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बनारस के इस अखबार के कर्मचारियों को दिवाली पर भी नहीं मिला वेतन

दिवाली भी रही फीफी, रणभेरी के कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन… बनारस में एक अखबार है ‘गूंज उठी रणभेरी’। यहां भी कई कर्मचारियों के लाखों रुपये बाकी हैं। कइयों ने अखबार छोड़ दिया है पर बकाया पैसा अभी तक नहीं मिला है।

अखबार की डायरेक्टर है सुमेला आफरीन पर देख रेख अजीत सिंह (सेठ) करते हैं। ये सेठ जी वाराणसी के राजमंदिर के पार्षद और नगर निगम कार्यकारिणी के सदस्य हैं।

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अजीत सिंह ने इसे साप्ताहिक अखबार के रूप में लगभग पांच साल पहले खोला था। 10 दिसंबर 2018 को बिल्डर नूर एहसान के साथ मिलकर सांध्य दैनिक कर दिया गया।

शुरुआत के समय अखबार के साथ विश्वनाथ गोकर्ण, अभिषेक त्रिपाठी, मनीष श्रीवास्तव, अमरेंद्र पाण्डेय के साथ लगभग 35-36 लोगों का स्टाफ था। बाद में अखबार के साथ कुमार अजय और मनोज श्रीवास्तव, रामयश मिश्र, विनीत पाण्डेय भी जुड़े पर पैसे के चलते जल्द ही इन लोगों ने भी किनारा कर लिया।

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लगभग आठ महीने चलाने के बाद नूर एहसान ने हाथ खींच लिया। वर्तमान में स्टाफ के नाम पर दो तीन लोग हैं। इंटर्नशिप करने वाले छात्रों के सहारे अखबार निकाला जा रहा है।

वाराणसी के शहर दक्षिणी से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं अजीत सिंह। उसके लिए बनारस के सभी अखबारों में लगभग 10 से 12 लाख रुपये का फुल पेज का विज्ञापन भी दिया था। पर कर्मचारियों के बकाया पैसे देने में टालमटोल करते रहे है। बचे हुए कर्मचारियों की दीपावली भी फीकी रहीं। नहीं मिला दिवाली पर वेतन।

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