संजय कुमार सिंह-
इंडियन एक्सप्रेस अपने पुराने रूप में, जनसत्ता के लिए एक बार मैंने लिखा था, मरा हाथी भी सवा लाख का। इंडियन एक्सप्रेस तो अभी भी सीधा खड़ा है। यह जवाब है पहलवानों पर हुए सरकारी खर्चों का। अब भक्तों को बताना चाहिए कि मंत्री जी ने जो किया उसे छिपाने दबाने के लिए उन्हें क्या मिला?

इंडियन एक्सप्रेस को गुस्सा क्यों आया? पहलवानों के मामले में आज इंडियन एक्सप्रेस में खबर छपने के बाद ब्रजभूषण सिंह की अयोध्या में होने वाली “चेतना महा रैली” रद्द हो गई। जागरण डॉट कॉम में प्रकाशित एएनआई की खबर के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह और पहलवानों के बीच की जंग लगातार जारी है। यौन शोषण जैसे गंभीर आरोपों में घिरे (पर अभी तक सुरक्षा कवच में रह रहे) बृजभूषण शरण सिंह ने शुक्रवार को एलान किया है कि अयोध्या में होने वाली जन चेतना रैली स्थगित की जा रही है। बीजेपी सांसद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा कि पुलिस जांच के चलते इस रैली को फिलहाल के लिए स्थगित किया जा रहा है।
खबर के अनुसार, भाजपा सासंद ने घोषणा की कि 5 जून को होने वाली ‘जन चेतना महारैली, अयोध्या चलो’ को कुछ दिनों के लिए स्थगित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच चल रही है और सुप्रीम कोर्ट के गंभीर निर्देशों का सम्मान करते हुए ये निर्णय लिया है। इस महारैली में बृजभूषण ने साधु-संतों से शामिल होने की अपील की थी। इस खबर के शीर्षक का अंश है, …. प्रशासन से नहीं मिली इजाजत। कहने की जरूरत नहीं है कि इस खबर से भी भाजपा की सेवा करने की ही कोशिश की गई है और रैली की इजाजत नहीं मिलने या देने का ढोंग किया जा रहा है। दो जून 2023 को 11:44 पर प्रकाशित इस खबर में इंडियन एक्सप्रेस के आज के खुलासे का जिक्र नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस ने यह खबर इतने दिनों बाद आज क्यों छापी, इसका कोई कारण हो या नहीं अटकलें तो लगाई ही जा सकती हैं। मेरा मानना है कि इनमें से कोई एक और सब एक साथ भी किसी को ऐसी खबर लिखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सरकार चाहे तो गोदी मीडिया को नियंत्रित करने की रणनीति बनाने के लिए जांच आयोग बना सकती है और अन्य मुद्दों के अलावा इनकी भी जांच करवा सकती है।
- प्रधानमंत्री की कानफाड़ू चुप्पी
- पूरे संघ परिवार में शर्मनाक शांति
- रिटायर आईपीएन एनसी अस्थाना का आपराधिक ट्वीट
- मेडल गंगा में प्रवाहित करने की स्थिति पर
- हरिद्वार के एसएसपी की इसपर टिप्पणी
- मेडल पर सरकारी खर्चों का विवरण सार्वजनिक करने और
- डिग्री गोपनीय बताने से
- मेडल का श्रेय सरकारी पैसों को देने से
- इससे संबंधित पुरानी खबरों से
- अयोध्या में कथित रैली की तैयारियों से
- सवाल पूछने पर मीनाक्षी लेखी के दौड़ लगा देने से
इस बीच, सरकार समर्थकों और तमाम प्रजाति के भक्त बुद्धिमानों ने बिरादरी के कूपमंडूकों को यह यकीन दिला दिया है कि खिलाड़ियों को मिलने वाला पदक उनका नहीं होता है। वे रखें या फेंके सरकारी कृपा है। गनीमत सिर्फ यह रही कि किसी ने ये नहीं कहा कि इस सरकारी कृपा के बदले सरकार के प्रतिनिधियों या सरकारी पार्टी के कृपापात्रों नेताओं, मंत्रियों को यौन शोषण का अधिकार है। सुविधाओं के बदले बिस्तर पर बुलाना सामान्य है। और इसके लिए कार्रवाई या इसका विरोध करने की जरूरत का विरोध जायज है। कल को ये यह भी कह सकते हैं कि पदक नहीं मिला तो फीस के रूप में …..। इससे इतना तो हो ही गया होगा कि अब जो सरकारी सुविधाएं लेगा वह इसके लिए तैयार रहेगा और भविष्य में विरोध नहीं करेगा। पहलवानों के विरोध से और कुछ हुआ हो या नहीं भक्तों को ऐसी भक्ति दिखाने का मौका जरूर मिला।