सोए हुए विशालकाय वायरस मिलने के बाद दुनिया भर में तबाही की आशंका

Nadim S. Akhter : वैज्ञानिकों को धरती पे हज़ारों-लाखों साल से सोए पड़े वायरस का पता चला है, जो अब तक देखे-सुने नहीं गए। ग्लोबल वार्मिंग और अंधाधुंध खनन के कारण ज़मीन में दफन और सोए पड़े जिन वायरसों को हम धरती की सतह पे ला रहे हैं, उन्हें विज्ञान Giant Virus कह रहा है। …

यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जिस तरह अंधेरगर्दी मचा रखी है!

Nadim S. Akhter : यूपी के लखनऊ में अपने बेटे की मौत की रिपोर्ट लिखवाने के लिए इंस्पेक्टर के सामने गिड़गिड़ाती और उनके पैर पकड़ती बुजुर्ग महिला का वीडियो वायरल हुआ है। फैक्ट्री में काम करते वक़्त दुर्घटना से उसके जवान बेटे की मौत हो गयी थी। वीडियो में दिख रहा है कि राक्षस इंस्पेक्टर …

वक़्त बदल गया पर ये हिंदी अखबार नहीं बदले

Nadim S. Akhter आजकल के हिंदी अखबारों में देखने और पढ़ने लायक कुछ होता ही नहीं। खबरें भी बासी जो एक दिन पहले हम नेट पर पढ़ लेते हैं। उसमें कोई value addition नहीं। सम्पादकीय पेज पर भी वही घिसे-पिटे लेख। उनको कौन पढ़ना चाहता है भाई? उससे ज्यादा और बेहतरीन तो आज पब्लिक सोशल …

अर्णब गोस्वामी के बारे में इस पत्रकार ने जून महीने में ही कर दी थी भविष्यवाणी

adim S. Akhter : अर्णब गोस्वामी के बारे में इस साल जून में की गई इसे मेरी भविष्यवाणी कहिए या आशंका, पर ये सच साबित हुई। तब मैंने अपने विश्लेषण में कहा था कि पीएम मोदी के सॉफ्ट इंटरव्यू के बाद अर्णब और टाइम्स नाउ की जो छीछालेदर हुई है, उन हालात में अर्णब की जल्द ही टाइम्स नाउ से विदाई हो सकती है। और कल ही अर्णब की टाटा-बाय बाय वाली खबर आ गई। और जो लोग ये चिंता कर रहे हैं कि अर्णब के बिना टाइम्स नाऊ का क्या होगा, उनके टनाटन न्यूज़ ऑवर डिबेट का क्या होगा, टाइम्स नाऊ की टीआरपी का क्या होगा, वो ज़रा धीरज रखें। मैंने लिखा था कि आज के ज़माने में टाइम्स ग्रुप कभी संपादकों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। उनका फंडा अलग है। जो लोग टाइम्स ग्रुप में काम कर चुके हैं और जिनका थोड़ा बहुत भी मैनेजमेंट से वास्ता रहा है, वो ये बात बखूबी जानते हैं।

कारगिल जीतने वाले रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने तो कभी अपना अभिनंदन नहीं कराया

Arvind K Singh :  पिछले तीन दशक में कारगिल से बड़ी जंग तो कोई और हुई नहीं..उसमें बड़ी संख्या में जवानों की शहादत हुई। मैने भी उसे कवर किया था। लेकिन मुझे याद नहीं आता कि उस दौर के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने इस मुद्दे पर अपना अभिनंदन समारोह कराया हो….अगर गलत हूं तो बताइएगा। फिर रक्षामंत्री जी आपने ऐसा क्या कर दिया। न फैसला आपका, न उसे लागू कराने गए आप…जो काम जिसने किया है उसको देश की जनता दिल से शुक्रिया कर रही है। आप तो इसे राजनीतिक रंग देने में लग गए हैं वह भी उत्तर प्रदेश में जहां चुनाव हो रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक के मसलेपर कड़ा फैसला लेने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री मोदी को ही मिलेगा किसी और को नहीं।

अर्नब गोस्वामी की working style ने टाइम्स नाऊ और टाइम्स ग्रुप को असहज कर दिया!

