Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

परेशान करने वाले मुकदमों से कैसे बचें पत्रकार?

दामिलोला बैंजो-

स्वीडन में आयोजित तेरहवीं ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कांफ्रेंस (जीआईजेसी-23) में एक सत्र का विषय था- ‘पत्रकारों के खिलाफ रणनीतिक मुकदमों और अन्य कानूनी हमलों का मुकाबला कैसे करें?’

Advertisement. Scroll to continue reading.

पैनल इस प्रकार था:

  • कुंदा दीक्षित (Kunda Dixit), नेपाली प्रकाशक (सत्र के संचालक)।
  • अलेक्जेंडर पापाक्रिस्टो (Alexander Papachristou) , कार्यकारी निदेशक, साइरस आर. वेंस सेंटर फॉर इंटरनेशनल जस्टिस ।
  • कार्लोस गैलो, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मीडिया डिफेंस (पत्रकारों को कानूनी सहायता देने वाली संस्था)।
  • बी बोड्रोगी , हंगरी के मानवाधिकार वकील, जिन्होंने रणनीतिक मुकदमों के अनगिनत मामलों पर काम किया है।

सत्र का संचालन करते हुए कुंदा दीक्षित ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र को खतरा सिर्फ अत्याचारियों और तानाशाही सरकारों से ही नहीं आता है बल्कि निर्वाचित लोकतंत्र वाले देशों में भी ऐसे खतरे देखे जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कुंदा दीक्षित खुद भी ऐसे रणनीतिक मुकदमों का शिकार हो चुके हैं। रणनीतिक मुकदमों को दूसरे शब्दों में परेशान करने वाले मुक़दमे कहा जा सकता है।

मीडिया को डराने के लिए सरकारों द्वारा जान-बूझकर किसी बहाने से अनावश्यक कानूनी मुकदमे थोपकर उलझाने की रणनीति अपनाई जाती है। इस प्रवृति को SLAPP (Strategic Lawsuits Against Public Participation) कहा जाता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पैनल चर्चा के दौरान बी बोड्रोगी ने कहा कि रणनीतिक मुकदमे थोपना एक कानूनी हथियार है। इनका उपयोग प्रभावशाली लोगों या संस्थाओं द्वारा अपने आलोचकों को खबरें छापने से रोकने के लिए किया जाता है। इनका उद्देश्य पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को धमकाना, परेशान करना और डराकर चुप कराना है।

वर्ष 2017 में माल्टा की खोजी पत्रकार डैफने कारुआना गैलिज़िया की कार की सीट के नीचे विस्फोटक छुपाकर हत्या कर दी गई थी। माल्टा के बिदनिजा स्थित उनके घर के बाहर यह विस्फोट हुआ था। उन्हें अपनी मौत से पहले मानहानि के 48 मामलों का सामना करना पड़ा था। इनमें कई मामलों में बाद में भी उनके परिवार को उलझना पड़ा। बी बोड्रोगी ने कहा कि इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि रणनीतिक मुकदमे पत्रकारों के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुंदा दीक्षित ने कहा- “सरकारों के लिए अब पत्रकारों की हत्या करने या देश से निकालने की ज़रूरत नहीं है। अब पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दायर करना ज्यादा आसान रास्ता है। यदि पत्रकार के मूल निवास वाले देश में ऐसा करना संभव न हो, तो किसी अन्य देश या अन्य क्षेत्राधिकार में मुकदमा करने के रास्ते ढूंढ लिए जाते हैं।

रणनीतिक मुकदमों की पहचान कैसे करें?

बी बोड्रोगी ने रणनीतिक मुकदमों से जुड़े 100 से अधिक पत्रकारों के साथ काम किया है। उन्होंने यह समझने के लिए कुछ संकेत साझा किए कि क्या कोई पत्रकार रणनीतिक मुकदमों का शिकार बन चुका है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. यदि कानूनी कार्रवाई किसी निजी पक्ष द्वारा की गई है तो यह एक रणनीतिक मुकदमे का मामला है। पत्रकारों को ध्यान देना चाहिए कि सरकारी अधिकारी भी अपनी निजी क्षमता में कार्य कर सकते हैं। इसलिए उनका ध्यान केवल निजी संस्थाओं पर नहीं होना चाहिए।
  2. रणनीतिक मुकदमों के जरिए पत्रकारों को सार्वजनिक हित से जुड़ी खबरें प्रकाशित करने से रोका जाता है। पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अपनी सार्वजनिक भागीदारी के जरिए एक महत्वपूर्ण निगरानी कार्य करते हैं। इसलिए उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में अपने कार्यों या लेखनी के जरिए भागीदारी से रोका जाता है।
  3. यदि कोई मुकदमा सार्वजनिक भागीदारी से रोकने या हतोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया है, तो यह एक रणनीतिक मुकदमा है। ऐसे मामलों में केवल मीडिया संगठनों को नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से पत्रकारों को भी निशाना बनाया जाता है।
  4. जब किसी मुकदमे में प्रस्तुत तर्क कानूनी और तथ्यात्मक दोनों ही दृष्टि से निराधार हो, तो इसे रणनीतिक मुकदमा समझना चाहिए।
  5. यदि मुकदमा करने वाले वादी का उद्देश्य केस जीतना नहीं है, बल्कि पत्रकार को आर्थिक चोट पहुंचाना और परेशान करना या उन्हें उनके काम से विचलित करना है, तो यह एक रणनीतिक मुकदमा है।

