है।

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वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.

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