Nadim S. Akhter : बरखा ने जो कुछ कहा, वह अर्नब द्वारा कही गई बात का जवाब भर था और मैं व्यक्तिगत रूप से बरखा से सहमत हूं कि कोई शिखर पर बैठा पत्रकार यानी अर्नब ये कैसे कह सकता है कि कश्मीर पर उनसे अलग राय रखने वाले पत्रकारों का ट्रायल हो और उन्हें सजा मिले! यानी टाइम्स ग्रुप से जुड़ा एक बड़ा पत्रकार दूसरे पत्रकारों और मूलरूप से मीडिया की आजादी पर हमला करने की हिमायत और हिमाकत आखिर कर कैसे सकता है? सो चुप्पी तोड़नी जरूरी थी और बरखा ने चुप्पी तोड़कर सही किया. वरना अर्नब और बेलगाम हो जाते.

टीआरपी में नौवें स्थान पर रहने वाला एनडीटीवी इंडिया चल कैसे रहा है, पैसा कितना और कहां से आ रहा है?

Nadim S. Akhter : एक गंभीर बात. बार्क की तरफ से 29वें हफ्ते की टीआरपी के जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वो इस प्रकार हैं. गौर से देखिए इनको और जरा अंदाजा लगाए कि कौन चैनल -सफलता- के किस पायदान पर खड़ा है. फिर आगे की बात करूंगा.

मोदी जी की सरकार बनने के बाद पूरी पत्रकार बिरादरी दो फाड़ हो चुकी है

Nadim S. Akhter : एबीपी न्यूज वाले पत्रकार अभिसार शर्मा ने शानदार-जानदार लिखा है. सच सामने लाना एक खांटी पत्रकार का अंतिम ध्येय होता है और अभिसार ने वही किया है. सारी मुश्किलों और चुनौतियों के बावजूद (Read between the lines- नौकरी पे खतरे के बावजूद !!) क्या आज हमें ये कहने में कोई हिचक होनी चाहिए कि देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है. जो दक्षिणपंथ और उसके सारे कुकर्मों-बचकाना हरकतों के साथ है (देश को नुकसान पहुंचाने की कीमत पर भी), वह -राष्ट्रप्रेमी- घोषित किए जा रहे हैं और जो मोदी सरकार को एक्सपोज कर रहे हैं, उनकी गलतियों और खामियों की ओर इशारा कर रहे हैं, उन्हें -राष्ट्रद्रोही- होने का तमगा दिया जा रहा है.

रजत शर्मा ‘आप की अदालत’ में योगी आदित्यनाथ को बिठाकर खुलेआम भारत के संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं!

Nadim S. Akhter : इंडिया टीवी पर रजत शर्मा वाले ‘आप की अदालत’ प्रोग्राम में सांसद योगी आदित्यनाथ खुलेआम मुसलमानों के खिलाफ आग उगल रहे हैं। कह रहे हैं कि तुम एक मारोगे तो हम सौ मारेंगे। मुस्लिमों को हिन्दू धर्म में वापस लाएंगे, ये घर वापसी है। और, स्टूडियो में मौजूद जनता आदित्यनाथ की हर बात पे ताली पीट रही है। इनमें कम उम्र की युवतियां भी शामिल हैं। बड़ा अजब माहौल है। खुलेआम भारत के संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस तरह के भड़काऊ बयान वाले प्रोग्राम को न्यूज के नाम पर प्रसारित करके Rajat Sharma जी क्या संदेश दे रहे हैं? एडिटोरियल जजमेंट नाम की कोई चीज रह भी गई है कि नहीं इस देश में?

इंडिया टुडे ग्रुप ने बिहार में जंगलराज-2 घोषित कर दिया!

Nadim S. Akhter : इंडिया टुडे ग्रुप ने बिहार में जंगलराज-2 घोषित कर दिया है। हेडिंग देखिये। ये कहकर कि ये लेखक के निजी विचार हैं। संपादकीय पतन की निर्लज्ज पराकाष्ठा देखिये। यदि ऐसा है तो आरजेडी, बीजेपी, कांग्रेस समेत तमाम दलों को अपने ऑनलाइन भक्तों वाली सेना को ichowk के लिए लगा देना चाहिए ताकि वे पानी पी-पी कर विरोधियों को रावण और अपने नेता को हीरो बनाते रहें और पब्लिक इसे एक बड़े मीडिया संस्थान का निष्पक्ष प्रकाशन मानती रहे।