रणनीतिक मुकदमों से लड़ने में पत्रकारों के मददगार संगठन

आम तौर पर स्वतंत्र पत्रकार और छोटे मीडिया संगठन इन मुकदमों के खिलाफ अपना बचाव नहीं कर सकते हैं। इसलिए पत्रकारों और अधिवक्ताओं की मदद के लिए ऐसे सिस्टम की आवश्यकता है जो उन्हें पत्रकारिता के मूल कार्यों से विचलित हुए बगैर ऐसे मामलों से निपटने में मदद करे। मुकदमा करने वालों का उद्देश्य अदालती मामलों में फंसाकर पत्रकारों का समय बर्बाद करना है ताकि वे खबरें निकालने का अपना काम न कर सकें।

यूरोपीय संघ के संस्थान रणनीतिक मुकदमों का निशाना बने पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण और मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। कई देशों में पत्रकारों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ संगठन ये जिम्मेदारियां उठा रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

रिपोर्टर्स शील्ड (Reporters Shield) – यह अमेरिका की एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसे ओसीसीआरपी के खोजी पत्रकारों और साइरस आर. वेंस सेंटर फॉर इंटरनेशनल जस्टिस के वकीलों ने विकसित किया है। इस संस्था का उद्देश्य दुनिया भर के खोजी पत्रकारों को कानूनी खतरों से बचाना है। इस कार्यक्रम के तहत औपचारिक शुल्क लेकर संगठनों और मीडिया संगठनों को सदस्य बनाया जाता है। इसके आधार पर उन्हें कानूनी परामर्श और प्रतिनिधित्व की सुविधा मिलती है। सदस्यता के लिए संगठनों की पात्रता के कई मानदंड हैं। जैसे, उन्हें सार्वजनिक हित से जुड़ा हुआ चाहिए, अथवा जो प्रिंट या ऑनलाइन मीडिया में खोजी रिपोर्टिंग में संलग्न हों। विवरण देखें । रिपोर्टर्स शील्ड के पास लगभग पांच लाख डॉलर की राशि है जिसका उपयोग अपने सदस्यों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है।

अलेक्जेंडर पापाक्रिस्टो ने बताया कि ‘रिपोर्टर्स शील्ड’ द्वारा पत्रकारों को कानूनी मुकदमों में किस प्रकार से मदद की जाती है। यदि आप हार जाते हैं तो वह इसकी कोई भरपाई नहीं करता। इसलिए यदि अदालत आपके खिलाफ फैसला सुनाती है, तो इसकी कीमत आपको चुकानी होगी। लेकिन आपकी कानूनी रक्षा करने का खर्च ‘रिपोर्टर्स शील्ड’ द्वारा वहन किया जाएगा। इस संस्था ने यूएसएआईडी और अन्य दानदाताओं के माध्यम से अमेरिकी सरकार से 13 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। संस्था का लक्ष्य 20 मिलियन डॉलर की राशि जुटाना है। यह कार्यक्रम अभी प्रथम चरण में है। अभी यह उत्तरी अमेरिका और यूरोप में चल रहा है। दूसरे और तीसरे चरण में क्रमशः उप-सहारा अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में जाएगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मीडिया डिफेंस (Media Defence ) – उन पत्रकारों को अनुदान प्रदान करता है जिन पर उनके काम के लिए मुकदमा चलाया जाता है या उन्हें ऐसे वकीलों से जोड़ा जाता है जो उन्हें पर्याप्त कानूनी सहायता देने में सक्षम हैं। इसके सीईओ कार्लोस गैलो ने कहा- “हमारे पास उत्कृष्ट वकीलों की एक इन-हाउस कानूनी टीम है जो इस काम की देखरेख करती है और अंतरराष्ट्रीय अदालतों में हमारे सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है।”

उन्होंने कहा कि ‘मीडिया डिफेंस’ दुनिया के 23 देशों में पत्रकारों की मदद कर रहा है। वर्ष 2022 में 188 मामलों में मदद की गई। इनमें से 40 प्रतिशत मामले रणनीतिक मुकदमों संबधी थे। इससे पता चलता है कि SLAPP  की संख्या लगातार बढ़ रही है।

कार्लोस गैलो ने कहा, “हम ऐसे मामलों का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उन पत्रकारों की मदद करना चाहते हैं जो मानवाधिकारों के उल्लंघन के शिकार हुए हैं या जिन्हें रणनीतिक मुकदमों में दोषी ठहराया गया है। हम अदालतों में और संयुक्त राष्ट्र संधि निकायों के समक्ष भी ऐसे प्रयास कर रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

(यह खबर GIJC की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर आधारित है)

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement