सत्येंद्र कुमार-
गोरखपुर : गोरखपुर में अवैध संस्थान को मजिस्ट्रेट सील कर उसकी कहानी खत्म कर देता है और कुछ दिन बाद निचले स्तर का अधिकारी उस अवैध संस्थान को किसी उच्च अधिकारी की अनुमति के बगैर सील मुक्त कर मोटा माल बटोर लाता है । चर्चा है कि माल बटोरने वाले सरकारी डॉक्टर साहब सालों से इस कुर्सी पर अपने नजर गड़ाए बैठेथे । दाल नहीं गल रही थी सो इन साहब ने नेता जी से फोन कराकर स्पेशली अपने लिए यह कुर्सी मांग ली। अब कुर्सी मिली तो शुरू हो गया सील और डील का खेल।
माल बटोरने का यह मामला जब गोरखपुर के कमिश्नर साहब के सामने पहुँचा तो साहब ने जाँच गठित कर एक सप्ताह के अंदर सिटी मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट मांग लिया, लेकिन भ्रष्टाचारिणी मैय्या की लीला अपरम्पार यूँ ही नहीं है। एक सप्ताह छोड़िये छह महीने बाद भी आज तक न जाँच पूरी हुई और न रिपोर्ट आई। अब दुःखी समाजिक कार्यकर्ता ने थक हार कर फिर से कमिश्नर महोदय को पत्र लिखते हुए अपनी व्यथा जाहिर की है।