odd-even : केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा नहीं देखा…

Nadim S. Akhter :  अरविन्द केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा ने नहीं देखा, जिसन वाहवाही बटोरने के चक्कर में बिना सोचे-समझे पूरी जनता को odd-even की खाई में धकेल दिया। पहले से ही मरणासन्न दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम इतनी बड़ी आबादी के सफ़र को कैसे झेलेगी, इस पर एक पल भी नहीं सोचा। ऊपर से ये महामूर्ख मुख्यमंत्री स्कूल में बच्चों के बीच जाकर कह रहे हैं कि बेटे, अपने मम्मी-पाप को इस नियम का पालन करने की सीख देना, उनसे जिद करना। लेकिन ये नहीं बता रहे कि जब टाइम से ऑफिस न पहुचने पे पापा की सैलरी कटेगी और ऑटो लेकर जाने में उनकी जेब से दोगुने नोट ढीले होंगे, घर का बजट बिगड़ेगा, तो पापा घर कैसे चलाएंगे?

IIMC की जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए प्रो. राघव चारी

Nadim S. Akhter : “आह !!! प्रो Raghav Chari आज IIMC की जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए. लेकिन मेरे लिए इसके अलग मायने हैं. मतलब अाज के बाद जब मैं उनके कमरे में जाऊंगा तो गर्मजोशी से भरी उनकी आवाज, उनका इस्तकबाल और उनका मुस्कुराता चेहरा वहां नहीं होगा. अब मुझे ये कहने का मौका नहीं मिलेगा कि सर, ये शर्ट आप पे बहुत जंच रही है. स्मार्ट लग रहे हैं और फिर हंसते हुए वे कहेंगे कि अरे यार !!! मैं तो स्मार्ट ही हूं हमेशा से !!! IIMC का सिर्फ वो कमरा ही खाली नहीं हुआ, हमारे दिलों के कई कोने वीरान हो गए. क्या कहूं उनके बारे में. अगर वे ना होते तो आज, मैं, मैं ना होता. आईआईएमसी तो एक बहाना था.

पत्रकार और शिक्षक नदीम एस. अख्तर ने लांच की रीयल इस्टेट कंपनी

Nadim S. Akhter : आप सभी दोस्तों एवं शुभचिंतकों को सूचित करना चाहता हूं कि मैंने Real Estate की एक कम्पनी बना ली है और इसका नाम रखा है–वास्तोस्पति (VASTOSPATI). यह नाम मैंने ऋग्वेद से लिया है. कुछ वक्त पहले ही मैंने फेसबुक के इस मंच पर कहा था कि अब वक्त आ गया है कि मैं पढ़ने-पढ़ाने और लिखने से जुदा कोई अलग रास्ता बनाऊं. पहले भारतीय नौ सेना की नौकरी छोड़ी, फिर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनते-बनते IIMC आ गया और पत्रकारिता में रम गया. फिर एक और पड़ाव आया जब मैं पत्रकारिता पढ़ाने IIMC के Radio and Television Department में आ गया. लगभग 15 साल के इस कैरियर में जीवन के बहुत उतार-चढ़ाव देखे. अपनों को दूर जाते देखा और परायों को अपना बनते देखा. इस छोटी उम्र में ही जीवन के कई रंग देख लिए. सबको आजमा लिया-समझ लिया. फिर मन बनाया कि कुछ अपना करते हैं. कई जगह दिमाग लगाया कि क्या किया जाए. E-commerce से लेकर सब्जी बेचने तक के धंधे को टारगेट में लिया लेकिन finally रीयल इस्टेट का बिजनेस मुझे भाया. वैसे E-commerce का धंधा भी मेरे राडार में है क्योंकि मैंने वर्ष 1998 में पटना में उस वक्त इंटरनेट के माध्यम से लड़का-लड़की ढूंढने का (Shaadi.com टाइप) आइडिया बताया था, जब ऐसी कोई वेबसाइट भारतीय बाजार में उपलब्ध नहीं थी और उस वक्त भारत में इंटरनेट बहुत-बहुत नया था. खैर.

टाइम्स ऑफ इंडिया के पतन की पराकाष्ठा… सलमान खान पर 5 पेज बिछा दिया!

Nadim S. Akhter : TIMES NOW वाले अर्नब गोस्वामी भी कमाल है. हमेशा लाइमलाइट में रहना चाहते हैं. ये देखकर ताज्जुब हुआ कि कल रात के थकाऊ News Hour शो के बाद आज सुबह-सुबह एंकरिंग करने स्टूडियो में बैठ गए हैं. माने के Live हो गए हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट में आज सलमान खान मामले की सुनवाई होनी है, सो अर्नब पूरी फौज के साथ तैयार हैं. और एक मैं हूं कि खामोख्वाह इस इवेंट को लाइटली ले रहा था. जब अर्नब ने इतनी बड़ी तैयारी कर रखी है तो दूसरे चैनलों, खासकर हिन्दी के चैनलों ने क्या किया होगा, अंदाजा लगा रहा हूं.

