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एचटी मीडिया व एचएमवीएल प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोल रहा, जाने क्या है सच्चाई

एचटी मीडिया व एचएमवीएल की सच्चाई…. कुछ तथ्य… मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एचटी मीडिया और एचएमवीएल ने सभी तथ्य और रेकॉर्ड गलत दाखिल किये हैं. इन्होंने वहां शो किया है कि हमारे दस-बारह कर्मचारी ही बचे थे उनको हमने वेजबोर्ड दे दिया, सैटलमेंट करके, बाकी सबको पहले ही दे रहे हैं. सच्चाई और तथ्य यह है कि इन्होंने अपने यहां काम करने वाले किसी भी कर्मचारी को आज की तारीख तक मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से न पैसा नहीं दिया, न हिंदी हिन्दुस्तान में और न ही अंग्रेजी एचटी. किसी भी कर्मी को मजीठिया के अनुसार वेतन और एरियर नहीं दिया गया.

<p>एचटी मीडिया व एचएमवीएल की सच्चाई.... कुछ तथ्य... मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एचटी मीडिया और एचएमवीएल ने सभी तथ्य और रेकॉर्ड गलत दाखिल किये हैं. इन्होंने वहां शो किया है कि हमारे दस-बारह कर्मचारी ही बचे थे उनको हमने वेजबोर्ड दे दिया, सैटलमेंट करके, बाकी सबको पहले ही दे रहे हैं. सच्चाई और तथ्य यह है कि इन्होंने अपने यहां काम करने वाले किसी भी कर्मचारी को आज की तारीख तक मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से न पैसा नहीं दिया, न हिंदी हिन्दुस्तान में और न ही अंग्रेजी एचटी. किसी भी कर्मी को मजीठिया के अनुसार वेतन और एरियर नहीं दिया गया.</p>

एचटी मीडिया व एचएमवीएल की सच्चाई…. कुछ तथ्य… मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एचटी मीडिया और एचएमवीएल ने सभी तथ्य और रेकॉर्ड गलत दाखिल किये हैं. इन्होंने वहां शो किया है कि हमारे दस-बारह कर्मचारी ही बचे थे उनको हमने वेजबोर्ड दे दिया, सैटलमेंट करके, बाकी सबको पहले ही दे रहे हैं. सच्चाई और तथ्य यह है कि इन्होंने अपने यहां काम करने वाले किसी भी कर्मचारी को आज की तारीख तक मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से न पैसा नहीं दिया, न हिंदी हिन्दुस्तान में और न ही अंग्रेजी एचटी. किसी भी कर्मी को मजीठिया के अनुसार वेतन और एरियर नहीं दिया गया.

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इन्होंने यानी एचटी कंपनी और एटएमवीएल ने इस वेज बोर्ड से बचने के लिए तकरीबन सभी कर्मचारियों के पहले के रिकॉर्ड में भयंकर गड़ब़ड़ियां अपने हिसाब से कर ली हैं ताकि कोर्ट की नजर में और लेबर कमिश्नर की नजर में भी साफ बच जाएं. इन्होंने कर्मचारियों के पदनाम बदले. उनकी सैलरी स्लिप पुरानी यानी 2010 से अब तक सारी बदल डाली. यहां तक कि फॉर्म-16 इनकम टैक्स का जो इस साल का दिया, उसमें भी दिल्ली या नोएडा में काम करने वाले को कहीं और यानि यूपी, बिहार, के किसी शहर का शो कर दिया है. वह हर कर्मचारी या तो दिल्ली में काम कर रहा है या नोएडा, गुड़गांव आदि में. यहीं वह रहता भी है.

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अंदर का स्टाफ जो कि पूरे भारत में करीब 2500 है, जो इससे लाभान्वित होगा, वह कुछ नहीं बोल सकता, क्योंकि अगर उसने कुछ बोला या कहीं कहा तो उसे ये फौरन नौकरी से बाहर करने को तैयार रहते हैं. कई लोगों को तो कर भी चुके हैं बाहर. ऐसे में भड़ास4मीडिया इन बातों को कोर्ट के सामने लाकर इनकी पूरी जांच कराएं और लोगों को न्याय दिलवाए.

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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