रविंद्र सिंह-
उदय शंकर ने किया इफको का अपहरण..
इफको में उदय शंकर अवस्थी की प्रबंध निदेशक के रूप में हैसियत एक नौकरशाह की थी. इस नौकरशाह ने भारत जैसे विकासशील देश के 5.5 करोड सदस्य किसानों की इफको का देखते-देखते अपहरण कर लिया है। उक्त अपहरण के खेल में उदय शंकर ने किसानों के शेयर और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर सब की आंखों पर पट्टी बांध दी है, 16 वर्ष पहले किए गए अपहरण पर राजनैतिक इच्छा शक्ति भी कार्रवाई करने के बजाए मौन रही है। भारत सरकार के शेयर रुपये 14.86 करोड वापस करने का निर्णय पहली बार इफको के निदेशक मंडल की 302वीं बैठक में 27 फरवरी 2003 को लिया गया था। फिर समय-समय पर हुई बैठकों में इफको ने बाकी बची हुई सरकार की इक्विटी वापस करने का निर्णय लिया। यह खुलासा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, उर्वरक विभाग के पत्र संख्या 3/10/33सस /2013- प्रशासन-16 अप्रैल 2014 के अध्ययन में हुआ है। सरकार को वर्ष 1977-78 से 2003-04 तक प्रदान किया गया लाभांश का ब्योरा इस प्रकार है-
Dividend Paid To Government Of India
S. No. Year Amount (Rs.) Percentage
1 1977-78 10,800.000 6
2 1978-79 10,800.000 6
3 1979-80 10,800.000 6
4 1980-81 29,520.000 6
5 1981-82 29,520.000 6
6 1982-83 29,520.000 6
7 1983-84 29,520.000 6
8 1984-85 29,520.000 6
9 1985-86 29,520.000 6
10 1986-87 29,520.000 6
11 1987-89 102,555.000 4
12 1989-90 173,766.000 6
13 1990-91 173,766.000 6
14 1991-92 173,766.000 6
15 1992-93 173,766.000 6
16 1993-94 231,688.000 6
17 1994-95 231,688.000 8
18 1995-96 315,571.000 11
19 1996-97 376,493.000 13
20 1997-98 463,376.000 16
21 1998-99 521,298.000 18
22 1999-00 289,610.000 10
23 2000-01 347,532.000 12
24 2001-02 579,220.000 20
25 2002-03 549,487.200 20
26 2003-04 172,612.200 20
Total 5,118,234,400
करोडों का अनुदान सरकार ने नियमित रूप से दिया है। अगर इसकी सीएजी से ऑडिट कराई जाए तो फर्जीवाडा सामने आ सकता है। उदय शंकर और कृषि सचिव के करतूत का प्रकरण जब उर्वरक मंत्री के पास पहुंचा तो उन्होने सांठ-गांठ के तहत यह कहते हुए कि अब इफको बोर्ड उपनियम 6-7 में परिवर्तन कर चुका है और केंद्रीय रजिस्ट्रार उक्त संशोधन को मंजूर कर चुके हैं फिर इफको की सामान्य सभा भी अपनी अंतिम मंजूरी दे चुका है। ऐसे में बिलम्ब होने के कारण सरकार का पक्ष कमजोर हो गया। है अब शेयर वापसी रोक पाना पूरी तरह से असंभव है। यह टिप्पणी मंत्री ने आंतरिक नोटशीट पर 6 मार्च 2003 को की है। मंत्री के टिप्पणी के बाद इफको द्वारा समय पर वापस किए गए शेयर का ब्योरा-
s.no चेक न. और तारीख Amount of GOI equity returned by IFFCO (Rs in crore)
1. 76771 Dated 28.02.2003 14,8664
2. 77404 Dated 02.04.2003 20,4456
3. 846582 Dated 01.07.2003 80,5172
4. 144971 Dated 01.10.2003 40,7732
5. 146497 Dated 01.01.2004 46.7015
6. 941802 Dated 02.04.2004 33.3784
7. 943198 Dated 02.07.2004 52.9277
Total 289.6100
कुल धन राशि 289.6100 करोड वापस की गई है। उक्त धन राशि पर समय-समय पर इफको द्वारा सरकार को लाभांश भी दिया जा रहा था और संस्था भी फायदे में थी।