आज तक छोड़कर Charul Malik इंडिया टीवी गईं, सास-बहू का एक घंटे का शो बनवाएंगी

Nadim S. Akhter : सास बहू और साजिश…फिर आया सास बहू और बेटियां…फिर इसके आगे क्या…सास बहू और? Charul Malik आज तक छोड़कर इंडिया टीवी जा रही है. सास-बहू का कोई एक घंटे का शो बनना है शायद. एक वक्त था, जब दोपहर में स्टार न्यूज (अभी का एबीपी न्यूज) सास बहू और साजिश दिखाता था. फिर आज तक चैनल ने कम्पिटिशन में मिलते-जुलते नाम सास बहू और बेटियां (पता नहीं लोग हटकर नाम भी नहीं सोच सकते) से शो लॉन्च किया.

Live खुदकुशी फिल्माते मीडियाकर्मी, स्टेज पर खड़ा अहंकारी मुख्यमंत्री, पुलिस से गुहार लगाते शातिर नेता, अविचल मुस्काते पुलिसवाले…

Nadim S. Akhter : फिल्म ‘पीपली लाइव’ Anusha Rizvi ने बनाई थी और आज देश की राजधानी दिल्ली में ‘पीपली लाइव’ साकार हो कर जी उठा. सब कुछ वैसा ही. वही खुदकुशी की सनसनी, गर्म तवे पर रोटी सेंकने को आतुर मीडिया-नेता-प्रशासन की हड़बड़ी और दर्शकों-तमाशाइयों का वैसा ही मेला, वही हुजूम. सब कुछ जैसे एक लिखी स्क्रिप्ट की तरह आंखों के सामने होता रहा. एक पल को तो समझ ही नहीं आया कि मनगढंत फिल्म पीपली लाइव देख रहा हूं या फिर हकीकत में ऐसा कुछ हमारे देश की राजधानी दिल्ली के दिल यानी जंतर-मंतर पर हो रहा है !!!

हिंदी टीवी न्यूज के मसखरेपन के लिए क्या वाकई उदय शंकर, रजत शर्मा और कमर वहीद नकवी जिम्मेदार हैं?

Nadim S. Akhter : दो बातें कहनी हैं. एक तो दिलीप मंडल जी ने हिंदी टीवी न्यूज के -मसखरेपन- के लिए उदयशंकरजी, रजत शर्मा जी और कमर वहीद नकवी जी को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार ठहराया है. उनके मन की बात पढ़कर उसका लम्बा-चौड़ा जवाब लिख मारा, लेकिन फिर पुरानी गलती दोहरा गया. सब कुछ ऑनलाइन फेसबुक वॉल पे ही लिख रहा था. अचानक से मेरा कम्प्यूटर बंद हुआ और सब गायब. फिर दुबारा लिखने का मूड सुबह से अब तक नहीं बना. सो हिंदी टीवी न्यूज की गंभीरता को खत्म करने वाली दिलीप जी की बात पर मेरा जवाब फिर कभी.

आउटलुक वालों ने टाइम्स नाऊ वाले अर्नब गोस्वामी को विलेन बना दिया…

Arnab Goswami होने का मतलब… आउटलुक वालों ने टाइम्स नाऊ वाले अर्नब गोस्वामी को विलेन बना दिया. घोषणा कर दी कि अर्णब ने भारत में टीवी न्यूज की -हत्या- कर दी. ठीक है, मान लेते हैं कि आउटलुक वाले बहुत समझदार हो गए हैं (विनोद मेहता के जाने के बाद) और मैगजीन निकालते-निकालते अब उन्हें टीवी न्यूज की भी अच्छी खासी समझ हो गई है. हो सकता है कि इसके एडिटर साब ने टीवी न्यूज इंडस्ट्री में खबरों की महत्ता-गुणवत्ता पर कोई पीएचडी भी लिख डाली हो और कोई बड़ा सर्वे भी कराया हो (शायद सपने में).

तो इसीलिए शशि थरूर ने मोदी का झाड़ू उठा लिया और बीजेपी को सपोर्ट करना शुरू कर दिया था!

