Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

गृहमंत्री का दावा और वास्तविक स्थिति

आज के हिन्दुस्तान टाइम्स में केंद्रीय गृहमंत्री का यह दावा छपा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत कोविड के खिलाफ संघर्ष में अच्छी स्थिति में है। इससे संबंधित एक पोस्ट में मैंने लिखा है कि गृहमंत्री का यह दावा निराधार है। आइए अब बताऊं कोरोना से युद्ध में सरकार क्या नहीं कर रही है। सबसे पहले तो विधि जैन ने ट्वीट किया है, नरेन्द्र मोदी जी, आम नागरिकों पर दया कीजिए। मेरे पत्र पर आपके द्वारा कार्रवाई अपेक्षित है। मैं चार महीनों से आपको व मंत्रालयों को लिख रही हूँ पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। विधि जैन जब प्रधानंत्री, सरकार और अधिकारियों को लिखकर थक गई तों उन्होंने कइयों से प्रार्थना की है कि, आमजन से जुड़े इस विषय को आगे बढ़ाएँ, रिट्वीट करें।

विधि जैन के अनुसार, 30 जनवरी 2020 को भारत में पहला कोरोना संक्रमित मिला था तब से लेकर अब तक भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कोरोना से बचाव संबंधी 100% सामग्री केवल अंग्रेजी में जारी की है उनमें से मात्र 5-6 पोस्टर ही संविधान के अनुच्छेद 343 में उल्लिखित राजभाषा हिन्दी में अनुवाद करके जारी किए गए हैं। इस संबंध में वे आठ मार्च से लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति, राजभाषा विभाग, स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय को 200 से अधिक बार शिकायत कर चुकी हैं। राजभाषा विभाग को और भी कई लोग शिकायत भेज चुके हैं पर फिर भी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी आम जनता को कोई भी जानकारी राजभाषा हिन्दी में देने के लिए तैयार नहीं हैं।

तालाबंदी के कारण हर भाषा के हजारों अनुवादक महीनों से घरों में बेरोजगार बैठे हैं, गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय व आयुष मंत्रालय इन अनुवादकों को अंग्रेजी अनुवाद का काम दे सकता हैं जिससे उन्हें रोजगार मिल जाएगा और आम जनता को कोरोना की जानकारी हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में मिलने लगेगी, जागरुकता बढ़ेगी, इससे कोरोना से निपटने में आम जनता का सहयोग मिलेगा। सूचनाएँ केवल अंग्रेजी में जारी होने से कोरोना के बारे में आम जनता को जानकारी देने के मामले में सरकार का काम कितना सफल और प्रभावी रहा होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। दूसरी ओर, एक सामान्य सी जरूरत और प्रावधान को पूर्ण करने की मांग पर तीन महीने बाद जो कार्रवाई हुई वह एख पत्र भर है। गृहमंत्रालय के तहत आने वाले राजभाषा विभाग का 18 जून का यह पत्र देखें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दूसरा मामला, रात में लगाए जाने वाले कर्फ्यू और लॉकडाउन उल्लंघन का है। इस मामले में देश भर में समान सख्ती होनी चाहिए पर सख्ती आम गरीब लोगों को पीटने के रूप में नजर आई थी जो निश्चित रूप से पुलिसिया ज्यादती थी पर वैसे किसी मामले में किसी कार्रवाई की कोई खबर नहीं है। दूसरी ओर, गुजरात पुलिस की एक महिला सिपाही सुनीता यादव का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसके अनुसार इस सिपाही ने एक चौराहे पर, एक कार को लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर रोका और उसके सवार से ‘कर्फ्यू’ में बेवजह बाहर निकलने और ‘फेस मास्क’ न लगाने से संबंधित पूछताछ की। वह गुजरात के एक मंत्री का बेटा था। बात बढ़ी तो मंत्री से फोन पर बात हुई और उसने अपनी बात मजबूती से रखी। मंत्री से यह पूछने की हिम्मत की कि क्या उनका पुत्र होने के कारण उसे कुछ भी करने, नियम-कानून न मानने की छूट है? पर कुछ खास नहीं हुआ।

पुलिस के उसके अपने अफसरों का रवैया भी वैसा ही था जैसा मंत्री के बच्चों के मामले में होता है। वे मामले में कार्रवाई की बजाय उसे टालने और दबाने की कोशिश में थे। हालकर महिला सिपाही ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया जबकि उसे ईनाम मिलना चाहिए था। भले ही यह सामान्य बात हो और कांग्रेस के जमाने में भी होता था जैसी दलील से इसे कम महत्व दिया जाए पर कोरोना से निपटने के मामले में भारत की जो अच्छी स्थिति है वह कैसे है? इसके अलावा कोविड के कारण अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान से निपटने या कश्मीर में स्थिति सामान्य करने की दिशा में किसी प्रयास की जानकारी नहीं है। ऐसे में देश चल रहा है, घिसट रहा पर दूसरे देशों से अच्छा है यह कैसे कहा जा सकता है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक हैं.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement