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सुख-दुख

सोए हुए विशालकाय वायरस मिलने के बाद दुनिया भर में तबाही की आशंका

Nadim S. Akhter : वैज्ञानिकों को धरती पे हज़ारों-लाखों साल से सोए पड़े वायरस का पता चला है, जो अब तक देखे-सुने नहीं गए। ग्लोबल वार्मिंग और अंधाधुंध खनन के कारण ज़मीन में दफन और सोए पड़े जिन वायरसों को हम धरती की सतह पे ला रहे हैं, उन्हें विज्ञान Giant Virus कह रहा है। ऐसा इसलिए कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अब तक मनुष्य का पाला सिर्फ ऐसे अति सूक्ष्म वायरसों से पड़ा है जिनमें गिनती के दो या तीन जीन होते हैं और आपने स्कूल में भी पढ़ा होगा कि वायरस ना तो ज़िंदा हैं और ना मुर्दा। वे ज़िंदा और मुर्दा के बीच की कड़ी हैं। कुलमिलाकर विज्ञान की भाषा में उन्हें पूरी तरह जीवित नहीं माना जाता था। लेकिन लेकिन…

अब जो Giant Viruses हज़ारों साल से जमी बर्फ के पिघलने से ज़मीन के ऊपर आ रहे हैं, उनमें परम्परागत वायरस की तरह तीन-चार नहीं, बल्कि सैकड़ों जीन हैं। वे अभी तक जिंदा हैं और वैज्ञानिकों ने देखा कि एक जीवित कोशिका के संपर्क में आते ही उन्होंने इसे इन्फेक्टेड कर दिया। इनको मरना फिलहाल विज्ञान के बूते का मुझे तो नहीं दिख रहा क्योंकि इनकी resistant power अद्भुत है। मुझे तो लगता है कि ये Giant Virus डायनासोर या उसके बाद के काल के हो सकते हैं जब धरती पे हर जीव का साइज आज के जीव से सैकड़ों गुना बड़ा होता था। पेड़-पौधे भी काफी ऊंचे और विशाल होते थे, सो ये विशाल वायरस शायद तभी पनपे होंगे पर हिमयुग में मरे नहीं और बर्फ के अंदर दबकर हज़ारों साल से सोए रहे। पर अब पृथ्वी के कुछ स्थानों पे वे जाग रहे हैं और गलोबल वार्मिंग के कारण हज़ारों साल से जमी बर्फ के पिघलने से ज़मीन के नीचे से सतह पे आ रहे हैं।

मुझे पता नहीं कि इसका क्या असर होने वाला है पर अगर ये इंसान को इन्फेक्ट करें तो पूरी धरती पे कोई बड़ी महामारी भी आ सकती है। जिसका कोई इलाज हमारे पास नहीं होगा क्योंकि सैकड़ों जीन वाले इन वायरस को मारने के लिए कोई दवा हमारे पास नहीं है। हम इतनी जल्दी बना भी नहीं सकते। विज्ञान ने आज तक ऐसा वायरस देखा ही नहीं। आपने mad cow disease का नाम सुना होगा और अब swine flu का। सूअर से वायरस जब इंसान के अंदर आता है तो उसे गम्भीर रूप से बीमार कर देता है। आजकल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इसी बीमारी के चलते एम्स में भर्ती हैं।

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सो इस धरती पे एक नया खतरा सिर उठा रहा है जो मानव सभ्यता के खात्मे का कारण भी बन सकता है। मतलब अगर कोई एक इंसान इस वायरस से इन्फेक्टेड हुआ तो दूसरा भी होगा और पूरी चेन बन सकती है। ठीक प्लेग जैसी महामारियों की तरह। पूरा देश और फिर पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ सकते हैं। हमें नहीं पता कि हज़ारों साल से सोए पड़े इन giant viruses की पीढ़ी मानव शरीर के संपर्क में आकर किस तरह से रियेक्ट करेगा!!! यानी हमारा जीन उनके जीन और डीएनए को कैसे रोकेगा या सरेंडर कर देगा ये किसी को कुछ नहीं मालूम। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस के मिलने से घबराए हुए हैं पर खुलकर कोई बड़ी तबाही की बात नहीं कर रहा। हो सकता है इनसे लड़ने का एक्सपेरिमेंट भी शुरू हो चुका हो पर हमें कितनी कामयाबी मिलेगी ये सब भगवान खुदा और प्रभु के हाथ में है।

