अमित चतुर्वेदी-
मुझे नहीं लगता कि इस दुनिया में किसी ने ईश्वर को देखा होगा, ईश्वर की पहली तस्वीर तो आज से डेढ़ दो सौ साल पहले राजा रवि वर्मा ने ही बनाई थी, उससे पहले ईश्वर की तस्वीर का प्रचलन नहीं था।
लेकिन सनातन में ईश्वर की कल्पना जितनी ख़ूबसूरत है, मुझे नहीं लगता किसी और जगह इतने ख़ूबसूरत की कल्पना हुई होगी। सबसे अच्छी बात ये है कि हमारे ईश्वर की परिकल्पना के ईश्वर दिखते ही इतने ताक़तवर और सम्मोहक हैं कि आप उनके प्रति आकर्षित और मोहित हुए बिना रह ही नहीं सकते…
हालाँकि ईश्वर या सर्वशक्तिमान एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसके बारे में दुनिया में कोई भी व्यक्ति एक फ़ाइनल वर्डिक्ट नहीं दे सकता, 450 करोड़ साल की इस पृथ्वी में एक मनुष्य का जीवन 70-80 वर्ष का होता है, और इन 70-80 वर्षों में एक इतनी पुरानी पृथ्वी के रहस्यों के बारे में एक अनुमान ही लगा सकता है, तय रूप से कुछ नहीं कह सकता, इसीलिए आप ऐसे किसी भी व्यक्ति जो ये दावा करता है कि वो ईश्वर को जानता है या ईश्वरीय रहस्यों को जानता है या फिर कोई भी दावे से इस सब्जेक्ट पर कोई अंतिम विचार प्रस्तुत करता है तो ये जानिए कि वो या तो धूर्त है या फिर मूर्ख…
इस साढ़े चार अरब पुरानी पृथ्वी पर हम एक बहुत छोटी सी ज़िंदगी लेकर आए हैं, इस ज़िंदगी में अगर कोई विश्वास हमें शक्ति देता है, कोई रूप हमें मोहित करता है तो बिलकुल उससे शक्ति लीजिए, उस पर मोहिए होईए…और इस जीवन को एंजॉय करिए, अपना जीवन उसके रहस्यों को जानने में मत व्यतीत करिए क्यूँकि उसके रहस्य हमारे जानने के लिए बने ही नहीं हैं…