सुधा मूर्ति राज्य सभा के लिये मनोनीत – पाञ्चजन्य ने क्या कहा था इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है
संजय कुमार सिंह
हेडलाइन मैनेजमेंट की आज की खबर पर आने से पहले इंडियन एक्सप्रेस की आज की लीड की चर्चा की जानी चाहिए। नवोदय टाइम्स में भी यह खबर लीड है। इस खबर के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूस से भारतीयों को रिहा कराएंगे। इंडियन एक्सप्रेस की इस खबर के अनुसार, सीबीआई ने कहा है कि छात्रों को रूस के यु्द्ध में भेजने के लिए ट्रैवेल एजेंट ने छात्र वीजा का इस्तेमाल किया। कहने की जरूरत नहीं है कि गलत हुआ तो इसलिए कि होने दिया गया। आप ये नहीं कह सकते कि छात्र दोषी है। और जो दोषी हैं उन्हें समय रहते रोका नहीं जा सका। अब जब बदनामी हो रही है तो “रूस से भारतीयों को रिहा करायेगा – विदेश मंत्रालय” जैसे शीर्षक छप रहे हैं। विदेश मंत्रालय पहले क्या कर रहा था और क्या यह जरूरी नहीं होना चाहिये कि इस तरह नौकरी के नाम पर विदेश जाने वालों के मामले विदेश मंत्रालय देश छोड़ने से पहले देखे? जाहिर है, सरकारी चूक के इस मामले को अखबारों में जगह नहीं मिल रही है और अखबार ऐसे छाप रहे हैं जैसे सरकार को नागरिकों की बड़ी चिन्ता है।
यह खबर दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर तो नहीं ही है हेडलाइन मैनेजमेंट वाली आज की खबरें छापने में अखबारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। दोनों खबरें कई अखबारों में लीड तक बन गई है जबकि जो लीड होनी चाहिये वह अकेले इंडियन एक्सप्रेस में है। हालांकि वह भी सीबीआई की विज्ञप्ति की ही तरह छपी है। हेडलाइन मैनेजमेंट वाली खबरों में एक तो लीड भी बन गई है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने इसे सिंगल कॉलम में छापा है। और लीड जैसी खबर को ही लीड बनाया है। रसोई गैस का सिलेंडर 100 रुपये सस्ता होने की मामूली खबर तो आज लीड है ही, नया शुरू किया गया राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार भी लीड है। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री इस साल पांच भारत रत्न देकर दिल जीत चुके हैं और अपने पक्ष में राजनीतिक समीकरण बैठा चुके हैं। अब यह राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार। बेशक प्रधानमंत्री हैं तो यह सब कर सकते हैं और किया है तो खबर भी है। लेकिन इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री वोटर को क्या समझते हैं और वोट लेने के लिए क्या कुछ कर रहे हैं।
इसमें आईटी सेल बनाना और अब रचनाकारों को पुरस्कृत करना शामिल है। भाजपा नेताओं ने सिलेंडर की कीमत कम करने के फैसले की सराहना की है जबकि तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि यह राजनीतिक अवसरवादिता की पराकाष्ठा है। चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू होने से पहले यह छूट और वह भी 100 रुपए की, मामूली और राजनीतिक मजाक है लेकिन अखबारों में इसे गंभीर खबर की तरह छापा गया है। ऐसे जैसे मांग रही हो और जनता परेशान हो। और प्रधानमंत्री ने बड़ी कृपा कर दी हो। अंग्रेजी अखबारों, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हिन्दू ने इसे लीड बनाया है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में छापा है। द हिन्दू ने लिखा है, छह महीने में यह दूसरी कटौती है। इससे पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले अगस्त में कीमत कम की गई थी।