विज्ञान की भी एक सीमा है और जहां ये सीमा खत्म होती है, वहां से ईश्वर का राज शुरू होता है क्योंकि उसी सर्वशक्तिमान ने इन वायरस को भी बनाया है और इंसानों को भी। अगर इंसानों को बचाना होगा तो वो बचा लेगा। इसे ऐसे समझिये कि इंसानों के धरती पे आने से लाखों साल पहले खुदा ने विशालकाय डायनासोर्स को धरती पे खत्म कर दिया ताकि समायानुक्रम में आगे मानव इस धरती पे पैदा होगा और विचरण करेगा। हम इंसान खुदा के बनाए उसी काल में आज धरती पे जीवित हैं। भूत (डायनासोर आदि के बारे में) तो हमने जान लिया है पर भविष्य जानना फिलहाल हमारे बूते की बात नहीं। उसके लिए हमें time machine बन जाने और उसके सफल प्रयोग तक का इंतज़ार करना होगा।

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भविष्य में हम जा सकते हैं क्योंकि क़ुरआन और हदीस में भी इसका जिक्र है। मुहम्मद साहब जब अल्लाह से मिलने आसमानों के सफर पे गए थे तो उनकी सवारी का नाम बुराक था। ये अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ रोशनी होता है। यानी उनकी सवारी रोशनी से बनी कोई चीज़ थी और जिक्र है कि जहां तक निगाह जाती थी, वो सवारी एक कदम में उसे नाप लेता था। बहुत तेज़ था सबकुछ। यानी मुहम्मद साहब ने प्रकाश की गति से सफर किया होगा। अल्लाह से मुलाकात के बाद उन्होंने दोजख और जन्नत में लोगों को देखा जो मुमकिन नहीं है क्योंकि क़ुरआन के मुताबिक क़यामत के बाद ही हिसाब-किताब के बाद इंसानों को ज़िंदा किया जाएगा औऱ उन्हें स्वर्ग या नरक में डाला जाएगा। तो मुहम्मद साहब ने जो देखा, वो क्या था?? क्या अल्लाह उनको भविष्य दिखा रहे थे कि ऐसा दोजख होगा और ऐसी जन्नत!! और जब वे वापिस धरती पे आये तो जिक्र है कि उनका बिस्तर वैसे ही गर्म था, जैसे वे बस अभी-अभी बिस्तर से उठे हों।

विज्ञान और आइंस्टीन की थ्योरी के मुताबिक ये संभव है और अगर हम प्रकाश की गति से चलें तो धरती पे समय रुक जाता है। यानी मुहम्मद साहब टाइम स्पेस के उस फ्रेम में सवार होकर आसमानों की यात्रा पे खुदा से मिलने गए जब धरती के लिए समय रुक गया। यानी अंतरिक्ष या आसमानों में आपने घण्टों बिता दिए लेकिन धरती पर घड़ी महज़ एक सेकेंड के लिए आगे बढ़ी। इसी सिद्धांत पे टाइम मशीन बनेगी। ये सब कुछ दिमाग को झकझोर देने वाला और अद्भुत है पर अंतरिक्ष और ब्रह्मांड की यही सच्चाई है। तभी तो आइंस्टीन जीनियस थे। अगर वे कुछ समय और ज़िंदा रह जाते तो हमारा आज का विज्ञान कम से कम 300 सौ साल आगे होता।

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कई अखबारों और चैनलों में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार नदीम एस. अख्तर की एफबी वॉल से.

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2 Comments

2 Comments

  1. अविनाश

    January 20, 2019 at 4:30 pm

    मुझे ऐसा कुछ नही लगता है क्योंकि कहानी की सुरुवात कुछ और से होती है और अंत किसी और चीज पर – एक बात तो क्लियर है लिखने वाले का निगाहें कहीं और निशाना कहीं और था-

  2. Dhiraj Kumar

    January 20, 2019 at 11:05 pm

    पिछले साल मार्च में क्वांटम पत्रिका में आयी थी ये खबर। तब से अब तक कुछ भी खत्म नहीं हुआ। कुछ वैज्ञानिकों का काम है ऐसी डरावनी कहानियां लिखना। उन्हीं में से एक ने लिखा था। अंग्रेजी से हिंदी मे अनुवाद होने में महिनों लग गये।
    https://www.quantamagazine.org/new-giant-viruses-further-blur-the-definition-of-life-20180305/

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