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उत्तर प्रदेश

आईएएस-पीसीएस अफसरों को सेट करना बेहद आसान है!

ANKIT PAL

सरकार द्वारा पारित कृषि अधिनियमों में से एक में विवाद के निपटारे के लिये SDM कोर्ट की व्यवस्था की गयी है। इस तरह की व्यवस्थायें राजस्व मामलों के लिये भी की गयी हैं। ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि इस प्रकार की सारी कोर्टें राज्य सरकार की कठपुतली होती हैं।

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एक वकील होने के नाते मैं यह बखूबी जानता हूँ कि नायब तहसीलदार और एसडीएम लेवल की कोर्टों को कानूनों की कितनी समझ होती है। उत्तर प्रदेश में हाल में राजस्व मामलों की सबसे बड़ी अदालत राजस्व परिषद के दो बड़े जजों (IAS) ने अपने आदेशों में माफिया मुख्तार अंसारी को फायदा पहुंचाया, सरकार ने दोनों को निलंबित कर दिया।

प्रशासनिक अधिकारियों को सेट करना (घूस व पॉलीटिकल दबाव से) बेहद आसान है। Executive को Judicial पावर देना हमेशा खतरनाक रहा है। यह मशहूर विधिशास्त्री ऑस्टिन के ”सेपरेशन ऑफ़ पावर सिद्धांत” के खिलाफ है। Judiciary को सरकार अथवा Executive से पूरी तरह से अलग होना चाहिए। सरकार किसानों के विवादों को सुलझाने के निम्न उपाय कर सकती थी-

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  1. सीधे सिविल कोर्टों में वाद दायर करने का अधिकार, ….लेकिन ऐसा करने के लिये रिक्त जजों के पद भरने पड़ेंगे और नये पद सृजित भी करने पड़ेंगे।
  2. शिकायतें निपटाने के लिये कृषि विवाद आयोग बनाकर…..क्योंकि जब एससी-एसटी आयोग, ओबीसी आयोग, महिला आयोग, सूचना आयोग इत्यादि हो सकते हैं तो एक नया आयोग बना देने में क्या हर्ज़ है?
  3. ट्रिब्यूनल बनाकर …..जब ग्रीन ट्रिब्यूनल, कंपनी ट्रिब्यूनल, सर्विस ट्रिब्यूनल, एजूकेशनल ट्रिब्यूनल वगैरह हो सकते हैं तो एक नया ट्रिब्यूनल बना देने से क्या दिक्कत है?
  4. तहसील स्तर पर ग्राम न्यायालय मज़बूती से स्थापित किये जायें और उन्हें कृषि विवाद निपटाने की ताकत दी जाये। इन न्यायालयों में जजों की नियुक्ति सम्बंधित राज्य की हाईकोर्ट द्वारा लोक सेवा आयोगों की PCS(J) के चयनित अभ्यर्थियों में से की जाये।

गौरतलब हो कि भारतीय संसद ने 2008 में ” ग्राम न्यायालय एक्ट-2008″ पारित किया है जो कि अधिकांश राज्यों में धूल फाँक रहा है। जिन राज्यों ने इसे अधूरे मन से लागू किया है वहां इन न्यायालयों के जजों को पावर न के बराबर दे रखी है।

इस देश की नौकरशाही सारी ताकत अपने पास रखना चाहती है। मैं एक वकील होने के नाते Judiciary की ताकत अनावश्यक रूप से IAS, PCS अधिकारियों को दिये जाने के खिलाफ हूँ ।

ANKIT PAL
ADVOCATE, ALLAHABAD HIGH COURT, LUCKNOW BENCH
[email protected]
Phone number: 8887808324

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