–Amitaabh Srivastava–
टी आर पी घोटाले में रिपब्लिक नेटवर्क पर मुंबई पुलिस की कार्रवाई से बौखलाए अर्णव गोस्वामी ने इतना ज़्यादा हल्ला मचाया कल से लेकर आज तक कि इंडिया टुडे ग्रुप को स्पष्टीकरण देना पड़ा है।
वैसे सफाई में अंतिम पैराग्राफ में कही गयी बातों पर पहले ही सचमुच मन वचन और कर्म से अमल किया गया होता तो शायद ये नौबत ही नहीं आती।
बहरहाल , ग़ज़ब का ड्रामा चला टीवी पर। एकदम पीपली लाइव मार्का।
हाथरस में तो ज़बरदस्त मजमा लगाया रिपब्लिक वालों ने।
गांव की एक बूढी औरत को रिपब्लिक की रिपोर्टर से कहते सुना – हमें आर भारत से प्यार है। ऐसा लग रहा था हाथरस के लोग अपने गांव में एक लड़की की हत्या, पुलिस का जमावड़ा, बदनामी, सवर्ण-दलित सब सुर्खियां भूल कर रिपब्लिक पर न्योछावर होने के लिए सम्पूर्ण क्रांति पर उतर आये हैं।
लोग आधी रात तक पोस्टर थामे कैमरे के आगे बैठे रहे। नारे लग रहे थे- अर्णव तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं। जैसे अर्णव नहीं अन्ना हों, लोकपाल के लिए रामलीला मैदान में अनशन बैठे हुए।
विरोधी चैनलों के मालिकों को बेचैन करने के लिए बढ़िया देसी मसाला था।
हाथरस के गाँव वाले पॉलिटिक्स के अलावा नार्को टेस्ट से लेकर टीआरपी तक सब बढ़िया ढंग से समझते-बूझते हैं, यह देख कर अच्छा लगा। मैथिली शरण गुप्त लिख ही गए हैं – अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है, क्यों न इसे सबका मन चाहे।
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.
पूरे प्रकरण को समझने के लिए मूल खबर पढ़ें-
…तो इंडिया टुडे सबसे बड़ा ‘चोर’ है?
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