आर्थिक संकट से गुजर रही है भारत की अर्थव्यवस्था लेकिन सत्ता पक्ष के नेता अपनी राजनीति चटकाने में हैं मस्त! मंदी की मार से यूपी के सीएम योगीजी का गृह जनपद गोरखपुर भी अछूता नहीं है। मोहद्दीपुर में ब्रांडेड गारमेंट्स के दो बड़े शोरूम बंद हो गए। गोलघर में भी उपभोक्ताओं की कमी ने एक बड़े शोरूम पर मालिक को ताला जड़ने पर मजबूर कर दिया है। देवरिया का एक बड़ा शोरूम भी बंद हो गया है। गणेश चौराहे के पास एक ब्रांडेड शोरूम बंद हो चुका है जबकि एक नामी कंपनी का शोरूम भी बंदी के कगार पर है। 4 साल पहले शहर में जोरदार दस्तक देने वाली एक बड़ी कंपनी की भी दो शाखाएं बंदी के कगार पर पहुंच चुकी हैं।
बेतियाहाता में पिछले दिनों खुले रेस्टोरेंट मालिक ने बर्तनों को बेचकर तालाबंदी कर दी और दूसरे रेस्टोरेंट में नौकरी करने लगा है। गोलघर में भी एक बैक्वेट हाल और रेस्टोरेंट बंद हो गया है। यहां रेस्टोरेंट स्वामी ने चार करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया था। मोहद्दीपुर में दो करोड़ निवेश कर खोला गया रेस्टोरेन्ट भी बंदी के कगार पर पहुंच गया है। यहां के व्यापारी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही बाजार में अजीब तरह की खामोशी है। देहात क्षेत्र के कारोबारी अभी स्टॉक नहीं जमा कर रहे। उनके मन में भी कहीं न कहीं डर बैठा हुआ है।
पिछले साल तक जहां तीज व रक्षा बंधन में बैठने तक की फुर्सत नहीं होती थी इस बार खाली बैठे हैं। आर्थिक मंदी का असर गोरखपुर के कारोबार और कारोबारियों पर दिखने लगा है। बाजारों में भीड़ और खरीदारों की संख्या लगातार घट रही है। कुछ सेक्टर में तो कारोबारी मानने लगे हैं कि यही हाल रहा तो मकान का किराया निकाल पाना भी मुश्किल होगा। कुछ ट्रांसपोर्टरों ने तो अपने ट्रक खड़े कर दिए हैं और घर से किस्त जमा कर रहे हैं। वे ट्रक चलाने चलाने पर आने वाले खर्च को वहन करने के बदले खड़ा कर किस्त जमा करना बेहतर मान रहे हैं।
गोरखपुर में दो से ज्यादा ट्रक खड़े हो गए हैं। ट्रक संचालक खड़े ट्रकों की किश्त चुका रहे हैं। ट्रक मालिकों का कहना है कि वर्तमान में जो हालात बन गए हैं उसमें ट्रकों को चलवाना नुकसानदायक साबित हो रहा है। इनका कहना है कि रोड टैक्स, टायर, ड्राइवर, बीमा, आदि पर इतना ज्यादा खर्च है कि लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। ट्रक मालिक बहुत ही खराब परिस्थितियों से गुजर रहे हैं और सरकार मलाई काटने में मस्त है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों को बढ़ाकर आग में घी डालने का काम किया है।
कुल मिलाकर सभी क्षेत्रों में मंदी आई हुई है और व्यापार जगत में निराशा का माहौल है। निवेश और औद्योगिक उत्पादन घट रहे हैं। शेयर बाजार लगातार गिर रहे हैं। रोजगार के अवसर का सृजन तो दूर, छंटनी के नाम पर कार्यरत कर्मचारियों को नोटिस थमाया जा रहे है। प्रॉपर्टी, टेलीकॉम, स्टील, ऑटोमोबाइल, पावर, बैंकिंग आज सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में सरकार को तुरंत कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। लेकिन भाजपा की सरकार अपनी खुद ही पीठ थपथपाने में व्यस्त है और राजनीति करने में मस्त है!
निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाए, करों में राहत दी जाए, आयात कम कर देसी उत्पादन को बढ़ावा मिले। रोजगार के अवसर बढ़े। व्यापार में स्थायित्व दिखे तथा भविष्य के प्रति आश्वस्त हो ताकि जनता जनार्दन का विश्वास बढ़े। आज किसी भी क्षेत्र में बेरोजगारों की भारी भीड़ देखने को मिल सकती है। लेकिन सरकार अपनी राजनीति चमकाने में मस्त है। यहां की जनता भी अपनी जरूरत के मुद्दों से भटक गई है। उनको सिर्फ वोट देने से मतलब रह गया है। वह ना रोजगार पर बात करती है ना किसी अन्य मुद्दे पर। उनको नेता जैसे पाठ पढ़ा देते हैं उसी तरह पाठ पढ़ कर अपने घरों को चले जाते है्ं।
आज देश की अर्थव्यवस्था बहुत ही निचले स्तर पर जा चुकी है लेकिन नेताओं को इसकी चिंता नहीं है। नेताओं को सिर्फ अपनी चिंता है। विपक्ष के नेताओं का भी हाल यह है कि वह अपनी राजनीति चमकाने के लिए भाजपा में चले जा रहे हैं ताकि हमारी दाल रोटी चलती रहे क्योंकि यह जान चुके हैं कि जनता पूरी तरह भाजपा भक्ति में लीन हो चुकी है और उन्हें जिस का पाठ पढ़ाया जाएगा, उसी की भाषा बोलेंगे।
आज के तमाम समाचार पत्र भी सत्ता पक्ष की ही भाषा बोलते हैं। वह कभी बेरोजगारी का मुद्दा या कभी आर्थिक तंगी का मुद्दा उठाकर सरकार से सवाल नहीं पूछते हैं। क्योंकि उनको भी मुट्ठी भर कर मलाई खाने को मिल रही है। अगर जनता जनार्दन इन सब बातों को उठाएगी नहीं तो आने वाला समय बहुत ही भयावह होगा।
अनुपम श्रीवास्तव
स्वतंत्र संदेश
पत्रकार
गोरखपुर