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सुख-दुख

फर्जी सूचना पर यकीन करने का नतीजा !!

आज गाजियाबाद के एक स्कूल के बच्चों के अभिभावकों को सुबह-सुबह एसएमएस से सूचना मिली कि स्कूल बंद है। जाहिर है, बच्चों में यह सूचना सबसे पहले फैली। एक बच्चे ने अपने पिता को सूचना दी तो पिता ने बच्चे से कहा कि अपने क्लास के ग्रुप में देखो। व्हाट्सऐप्प का यह ग्रुप अभिभावकों के लिए है और स्कूल के सभी कक्षाओं के लिए अलग। अभिभावक ही उस ग्रुप में होते हैं। इस बच्चे के पिता ने उसे अपना फोन देखने के लिए कहा, बच्चे के पास उसका अलग फोन है। उसके उसके क्लास के साथी ने फोन करके एसएमएस की सूचना दी थी।

ग्रुप में कोई सूचना नहीं थी। पिता ने बच्चे से कहा कि स्कूल खुला है तुम तैयारी करो। अगर ग्रुप में सूचना नहीं आएगी तो बस स्टैंड जाना। बस नहीं आएगी तो लौट आना। बशर्ते तुम्हे छुट्टी मनाने का मन न हो। बच्चा तैयार होता रहा। थोड़ी देर में ग्रुप में एक अभिभावक का संदेश आया कि आज फलां परीक्षा है और मैसेज आया है कि स्कूल बंद है सो परीक्षा का क्या होगा। शिक्षक ने जवाब में एक मैसेज फार्वार्ड किया कि आज स्कूल में सामान्य कार्य दिवस है। बात स्पष्ट थी और जाहिर है सबके लिए थी। जिस शिक्षक ने यह जवाब दिया उसे भी स्कूल निकलना होगा और तैयारी करनी होगी। इसलिए किसी अभिभावक को सुबह-सुबह इससे ज्यादा अपेक्षा करनी भी नहीं चाहिए।

दिल्ली एनसीआर में जब ज्यादातर बच्चे स्कूल बस से जाते हैं तो बस आएगी मतलब स्कूल खुला है या बस स्टॉप से वापस आ जाना है। हालांकि, कुछ लोगों के लिए यह बड़ा और भारी काम हो सकता है। पर सच यह है कि इस फर्जी सूचना के कारण आज एक क्लास में औसतन 15-16 बच्चे थे। शिक्षकों को सुबह सब काम छोड़कर व्हाट्सऐप्प पर जवाब देना पड़ा और उसपर भी शिकायत कि हमने तो अपने बच्चे को नहीं भेजा। मतलब शिक्षक सबको फोन करके बताता कि आपके पास एक फर्जी सूचना आई है। उसपर यकीन मत कीजिए। मैं फलां स्कूल का फलां बोल रहा हूं। अपने बच्चे को स्कूल भेजिए।

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यह सब नहीं किया गया तो नुकसान किसका हुआ? और किसलिए? क्योंकि आप फर्जी सूचनाओं पर यकीन करते हैं। शायद फार्वार्ड भी करते हों। यह सोचे बगैर कि उससे किसी को परेशानी भी हो सकती है। अब वापस कहानी पर। 45-50 बच्चों के एक क्लास के ग्रुप में एक के बाद एक – दो अभिभावकों ने फिर एक संदेश भेजा जिसमे स्पष्ट लिखा था कि शुक्रवार, 5 अक्तूबर को फंला स्कूल बंद है, कारण भी बताया था। प्रिंसिपल का नाम भी था और नाम सही है। स्कूल बंद होने के लिए बताया गया कारण एक स्कूल के लिए खास है इसलिए मैं कारण नहीं लिख रहा। हालांकि यह पिछले दिन के लिए था और असल में पिछले दिन के संदेश में ही तारीख और दिन बदल दिया गया था।

शिक्षक ने अपना पिछला संदेश फिर फार्वार्ड किया। जी हां, उसी ग्रुप में दोबारा। फिर भी मैसेज आए। स्कूल शुरू होने का समय निकल जाने के बाद एक अभिभावक का संदेश आया हमें तो पहले सूचना मिली थी कि स्कूल बंद है इसलिए हमने अपने बच्चे को नहीं भेजा। और यह पौने 10 बजे तक चलता रहा। भई आपने संदेश पर विश्वास किया तो शिक्षक क्या करे। शिक्षक ने तो बता ही दिया था। खैर। मुद्दा यह है कि एसएमएस पर तो कोई भी कुछ भी संदेश भेज सकता है। भेजने वाले का नंबर या पहचान हमेशा गलत हो सकता है, बनाया जा सकता है हैक किया जा सकता है। आप उसपर यकीन क्यों करते हैं?

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जब रोज गलत सूचनाएं आ रही हैं तो आप चेक करने के वैकल्पिक उपाय क्यों नहीं करते हैं और नहीं करेंगे तो हर बार आपका नुकसान न हो, कभी तो होगा ही? इसलिए संभलना आपको है। ऐसी फर्जी सूचना भेजने वाला संभलेगा तो और चतुर होगा। और चतुराई करेगा और जब आप अभी नहीं पकड़ पा रहे हैं तो आगे क्या पकड़ेंगे। भुगतने के लिए तैयार रहिए। बच्चे ने पिता से पूछा कि आप कैसे समझ गए कि सूचना गलत है। पिता ने बताया कि सूचना भेजने का समय गलत था। यह सूचना सही रोती तो रात में आठ से 10 के बीच आ जाती और अगर कभी इसके बाद स्कूल बंद करने का निर्णय होगा तो वह अभिभावकों के ग्रुप में भेजा जाएगा। उसमें गलत सूचना नहीं भेजी जा सकती है? जरूर भेजी जा सकती है पर उसे पहचाना तब जा सकेगा जब आपको सूचना चेक करने की आदत हो।

 

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वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]

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