इंदौर के अखबार मालिकों में मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई ने इतना खौफ पैदा कर दिया है कि उन्होंने अपने प्रेस परिसर से एचआर विभाग ही गायब कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अग्निबाण अखबार में पिछले 3-4 माह से एचआर विभाग बंद है। एचआर विभाग के कम्प्यूटरों को किसी दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया है। इस कारण एचआर विभाग में काम करने वालों को किसी अन्य स्थान पर अपनी नौकरी बजानी पड़ रही है। सूत्रों के मुताबिक इस सांध्य दैनिक में जिस रजिस्टर में हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं उसे छुपाकर रखा जाता है। यहां के कर्मी भविष्य निधि और एसआईसीई से कवर नहीं है।
नक्सलियों से रिश्ता रखने वाले गुटखा किंग के अखबार दबंग दुनिया से भी एचआर विभाग के सारे कम्प्यूटर हटा दिए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि दबंग दुनिया के मालिक किशोर वाधवानी और प्रदेश टुडे के मालिक हृदयेश दीक्षित की आपसी लड़ाई जो अखबार के पन्नों पर प्रकट होती रहती है, के बाद दबंग दुनिया अखबार प्रबंधन ने अपने यहां के पुराने सारे दस्तावेज आग के हवाले कर दिए हैं। वैसे कहा जा रहा है कि दोनों अखबार मालिकों ने ‘चोर-चोर मोसेरे भाई, फिर क्यों करें हम आपस में लड़ाई’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए आपस में समझौता कर लिया है। दबंग दुनिया के चेयरमैन के बारे में यह कहा जाता है कि वे पहले पंगा लेते हैं और जब सामने वाला भारी पड़ जाता है तो दुम दबाकर उसके सामने घुटने टेक देते हैं। ऐसा ही प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल के साथ लड़ाई में उन्होंने किया था।
सूत्र यह भी बताते हैं कि दबंग प्रबंधन ने इंदौर मुख्यालय में रखे भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर सहित अपने 13 स्थानों से निकलने वाले एडिशनों के सारे दस्तावेजों को आग के हवाले करने के साथ सारे कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क निकाल दी है। इंदौर में कर्मचारियों के लिए लगाई गई पंच मशीन तक को निकालकर फेंक दिया गया है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि एक दो-दिन में इनकम टैक्स का छापा अखबारों के दफ्तरों में पड़ सकता है और इसी दौरान श्रमायुक्त भी दबिश देकर एक पंथ दो काज करेंगे।
एक अन्य सांध्य दैनिक और मासिक पत्रिका हेलो से भी रजिस्टर गायब कर दिया गया है. यहां भी एक भी कर्मचारी न तो भविष्य निधि में कवर है और न ही ईएसआईसी में. सांध्य दैनिक 6 पीएम में भविष्यनिधि आयुक्त द्वारा छापा मारा गया था, लेकिन सूत्र बताते हैं कि मालिक ने उन्हें सेट कर लिया. सांध्य दैनिक प्रभात किरण में भी वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को भविष्यनिधि और ईएसआईसी में कवरेज नहीं किया गया है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.