रविवार को इंदौर में एक प्रायवेट मेडिकल कॉलेज (मॉडर्न मेडिकल कॉलेज) के संचालक डा रमेश बदलानी और उसके गुंडों ने इंडिया टीवी के स्टेट हेड पुष्पेंद्र वैद्य, उनके कैमरामैन प्रदीप त्रिवेदी और ड्राइवर पर हमला कर उनका कैमरा, मोबाइल, लैपटाप और कार की चाबी छीन ली। उनके साथ मारपीट की और उन्हें बंधक बनाने की कोशिश भी की।
जैसे तैसे तीनों वहां से बचकर भागे और एक ग्रामीण के फोन से पुलिस को सूचना की। बाद में पुलिस ने मॉडर्न कॉलेज पहुंचकर वहां से इंडिया टीवी का कैमरा, मोबाइल, जब्त किए और डॉ बदलानी सहित तीन को हिरासत में लिया। ये पूरा मामला हैरान करने वाला है। पहली बात तो ये कि इंडिया टीवी के स्टेट हेड पुष्पेंद्र भाई के साथ मारपीट खुद मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ बदलानी ने शुरू की। पुष्पेंद्र भाई कॉलेज की बिल्डिंग के अंदर दाखिल भी नहीं हुए थे, उन्होंने बाहर से बिल्डिंग के कुछ शाट्स बनाए और ओपनिंग p2c की।कॉलेज बिल्डिंग के अंदर उन्होंने कोई शूट नहीं किया था।
गार्ड के रोकने पर वो बिल्डिंग के बाहर संचालक डॉ (एमसीआई को गुंडों की तरह हरकत करने वाले इस कथित डाक्टर की डिग्री वापस ले लेना चाहिए) बदलानी का इंतज़ार कर रहे थे और इसने आते ही हमला बोल दिया। चोर की दाढ़ी में तिनके की बात इसी से साबित होती है। यदि इनके मेडिकल कॉलेज में सब कुछ ठीक ठाक है और नियमों के अनुसार है तो इस गुंडागर्दी की क्या जरुरत थी?
इस मामले ने सिर्फ बदलानी ही नहीं एमपी पुलिस का दोहरा चेहरा भी उजागर किया, और इंडिया टीवी का भी। पुलिस ने डाक्टर बदलानी और उनके गुर्गों को हिरासत में ले लिया, उनके पास से इंडिया टीवी का कैमरा और पुष्पेंद्र भाई का मोबाइल भी बरामद कर लिया मगर बदलानी के विशाल आर्थिक साम्राज्य की चमक से इंदौर पुलिस इस तरह चमकी की वो इसे लूट मानने को तैयार नही है।
दूसरी तरफ इंडिया टीवी है। ये स्टोरी पुष्पेंद्र भाई अपने मन से करने नहीं गए थे। असाइनमेंट डेस्क ने उन्हें ये स्टोरी असाइन की थी पर चैनल का रवैया देखिए। उसने अपने स्टेट हेड की पिटाई और चैनल के सामान की लूट की खबर चलाना तो दूर एक स्क्रॉल तक नहीं दिखाया। पूरे मामले में तीन सवाल उभरकर आ रहे हैं। पहला जिस मेडिकल कॉलेज का डायरेक्टर गुंडागर्दी पर उतारू हो वो कॉलेज कैसा होगा ये समझने के लिए कोई पीएचडी की दरकार नहीं है।
दूसरा पुलिस का एक अधिकारी कॉलेज से इंडिया टीवी का कैमरा बरामद करता है मगर पुलिस इसे लूट मानने को तैयार नहीं है। यदि डॉ बदलानी और उनके गुंडे किसी पुलिस अधिकारी की पिस्टल छीनकर रख लेते और बाद में वो कॉलेज से जब्त होती तो क्या तब भी पुलिस का रवैया यही होता?
तीसरा यदि कोई नेशनल न्यूज़ चैनल उसकी डेस्क द्वारा असाइन स्टोरी पर गए अपने स्टेट हेड के साथ हुई मारपीट और लूट को लेकर ही संजीदा नहीं है तो फिर कोई रिपोर्टर अपनी जान जोखिम में डालकर खबर करने क्यों जाए?
इंदौर से भड़ास4मीडिया के संवाददाता की रिपोर्ट.
Pritesh
September 6, 2016 at 4:30 am
बिलकुल सही कहा आप ने जब नेशनल न्यूज़ चैनल के हेड के साथ मारपीट हो जाती है और ये एक स्क्रोल तक चलाना उचित नहीं समझते तो इस से ये अंदाज लगाया जा सकता है जो ग्राउंड लेवल पर जो वर्किंग करने वाला रिपोर्टर है उसके साथ क्या होगा…?