यूपी के पत्रकारों, साथी पत्रकार जगेंद्र सिंह की शहादत को भूल मत जाना, सपा को जरूर हराना

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आज यूपी में कई पत्रकार सपा की दलाली करने में व्यस्त हैं। ये लोग पत्रकार जगेंद्र सिंह की शहादत को भुलाकर उनका अपमान कर रहे हैं। लेकिन यूपी के ढेर सारे पत्रकार याद रखें हुए हैं वो बर्बरता जिसे सपा के लोगों ने पत्रकार जगेंद्र सिंह के साथ की थी। अगर सपाइयों की कमर न तोड़ी गई तो वो बर्बरता कल के दिन आपके साथ भी होगी। तब आपको पश्चाताप होगा कि हम उन लोगों की दलाली कर रहे थे जिन्होंने यूपी में कानून का नहीं, गुंडों एवं हत्यारों का राज चला रखा है। इसीलिए यूपी के पत्रकारों को शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या को याद रखकर इस चुनाव में पत्रकारिता करने की जरूरत है। सपा के गुंडाराज, बलात्कारराज, लूट, हत्या, भ्रष्टाचार, दबंगई, अपहरण को यूपी की जनता के सामने ना लाकर सपा की दलाली करने वाले पत्रकारों पर धिक्कार है।

क्या हुआ था शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह के साथ?

शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को इसलिए जिंदा जला दिया गया, क्योंकि उसने प्रदेश के मंत्री राममूर्ति वर्मा के कामकाज पर सवाल उठाए थे। कोई ढाई सौ किलोमीटर दूर श्रावस्ती जिले के टीवी पत्रकार संतोष कुमार विश्वकर्मा के खिलाफ वहां के डीएम श्रीमान जुबैर अली हाशमी इसलिए कार्रवाई चाहते हैं क्योंकि उसने प्रदेश के ताकतवर सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव से सवाल पूछने की हिमाकत की थी।

जी हां, ये यूपी है। यहां कानून का नहीं बल्कि बाहुबली मंत्रियों का राज चलता है। शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र की गलती क्या थी कि उसे जान से हाथ धोना पड़ा? जगेंद्र एक ई-अखबार चला रहे थे जो फेसबुक पर ‘शाहजहांपुर समाचार’ के नाम से आज भी मौजूद है। पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि वे अपने शहर से जुड़ी तकरीबन सभी छोटी-बड़ी खबरें इस पर देते थे। मुश्किल तब हो गई जब उन्होंने स्थानीय विधायक और सपा सरकार में मंत्री राममूर्ति वर्मा के खिलाफ खबरें लिखीं।

सबसे पहले 28 अप्रैल को जगेंद्र के साथ मारपीट हुई, जिसमें उनका पैर तोड़ दिया गया। बकौल जगेंद्र, वे सरकार के आला अफसरों से मिले और अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई। उनके मुताबिक उसके बाद उल्टे पुलिस ने खुद उन्हीं के खिलाफ लूट, अपहरण और हत्या की साजिश का मामला दर्ज कर दिया। 22 मई को शाम पांच बजे उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया, ‘राममूर्ति वर्मा मेरी हत्या करा सकते हैं। इस समय नेता, गुंडे और पुलिस सब मेरे पीछे पड़े हैं, सच लिखना भारी पड़ रहा है ज़िंदगी पर। विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिल रही है कि राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा मेरी हत्या का षड़यंत्र रच रहे हैं और जल्द ही कुछ गलत घटने वाला है।’

31 मई को जगेंद्र की कई खबरों में से दो पोस्ट राममूर्ति वर्मा के खिलाफ हैं। एक में वे सवाल उठाते हैं:- ‘राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के पास कहां से आई अरबों की संपत्ति?’ दूसरी खबर में वे लिखते हैं:- ‘बलात्कारियों को बचाने में जुटे सपा नेता।’

अगले ही दिन एक जून को पुलिस उनके घर जा धमकती है। वे अंदर से दरवाजा बंद कर लेते हैं। पुलिस वाले दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाते हैं। पेट्रोल में सराबोर जगेंद्र को जला दिया जाता है। पुलिस कह रही है कि आग खुद उन्होंने लगाई, जबकि जगेंद्र के परिवार के मुताबिक आग पुलिस ने लगाईI

जगेंद्र को लखनऊ में भर्ती कराया जाता है जहां आठ जून को वो मौत से हार मान लेते हैं। यहां महत्वपूर्ण ये है कि मौत से पहले मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में जगेंद्र ने सीधे-सीधे पुलिस को अपनी हत्या का ज़िम्मेदार ठहराया है। इसमें उन्होंने राममूर्ति वर्मा का नाम भी लिया है। राममूर्ति वर्मा के खिलाफ मामला तो दर्ज हुआ लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वे आज भी मंत्री हैं।

Dushyant sahu
dushyanttata321@gmail.com



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