लखनऊ : भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में उत्तर प्रदेश कैडर की सेवानिवृत्त अधिकारी प्रोमीला शंकर ने केन्द्रीय कैबिनेट सचिव अजीत सेठ समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोपों का पिटारा खोला है. वर्ष 1976 बैच की आईएएस अधिकारी प्रोमिला फरवरी 2012 में रिटायर हुई थीं. नौकरशाही के गिरते स्तर पर आधारित अपनी पुस्तक ‘गॉड ऑफ करप्शन’ में उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल खोली है। कितामें उन्होंने केन्द्रीय कैबिनेट सचिव के पद पर रह चुके टीएसआर सुब्रामनियम से लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार में केन्द्रीय कैबिनेट सचिव अजीत सेठ तक के कारनामों का जिक्र किया है.
आईएस लेखिका ने अपनी पुस्तक में सेठ को लेकर तीखी टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्ष 2012 मायावती के शासनकाल में जब उन्हें निलंबित किया गया तो सेठ उनके पक्ष में कभी खड़े नहीं हुये जबकि उन्हें पता था कि उन्हें गलत आरोप लगाकार निलंबित किया गया था. उन्होंने लिखा है कि अजीत सेठ वह अधिकारी हैं, जिनके साथ मैंने कभी काम किया था. अपने निलंबन के बाद मैंने कई दफा उनसे संपर्क करने के लिये फोन किया लेकिन उन्होंने एक बार भी मेरा फोन रिसीव नहीं किया.
अपनी किताब में वह लिखती हैं कि मैंने उनके लिये मैसेज भी छोड़ा मगर इसके बावजूद उनका फोन कभी भी मेरे पास नहीं आया. यह एक साथी की हैसियत से मेरे प्रति उनकी संवेदनहीनता का नमूना भर था. अपनी किताब में पूर्व कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह, पूर्व मुख्य सचिव एपी सिंह आदि पर निशाना साधते हुए उन्होंने लिखा है कि शशांक ने जब सस्पेंड कराया तो सेठ ने फोन नहीं उठाया। किसी पायलट के अधीन कोई आईएएस कैसे काम कर सकता है। 36 साल की नौकरी में रीढ़विहीन आईएएस एसोसिएशन ने भी उनकी मदद नहीं की थी।
प्रोमिला को उनकी सेवानिवृत्ति से महज एक महीने पहले निलंबित कर दिया गया था. उन पर आरोप था कि वह अपनी दो दिवसीय सरकारी विदेश यात्रा पर अपने आईएएस पति पी. उमाशंकर को बिना इजाजत ले गयी थीं. प्रोमिला शंकर को मायावती सरकार ने नौ सितंबर 2011 को निलंबित कर दिया था। प्रदेश सरकार के इस निर्णय के खिलाफ उन्होंने केंद्र सरकार से शिकायत की थी, जिस पर 16 फरवरी को केंद्र सरकार ने उनके निलंबन को खत्म करने का फैसला किया था।