Nadim S. Akhter ; बेहद अफसोसनाक, दुखद… शब्द नहीं हैं मेरे पास. दिल्ली पुलिस के अनुसार, कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर का मर्डर किया गया था. शक की पूरी की पूरी सुई किसकी तरफ है, ये बताने की जरूरत नहीं. खासकर तब, जब नलिनी सिंह जैसी वरिष्ठ पत्रकार और सुनंदा की करीबी दोस्त ये कह चुकी हैं कि मौत से एक रात पहले सुनंदा बहुत परेशान थीं. वह बहुत रो रही थीं. शायद मेहर तराड़ से शशि थरूर की नजदीकियों को लेकर बेहद भावुक और अपसेट थीं.

50 से ज्यादा मासूमों-गरीबों के हत्यारे ये बोडो वाले ‘आतंकवादी’ ना होकर ‘उग्रवादी’ बने रहते हैं!

Nadim S. Akhter : सिर्फ पाकिस्तान, कश्मीर, अमेरिका और मुंबई जैसी जगहों पर लोगों के मरने पर इस देश के लोगों का खून खौलता है. बाकी टाइम देश में शांति छाई रहती है. अमन-चैन कायम रहता है. मीडिया-सरकार-सोशल मीडिया, हर जगह. कोई शर्मिंदिगी नहीं जताता, कोई अफसोस नहीं करता, कोई कविता नहीं लिखता, कोई मोमबत्ती की फोटुक नहीं लगाता, कोई अपनी जातीय-मजहबी पहचान को लेकर पश्चाताप-संताप नहीं करता.

आपके एक और भारत रत्न हैं, जिनके पास संसद के लिए नहीं, लेकिन फेरारी कार की रेस के लिए वक्त होता है!

Nadim S. Akhter : कांग्रेस बीजेपी लेफ्ट राइट समाजवाद जनतावाद आमवाद और सारे वाद वाली पार्टियों ! जिस तरह भगवान, इंसान के चढ़ावे का मोहताज नहीं, आपके शिरनी-लड्डू-सोने के आभूषण-हलवे और फलों के प्रसाद का इच्छुक नहीं, उन्हें इसकी चाह नहीं-परवाह नहीं, ठीक उसी तरह… हमारे देश की महान विभूतियां तुम्हारे यानी राजसत्ता (जब तुम लोग इस पर काबिज होते हो) द्वारा प्रदत्त सम्मानों-पुरस्कारों-अलंकरणों की भूखी नहीं, उन्हें इसकी दरकार नहीं, जरूरत नहीं. वे जनता के दिल में हैं. वे देश के इतिहास में हैं. इतिहास लिखा जाएगा, फिर मिटा दिया जाएगा. फिर लिखा जाएगा और फिर बदल दिया जाएगा. फिर लिखा जाएगा और फिर ऐसी ही कोई कोशिश होगी…

एक न्यूज एंकर की टिप्पणी के बहाने

टीवी देखता नहीं लेकिन इंटरनेट पर लाइव टीवी अभी-अभी देखा. नजर पड़ गई तो पलभर के लिए ठहर गया. एक बड़े न्यूज चैनल की महिला एंकर की टिप्पणी सुनिए— “नीतीश बाबू को भी क्या हो गया है. कहते रहते हैं ऐसा होता तो वैसा होता… और मोदी नाम की तकलीफ तो उनकी पेशानी पर परमानेंट जगह पा चुकी है.”

चलिए, न्यूज के साथ व्यूज का कॉकटेल रंग जमा रहा है. और एंकरिंग करते वक्त लोग ये भूल जाते हैं कि ये जो लालू हैं, नीतीश हैं, नरेंद्र मोदी हैं, वो स्टूडियो में बैठकर और अखबार-मैगजीन पढ़कर ज्ञान नहीं बांचते. सब के सब जमीन से उठे हैं, जमीन पर घूमे हैं, तभी आज हेलिकॉप्टर पर उड़ रहे हैं.