उर्वरक मंत्रालय के 60 पृष्ठ की आंतरिक नोटशीट के अध्ययन से कहीं भी यह तथ्य सामने नहीं आए हैं जो सिद्ध कर सके भारत सरकार ने अपने नियंत्रण वाली इफको से शेयर वापसी के लिए स्वयं निर्णय लिया हो या फिर कृषि मंत्रालय की कार्यशैली में हां में हां मिलाई हो। पत्र संख्या 18022/30/2017-एफसीए-14 दिसंबर 2017 के पत्र के जबाव में उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय ने उत्तर दिया है इफको बोर्ड द्वारा वापस किया गया भारत सरकार का शेयर अवैध, बलपूर्वक तरीके से बायलॉज संशोधन का गैर-कानूनी परिणाम है। उर्वरक मंत्रालय ने पूछे गए सवाल, क्या इफको संबिधान की धारा 12 के तहत सार्वजनिक कंपनी है? उक्त प्रश्न का उत्तर उर्वरक मंत्रालय ने इस तरह दिया है, इफको एमएससीएस एक्ट 2002 के तहत पंजीकृत है और यह पंजीकरण कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय ने किस आधार पर किया है, यह उसका निर्णय है। इफको में भारत सरकार का सन् 2002 तक कुल 289.61 करोड शेयर जिसे वापस करना कानूनन पूरी तरह से गलत है।
उर्वरक मंत्रालय आज भी अपने नियंत्रण में इफको-कृभको को मानता है और शेयर वापसी का निर्णय पूरी तरह से विवादित है, प्रशासनिक नियंत्रण भी कैबिनेट सचिवालय के निर्णय से बरकरार है फिर यह बात समझ से परे है है कि फाइलों में अब भी इफको भारत सरकार और किसानों की है। अब सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है जो लाखों करोड़ के घोटाले पर कार्रवाई करने के बजाए मौन है। उक्त नोटशीट के आगे अध्ययन से साफ हुआ है कि उर्वरक मंत्रालय के एक अधिकारी ने लिखा है इफको बोर्ड ने कानून की अवहेलना करते हुए एमएससीएस एक्ट में धारा 122,123 का संरक्षण लिया है जबकि उक्त धारा में भी सरकार का शेयर वापस करने का कोई नियम नहीं है।
इसी तरह संयुक्त सचिव बलविंदर ने चर्चा करते हुए 4.2.2003 को कमेंट किया है कि सरकार का शेयर कम कर किसानों का शेयर बढाकर लाभ दिया जा सकता है। लेखक ने रिसर्च को आगे बढाते हुए कृषि मंत्रालय के संयुक्त निदेशक सहकारिता से उक्त प्रकरण पर कई सवाल की जानकारी चाही लेकिन विभाग ने बार बार टालते हुए किसी तरह का सहयोग नहीं किया। पत्र सं. 11017 /121/2017- एल.एड.एम पंजीकरण दिनांक 28 नबंबर 2017 के द्वारा सहकारिता पंजीकरण सेल ने सात दिन का समय देते हुए फाइलों का निरीक्षण करने को कहा और पत्र का डिस्पैच समय निकलने के बाद किया। जब दुबारा पत्र लिखकर समय मांगा तो किसी तरह का जबाव ही नहीं दिया? सहकारिता माफिया और नेताओं ने जुगलबंदी कर इफको में किसानों का अंश नहीं बढाया बल्कि ऐसी निजी बहुउद्देशय सहकारी समिति को शेयर दे दिया जिनका किसानों की समृद्धि से किसी प्रकार का कोई सरोकार नहीं है।
उर्वरक मंत्री ने 7 अपैल 2003 को इफको बोर्ड का शेयर वापसी का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए अपनी संस्तुती दे दी इसके बाद विभाग ने चैक लेकर खाते में जमा करा दिया। नोटशीट में यह भी कहा गया है कि किसानों का अंश धन बढा दिया जायेगा।
बरेली के पत्रकार रविंद्र सिंह द्वारा लिखी किताब इफको किसकी का 17वां पार्ट..
जारी है..
अगला भाग.. इफको की कहानी (16) : सरकार और मंत्री से ज्यादा शक्तिशाली है सहकारिता माफिया बोर्ड?