Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

दैनिक जागरण प्रबंधन को पटना हाईकोर्ट से झटका, मजीठिया वेज बोर्ड मामलों की रोजाना होगी सुनवाई

20 जे पर भी वर्करों के पक्ष में सुनाया फैसला… पटना : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पटना हाईकोर्ट ने जागरण प्रबंधन को जोर का झटका दिया है। पटना हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट को निर्देश दिया है कि इस मामले की रोजाना सुनवाई करें। यही नहीं, जागरण प्रबंधन द्वारा वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 20 जे को हाईकोर्ट में संज्ञान में लाते हुए अपने बचाव का प्रयास किया गया जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया। दैनिक जागरण में कार्यरत पंकज कुमार और अन्य के मामले में यह आर्डर पटना हाईकोर्ट ने दिया है।

इस केस में हाईकोर्ट ने कहा है कि 17 (1)में लेबर विभाग के अधिकारियों को अधिकार नहीं है कि वह मजीठिया वेज बोर्ड का बकाया अपने आदेश के तहत दे सकें। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि लेबर विभाग को 17 (2) के अंतर्गत मामला अदालत को प्रेषित कर देना चाहिए यानी कि रिफरेंस बनाकर भेजना चाहिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पंकज कुमार का पक्ष पटना के वरिष्ठ अधिवक्ता जे एस अरोड़ा ने अदालत में पक्ष रखा। श्री अरोड़ा के जूनियर गौरव प्रताप और मनोज कुमार अधिवक्ता थे। वहीं, गया के वरिष्ठ अधिवक्ता मदन कुमार तिवारी पटना उच्च न्यायालय में श्री अरोड़ा के साथ हर तारीख पर मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अपडेट कर रहे थे। जहां जरूरत पड़ी मदन तिवारी ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट से संबंधित आदेश जेएस अरोड़ा के माध्यम से अदालत में पेश किया। दैनिक जागरण की ओर से वरीय अधिवक्ता आलोक कुमार सिन्हा पेश हुए।

20 जे को लेकर पटना जागरण द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा को जेएस अरोड़ा ने अदालत में रखा। कैसे एक व्यक्ति का सीरियल नंबर अलग-अलग पृष्ठों पर अलग क्रमांक पर दर्शाया गया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुल मिलाकर आदेश 20j को केंद्र में रखकर आया है। जस्टिस शिवाजी पांडेय ने अपने आदेश के पैरा नंबर 33 में दैनिक जागरण द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में आब्जर्वेशन को ग़लत तरीके से व्याख्या करने पर करारा झटका देते हुए साफ कर दिया है कि आब्जर्वेशन को फैसले से नहीं जोड़ा जा सकता है।

इस संबंध में न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय के आदेश में पैरा 38 में 20 j पर सर्वोच्च न्यायालय और स्वयं के आदेश की बहुत ही सटीक व्याख्या करते हुए 20 j को मीडियाकर्मियों पर बाध्यकारी नहीं होने को लेकर स्पष्ट आदेश दिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एडवोकेट उमेश शर्मा के मुताबिक पटना हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि 20 जे लेबर कोर्ट के सामने मान्य नहीं होगा क्योंकि वेज बोर्ड की रिपोर्ट कहती है कि 1 महीने के अंदर ही साइन होना चाहिए। 1986 के जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी कागज पर अगर प्रबंधक ने साइन कराए हैं तो वह मान्य नहीं होगा।

आदेश की कापी देखने-पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- patna highcourt order

Advertisement. Scroll to continue reading.

शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335

https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/650809902111020/
Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement