Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

हाइवे पर ट्रकों-ट्रालियों की अवैध पार्किंग पर जुर्माना क्यों नहीं गडकरीजी?

ट्रैफिक रूल के उल्लंघन को लेकर जुर्माने के नए कानून पर मचे बवाल के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया है कि यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने में भारी वृद्धि का फैसला कानून का पालन अनिवार्य बनाने के लिए किया गया है, न कि सरकारी खजाने को भरने के मकसद से।गडकरी ने देश में सड़क हादसों में हो रही मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके लिए कड़े जुर्माने के बिना ट्रैफिक रूल कोई मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि जुर्माना बढ़ाने का फैसला काफी समझ-बूझकर और विभिन्न पक्षों से सलाह लेकर लागू किया गया है। अब गडकरी जी को कौन समझाए कि भारतीय दंड संहिता अंग्रेजों के जमाने से यानी 19 वीं शताब्दी से देश में लागु है और साल दर साल जघन्य अपराधों में वृद्धि होती जा रही है। इसी तरह किशोर-किशोरियों से दुष्कर्म के अपराध के लिए क़ानून में मौत की सज़ा का प्रावधान किए जाने के बावजूद इस तरह की घटनाओं में कमी नहीं आयी है। इस तरह के अपराध करने की मानसिकता वाले व्यक्तियों को क़ानून का ख़ौफ़ ही नहीं रह गया है एक अनुमान के अनुसार इस समय रोज़ाना देश में 133 बच्चे बलात्कार और हत्या के अपराध का शिकार हो रहे हैं जो पहले के वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है।तो कानून कड़ा कर देने से ट्रैफिक रूल का अमेरिका ,योरोप की तरह पालन होने लगेगा यह गडकरी जी आपका दिवास्वप्न ही अंततः साबित होगा।

गडकरी जी ने यह नहीं बताया की सड़कों पर आवारा छुट्टा गोवंशीय जानवरों के कारण देश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के लिए राज्य या सरकार पर कितना जुर्माना लगाने और पीड़ितों को कितना मुआवजा पाने का प्रावधान नए कानून में किया गया है।यही नहीं नेशनल या स्टेट हाइवे पर ट्रकों और ट्रैक्टर ट्रालियों के अवैध पार्किंग पर कितने जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल, इस महीने से जुर्माने की रकम 30 गुना तक बढ़ने और सजा की अवधि में भी इजाफे का नया नियम लागू किए जाने पर कोहराम मचा हुआ है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश के साथ-साथ गुजरात ने बढ़ी हुई दर पर जुर्माना वसूलने से इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि संसद ने मोटर वीइकल ऐक्ट, 1988 में संशोधन प्रस्ताव को जुलाई में पास किया था। उसके बाद अगस्त महीने में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वीइकल्स (अमेंडमेंट) ऐक्ट, 2019 की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, इसे 1 सितंबर से लागू किया गया।

एक सितंबर को संशोधित मोटर वीइकल ऐक्ट, 1988 लागू होने के बाद से भारी-भरकम जुर्माने के चालान कटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। गुरुग्राम पुलिस ने गुरुवार को एक ट्रैक्टर ट्रॉली ड्राइवर को कई नियमों के उल्लंघन के आरोप में 59 हजार रुपये का चालान काट दिया। उससे पहले, 2 सितंबर को गुरुग्राम में ही एक स्कूटी चालक पर विभिन्न मामलों में 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। उसने यह कहते हुए जुर्माना भरने से इन्कार कर दिया था कि उसकी स्कूटी की कीमत ही मात्र 15 हजार रुपये है। बुधवार की ही बात है जब एक ऑटो ड्राइवर को नशे की हालत में ड्राइव करने, ड्राइविंग लाइसेंस समेत जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण 47,500 रुपये का चालान काटा गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस बीच अगस्त 19 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीबीएमपी को निर्देश दिया है कि बेंगलुरु शहर की सड़कों पर होने वाली दुर्घटना की वजह अगर ख़स्ताहाल सड़क है, तो हादसे के शिकार लोगों को मुआवज़ा दिया जाए. ये फैसला सामाजिक कार्यकर्ता विजय मेनन की जनहित याचिका पर सुनाया गया है।कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में करीब दो साल पहले के बॉम्बे हाईकोर्ट के उस निर्देश का भी हवाला दिया, जिसमें अच्छी सड़कों को नागरिकों की अहम ज़रूरत बताया गया था और कहा गया था कि नागरिकों को खराब सड़क के कारण होने वाले नुकसान के लिए उचित मुआवज़ा मिलना चाहिए।

सड़कों की क्वालिटी को लेकर मैप्स ऑफ इंडिया पोर्टल ने एक सहयोगी वेबसाइट बैड रोड्स इन इंडिया.कॉम बनाया है, जिसमें देश की सड़कों का तमाम ब्योरा है।दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क रखने वाले देश में तकरीबन 30 लाख किलोमीटर का सड़क नेटवर्क है, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है।उपरोक्त पोर्टल के मुताबिक कुल नेटवर्क का करीब आधा सड़क निर्माण घटिया क्वालिटी का है। यही नहीं सड़कों के निर्माण में फुटपाथों से जुड़े व अन्य नियमों का पालन नहीं किया जाता है।डब्ल्यूएचओ की रिपोर्टों के अनुसार भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर पुख्ता और सटीक इंतज़ाम नहीं हैं यानी सड़कों पर चलना कम जोखिम नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ट्रैफिक सिस्टम भी दुर्दशा ग्रस्त रहता है। देश में कई जगह ट्रैफिक सिग्नल्स साल में कई बार खराब होते हैं, अस्थायी रूप से बंद होते हैं। देश के छोटे और मझोले शहरों में कई नाकों, चौक, चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल की व्यवस्था अब तक है ही नहीं और तो और वहां ट्रैफिक पुलिसमैन के अक्सर नदारद रहने को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं।प्रयागराज जैसे शहर में ट्रैफिक पुलिसमैन चौराहों पर नहीं बल्कि शहर के कई इलाकों में दिन भर वाहन चेकिंग के नाम पर अवैध धन उगाही में प्रतिदिन देखे जा सकते हैं। ट्रैफिक की बदइंतज़ामी, बढ़ते लोड के मुताबिक सड़कों के न होने और पूरे सिस्टम के लचर होने के कारण देश में ट्रैफिक जाम की समस्या भयानक रूप लेती जा रही है।

खराब सड़कों और बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था का बोझ भी टैक्स पेयर्स की जेब पर पड़ता है।एक रिपोर्ट में एक अनुमान के हवाले से कहा गया है कि खराब सड़कों के कारण हर साल वाहनों की मरम्मत पर 200 करोड़ का खर्च होता है, जिसका बोझ सीधे लोगों की जेब पर पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार भारत के बड़े शहरों में ट्रैफिक फंसने के कारण हर साल 22 अरब डॉलर तक का नुकसान हो रहा है, जिसका बोझ सीधे यात्रियों की जेब पर पड़ता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/429812654554087/
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement