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सुख-दुख

हेट स्पीच पर लाया जा रहा कानून सीधे-सीधे अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटना है!

मदन तिवारी-

Trial in absentia , अभियुक्त की अनुपस्थिति में मुकदमे का ट्रायल: सरकार नए आपराधिक कानून में बदलाव का कानून ला रही है, अभीतक मैंने ड्राफ्ट नही पढा है, परंतु खबरों से जो बाहर आ रहा है, उसमे से एक है अभियुक्त की अनुपस्थिति में ट्रायल। वैसे तो यह कानून पूर्व से है कि अभियुक्त की अनुपस्थिति और उसके वकील की उपस्थिति में ट्रायल हो सकता है धारा 317 सीआरपीसी। उन केसों में जहां बचाव पक्ष अभियुक्त की पहचान को चैलेंज नही करता है वहा 317 लागू होता है। लेकिन ट्रायल के दौरान बहुत सारे स्टेज है जहां अभियुक्त की उपस्थिति अनिवार्य है जैसे चार्ज फ्रेम करना, बयान दर्ज करवाना, दोषी पाया जाना, सजा सुनाना।

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सरकार और उसका मीडिया तंत्र बार बार दाऊद और अन्य फरार आतंकियों का नाम लेकर कानून में बदलाव के पक्ष में अनुकूल माहौल देशभक्ति यूफोरिया पैदा करके लाना चाहता है। यह बहुत खतरनाक है। पूर्व से ही निष्पक्ष ट्रायल एक चुनौती बना हुआ है अब इस बदलाव के बाद आम नागरिक जो सरकार की नीतियों से सहमत नही है या होंगे, उनका दमन इस बदलाव के माध्यम से करने की मंशा है सरकार की। इसके अतिरिक्त हेट स्पीच पर कानून सीधे सीधे अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटना है। यह वक्त पक्ष-विपक्ष की राजनीति करने का नही है, एकजुट होकर इस बदलाव के खिलाफ खड़े होने का है।

देशभक्ति के खुमार में या इस्लामिक कट्टरता के विरोध में अगर आप आज समर्थन करते हैं तो कल जब सता बदलेगी, फल आपको भी भोगना पड़ेगा। बीजेपी के शासनकाल में भी गौरक्षकों पर झूठे मुकदमे हो रहे हैं। बीजेपी के नेता स्टेज पर हिंदुत्व का राग अलापते है। धरातल पर अपने समर्थकों को मरने के लिये छोड़ देते हैं।

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आप सवाल नहीं खड़ा करते उल्टे इन्हें सम्मानित करते हैं जिससे उनलोगों को जो हिंदुत्व की जमीनी लड़ाई लड़ रहे हैं निराशा होती है। हिंदुओ ने खुद के धर्म की कुरीतियों के खिलाफ सुधार किया, परिमार्जित किया तब आज विश्व में हिंदुत्व की प्रशंसा हो रही है। आज फिर वह समय आया है जब खुद के खिलाफ, खुद की सरकार के खिलाफ रचे जा रहे षड्यंत्र का विरोध करें।

याद दिला देता हूँ, एक माह पहले मोदी एक बिल लाये थे live stock export bill . इसके तहत जीवित जानवर, गौवंश, कुत्ता बिल्ली को विदेश आयात करने का प्रावधान था जहाँ उन्हें कसाईखाने में कटने के लिये भेज दिया जाता। हमलोगों ने पुरजोर विरोध किया, उस बिल को वापस लेना पड़ा। इस कानून संशोधन का भो विरोध करें, पुरजोर विरोध करें ।

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1 Comment

1 Comment

  1. विपिन

    August 18, 2023 at 7:53 pm

    अभियुक्त की उपस्थिति या गैरहाजिरी से मतलब ही क्या है । सीधा सीधा कानून लाते क्यों नही की मुकदमा दर्ज होते ही या चार्जशीट लगते ही अभियुक्त दोषी मान लिया जाएगा । भैण चो…फालतू में ये ट्रायल का नाटक करके इतने लंबे खर्चे पर इतनी बड़ी जुडिशरी और कचहरी क्यों खड़ी कर रखी है ?

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