पाकिस्तान में भी चिरकुट और दोयम दर्जे के टीवी चैनल व पत्रकार हैं

आज सुबह-सुबह इंटरनेट पर एक लिंक मिला जिस पर लिखा था “Horrific Footage of Inside Army Public School“…यानी कि पाकिस्तान में बच्चों के कत्ल के बाद स्कूल के अंदर की तस्वीरें, उसका वीडियो. यह पढ़कर ही दिल दहल गया कि मीडिया को मिली उसकी अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग सिर्फ अपने यहां नहीं, वहां भी हो रहा है. पाकिस्तान में भी ऐसे चिरकुट और दोयम दर्जे के टीवी चैनल और पत्रकार हैं, जो खून के सौदागर हैं. मासूम बच्चों का लहू बेचने से उन्हें भी गुरेज नहीं. चूंकि अब मैं टीवी नहीं देखता, ना न्यूज चैनल और ना एंटरटेनमेंट चैनल, सो पता नहीं कि हमारे यहां मीडिया में इसकी कैसी कवरेज की गई..पाकिस्तानी चैनलों ने जब -मौत के इस तमाशे- को बेचना शुरू किया होगा, तो कितने हिन्दुस्तानी चैनलों ने -साभार- दिखाते हुए unedited footage जस के तस भारतीय दर्शकों को भी परोसे होंगे…

सम्पादक जी, ये तो ना करिए, ये देश आपका ऋणी रहेगा

चिंता मत करिए. -अच्छे दिन- आ गए हैं. क्या यूपी, क्या एमपी और क्या दिल्ली और क्या भारत-क्या इंडिया…ऐसे -अच्छे दिनों- की ख्वाहिश इस देश की जनता ने तो नहीं ही की थी. फिर ये किसके अच्छे दिन हैं?? फैसला आप कीजिए.

यादव सिंह ने समाजवादी नेता मुलायम और दलित नेता मायावती दोनों का साध लिया था

Nadim S. Akhter : असली शेर तो -यादव सिंह- निकले. एक साथ बहन मायावती और समाजवादी नेताजी मुलायम सिंह यादव, दोनों को साध लिया. अनेकता में एकता का -सूत्र- यादव सिंह जी से सीखिए. उनसे जानिए कि सरकार -दलितों- की हो, या -समाजवादियों- की या फिर किसी भी -वाद- वाले की, सबकी आंखों का तारा कैसे बना जाता है. आपके पास क्वालिफेकेशन हो ना हो, डिग्री हो ना हो, वैधानिक योग्यता हो ना हो, लेकिन अगर -जुगाड़ योग्यता- और -लक्ष्मी योग्यता- है तो इस सठिया चुके लोकतंत्र में और Media bombardment के युग में भी आप सबकी नाक के नीचे आराम से मलाई काट सकते हैं.

अर्नब गोस्वामी पत्रकारिता छोड़ने का फैसला कर चुके थे, मुंबई ने उन्हें रोक लिया!

Nadim S. Akhter :  Times Now वाले अर्नब गोस्वामी को मैं पसंद करता हूं. आप उन्हें अच्छा कहें या बुरा कहें या जो कहें, मुझे लगता है कि तमाम सीमाओं के बावजूद (एक बार फिर दोहरा रहा हूं, बाजार और सियासत की तमाम सीमाओं के बावजूद) वो अपना काम शिद्दत से कर रहे हैं. हां, अफसोस तब होता है जब रवीश कुमार के अलावा हिंदी चैनलों में मुझे अर्नब जैसा passionate एक भी पत्रकार नहीं दिखता.

रवीश कुमार के बहाने कुछ अपनी कहानी

Nadim S. Akhter : मीडिया संस्थान के दफ्तर में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करना यानी पत्रकारिता करना अलग बात है और किसी पत्रकारिता संस्थान के छात्रों को हैंडल करना, उनके सवालों के जवाब देना, उनका कौतूहल शांत करना, उनके सपनों की हकीकत बताना, उन्हें मीडिया की निर्दयी दुनिया से रुबरु कराना और पत्रकारिता के तथाकथित मिशन से जान-पहचान कराना एकदम अलग बात.  मैं खुद को नसीब वाला मानता हूं कि भविष्य के पत्रकारों से संवाद करने का मौका मुझे मिल रहा है. नई पीढ़ी को समझने और गढ़ने का भी. लेकिन मशहूर पत्रकार रवीश कुमार की तरह एक सवाल मुझे भी परेशान करता है कि नई पीढ़ी पत्रकार बनने आई है या स्टार !!! शायद ये चाह और ललक उस समय हमलोगों में भी रही होगी जब वर्ष 2001 में मैं और मेरे बाकी साथी IIMC से पत्रकारिता का डिप्लोमा लेकर नौकरी ढूंढने निकल पड़े थे.