सौमित्र रॉय-
देश का कामकाज सिर्फ एक व्यक्ति के व्यक्तिगत तुष्टिकरण, उसकी जिद पूरी करने और चेहरा चमकाने से चल रहा है। सब जानते हैं कि उस व्यक्ति का नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी है। जो इत्तेफाक से देश के प्रधानमंत्री हैं।
संदर्भ इस देश की 136 करोड़ अवाम को लगाए जाने वाले दो वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन का है।
आइए देखें कि सरकार द्वारा लोगों की जान की हिफाजत के लिए बिठाए गए एक्सपर्ट पैनल ने सिर्फ एक ही दिन में यू-टर्न लेते हुए किस तरह भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी।
एक्सपर्ट पैनल की बैठक में क्या हुआ, किसने क्या कहा- यह न तो सरकार ने बताया और न ही गोदी मीडिया के किसी दलाल पत्रकार की सरकार से पूछने की हिम्मत हुई।
30 दिसंबर 2020- एक्सपर्ट पैनल की बैठक हुई। बैठक के मिनिट्स के अनुसार, भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल और सुरक्षा के आंकड़ों (गंभीर दुष्प्रभावों) के बारे में बताया।
एक्सपर्ट पैनल ने जब कंपनी को टीके की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता के बारे में बताने को कहा तो कंपनी की बोलती बंद हो गई।
एक जनवरी 2021- एक्सपर्ट पैनल की बैठक में भारत बायोटेक ने पहले और दूसरे चैनल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में आंकड़ों के साथ जानकारी दी।
कमेटी ने कहा कि ट्रायल के लिए जरूरी वॉलंटियर अभी भी कम हैं। साथ में पैनल ने यह भी जोड़ा कि टीके की प्रभाव क्षमता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
कमेटी ने उसी बैठक में यह भी कहा कि कंपनी को अगर टीके की अनुमति चाहिए तो वह उसकी प्रभाव क्षमता के बारे में डेटा पेश करे।
2 जनवरी 2021- कंपनी ने 24 घंटे में डेटा का अपडेट पेश किया।(इसे अभी टीके की प्रभाव क्षमता के सवाल से न जोड़ें)
चमत्कारिक रूप से 24 घंटे के दौरान ही एक्सपर्ट पैनल की सारी शंकाएं दूर हो चुकी थीं।
पैनल ने कहा- ‘टीके के जानवरों पर किए गए परीक्षण सुरक्षित और प्रभावी रहे हैं। इसलिए अब इन्हें इंसानों पर प्रतिबंधित उपयोग के लिए सारी सावधानियां रखते हुए जारी किया जा सकता है।’
इसके बाद बैठक में पैनल के किसी सदस्य ने पहले की आपत्तियों पर कोई बात या बहस नहीं की।
ऐसा नहीं है कि एक्सपर्ट पैनल की बैठक के बारे में किसी को पता नहीं था। यह बात ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया तक को पता थी। तभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे पत्रकारों के सवालों से बचते रहे।
क्या आपको नहीं लगता कि रातों-रात एक्सपर्ट पैनल का यू-टर्न कैसे हुआ होगा ?
एक्सपर्ट पैनल को टीके की मंजूरी के लिए कहां से दबाव आया होगा ? किसने फोन करवाया होगा ?
आप यह भी जानते होंगे कि यह किसकी नाक का सवाल है ?
जी हां। बीते 7 साल में ढेरों मामलों में एक ही व्यक्ति की नाक का सवाल उठा है और पूरी सरकार और प्रोपोगेंडा मीडिया उस एक सवाल को दबाने, छिपाने की कोशिश में झूठा दुष्प्रचार करती रही है।
इसी एक व्यक्ति ने वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसे खोखले नारे दिए हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए प्रोपोगेंडा का सहारा लिया जाता है।
कोवैक्सीन या कोविशील्ड लगवाना या न लगवाना आपकी मर्जी है। लेकिन सच जानकर भी मौत को गले लगाना समझदारी तो कतई नहीं होगी।