दोनों पर देश का कितना पैसा खर्च हुआ या होगा यह तो अखबारों में नहीं दिखा पर प्रधानमंत्री हर तरह से वोट पाने की कोशिश कर रहे हैं यह दिख रहा है। भले इसमें कुछ गलत नहीं है पर खबर तो है और यह खबर किसी अखबार में नहीं है। इसीलिए इन जैसी खबरों को हेडलाइन मैनेजमेंट कहा जाता है। मोदी सरकार ने इसमें विज्ञापनों को भी जोड़ लिया है। आज के अखबारों में मोदी सरकार की गारंटी का विज्ञापन है, भारत बनेगा विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। मुझे लगता है कि आबादी के लिहाज से भारत अगर दूसरे नंबर पर है तो अर्थव्यवस्था में तीसरे नंबर पर क्यों है? अर्थव्यवस्था में पहले नंबर पर होता तो खबर होती, तीसरे नंबर पर तो यूं ही होना चाहिये। सरकार के पास इसका जवाब है और वह भी विज्ञापन में ही है। इसके अनुसार 10 वर्षों में भारत 11वें से 5वें स्थान पर आया है। और इसलिए विकास हुआ है। इसमें मुद्दा प्रति व्यक्ति आय है। रोजगार और जीडीपी है पर वह सब गोल है।
उसकी बात नहीं की जाती है और यह वैसे ही है कि अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन की हो जायेगी। अब तो सबको पता है कि नोटबंदी और जीएसटी नहीं होता (मोदी सरकार नहीं होती) तो यह सब हो चुका होता। पर मोदी सरकार के कारण होते-होते रह गया। यह उनका दिया और किया नुकसान है पर उसकी चर्चा नहीं होती और सिर्फ प्रचार हो रहा है। मीडिया का काम था सच बताना पर वह विज्ञापन से पैसे पाकर खुश है। वरना यह बड़ी बात है कि पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था अपने आप हो सकती थी। उसे प्रचारित किया गया, उसका श्रेय लिया गया और नहीं हुआ तो चुप्पी साध गये। उन गलतियों पर सन्नाटा है जिनकी वजह से अर्थव्यवस्था का पांच ट्रिलियन होना टल गया। सरकार प्रचार चाहे जो करे, जो लोग सरकारी अव्यवस्था औऱ मनमानी भोग रहे हैं वे तो वोट नहीं देंगे और इसी लिए सबकुछ हरा-भरा दिखाने की कोशिश चल रही है। इसमें किसी को किसी भी तरह प्रभावित करना शामिल है। पर अभी वह मुद्दा नहीं है।
सिलेंडर 100 रुपये सस्ता हुआ – आज नवोदय टाइम्स में लीड तरह प्रमुखता से छपी है। प्रतिभाओं को पीएम का सम्मान भी पहले पन्ने पर है। अमर उजाला में रचनाकार पुरस्कार लीड है। सिलेंडर सस्ता होने की खबर इसके साथ बराबर में दो कॉलम में है। इसका उपशीर्षक है, पीएम मोदी बोले – नारी शक्ति के साथ पर्यावरण को भी लाभ। लीड का शीर्षक है, भारत के बारे में सृजन करें, संस्कृति विरासत विश्व के सामने लायें। उपशीर्षक है, क्रियेट ऑन इंडिया मूवमेंट शुरू करने का आह्वान। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले सरकार चुनावी तैयारियां कर रही हैं और ढेर सारी घोषणाएं इसीलिए हैं। अखबार में लीड के साथ एक खबर यह बताती है कि केंद्रीय मंत्रालय 13 मार्च से पहले सब समेटने में लगे हैं और संभावना है कि चुनाव आयोग अगले हफ्ते के मध्य में चुनाव के कार्यक्रम घोषित करे। कहने की जरूरत नहीं है कि इन खबरों के फेर में बहुत सारी खबरें छूट गई या दब गई हैं।
इनमें सड़क पर नमाज पढ़ रहे लोगों को एक पुलिस वाले द्वारा लात मारना शामिल है। मुझे लगता है कि यह पुलिसवाला सार्वजनिक रूप से ऐसा यूं ही नहीं कर रहा होगा। पर वह कभी पता ही नहीं चलेगा। आज ही इंडियन एक्सप्रेस में खबर है कि बैंगलुरु का रामेश्वरम कैफे पिछले दिनों बम फटने के बाद आज से फिर शुरू हो गया है। इंडियन एक्सप्रेस में आज सरकारी प्रचार और हेडलाइन मैनेजमेंट वाली दोनों ही खबरें पहले पन्ने पर नहीं हैं लेकिन सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए चुने जाने की खबर पहले पन्ने पर है और बताया गया है कि प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति को रेखांकित किया है। इसके साथ छपी एक खबर के अनुसार 2021 में आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पांञ्चजन्य ने इंफोसिस और इसके फाउंडेशन पर भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने और नक्सलियों, वामपंथियों तथा टुड़े-टुकड़े गैंग की सहायता करने का आरोप लगाया था। अब उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया है।