Shishir Soni : रिपब्लिक भारत। भारतवर्ष। तिरंगा। सूर्या समाचार। राष्ट्रीयता के नाम से ओतप्रोत नये चैनल अवतरित हो रहे हैं। राष्ट्रीयता के इस भावना से हालांकि चैनलों का कितना लेनादेना होगा, ये दर्शक तय करेंगे। अर्नब गोस्वामी का रिपब्लिक भारत पहले हफ्ते में टीआरपी के छठे पायदान पर काबिज भी हो गया। न्यूज नेशन और न्यूज24 जैसे पुराने चैनलों को पीछे छोड़ता हुआ अपनी जगह बनाने में कामयाब हुआ।
रिपब्लिक अंग्रेजी चैनल जब लांच हुआ तब अर्नब गोस्वामी का पहला खुलासा था। देखिये ये लालू यादव के शहाबुद्दीन क्या कह रहे हैं? ये कहता है कि तुम्हारे एसपी को खतम कर देंगे? जब कि शहाबुद्दीन की जो टेलीफोन वार्ता उस समय सुनायी गई थी, उसमें वे अपने क्षेत्र सीवान में दंगा रोकने में अक्षम रहे एसपी के लिये लालू यादव को कह रहे थे- आपका एसपी खत्तम है। यानि आपका एसपी कोई काम का नहीं। बिहारी भाषा की जानकारी मान लेते हैं कि उस समय अर्नब को नहीं होगी लेकिन उनके पटना के फनकार प्रकाश कुमार को बताना चाहिये था कि जिस तर्ज पर स्टोरी को स्पिन कर रहे हो दरअसल हकीकत वो है ही नहीं, लेकिन तब ये स्टोरी हाऊं-हाऊं चैनल पर खूब चली। कहीं कोई शिकायत नहीं हुई। आश्चर्यजनक रूप से तब से आजतक रिपब्लिक चैनल नंबर वन है। टाइम्स नाऊ चैनल से निकलकर निश्चित रूप से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जगत में अर्नब ने टीआरपी सफलता का वो पैमाना गढ़ा जिसकी चर्चा मीडिया इंडस्ट्री में लगातार हो रही है।
अर्नब ने रिपब्लिक भारत नाम से हिंदी चैनल लांच किया तो अपने जैसे चीखने चिल्लाने वाले कई नर-मादा कोलोन को स्थापित करने का नया प्रयास शुरू किया है। दुख की बात ये कि हिंदी चैनल भी बेहद खोखली स्टोरी की बुनियाद पर खड़ी की गई। 27 साल पहले बाबरी ढांचा गिराये जाने में कितने हिंदू मारे गये- ये स्टोरी का मर्म था। तब के किसी सिपाही से बातचीत का स्टिंग कर चीखना शुरू किया गया कि तब कहा गया था कि इतने मरे जब कि ये कह रहे हैं, कहीं ज्यादा इतने मरे। आंकड़ा उस सिपाही के मार्फत बताया गया 400 हिंदू मारे गये थे। वो ये भी कह रहा था कि कुछ को दफना दिया गया था। मगर, सच के इस कागज को सामने नहीं रखा गया कि तब विश्व हिंदू परिषद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 38 हिंदुओं के मारे जाने की पुष्टि की थी।
भारी दुख की बात ये कि नए नवेले चैनल में अवतरित नई नवेली कोई रिपोर्टर समूचे कुंभ में घूम घूमकर साधु, संतों को कुरेदने का काम करती रही। बाबाओं को वो भूतकाल में ले जाने का प्रयास करती। उनके रगों को अपने तीखे शब्दों से खुरचने का भरसक प्रयास करती। पूछती, आपको पता है तब हिंदुओं को दफनाया गया था? ये कैसी पत्रकारिता है? ये कौन से मानक गढे जा रहे हैं? मगर, पहले हफ्ते की टीआरपी आई तो रिपब्लिक भारत छठे पायदान पर पहुंच चुका था। उसके बाद भी दर्शकों को जहर परोसने वाले ऐसे मीडिया हाउस को खबरदार करना सरकार का दायित्व है।
भारतवर्ष टीवी9 समूह का राष्ट्रीय अवरतण होगा। इसमें अमर, अकबर और एन्थोनी की भूमिका में हैं। हेमंत शर्मा, अजीत अंजुम और विनोद कापड़ी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और उसके दर्शकों के मन मिजाज को भांपने वाले परदे के पीछे रहकर काम करने विनोद कापड़ी अपने हुनर के बल पर एक वक्त आज तक और इंडिया टीवी को नये मुकाम तक पहुंचाया था। किसी भी विजुअल से, दृश्य से स्क्रिप्ट तैयार करना और फिर विजुअल के हिसाब से उचित वीओ के माध्यम उसकी नायाब पैकेजिंग कर सुपरहिट की लंबी लकीर खींच देना विनोद कापड़ी के शगल में शुमार रहा है। कुछ दिनों तक सिल्वर स्क्रीन पर कुछ क्रिएटविटी के चक्कर मे कापड़ी खबरों की दुनिया से खुद को अलग कर लिया था। अब लौटे हैं तो देखते हैं क्या रंगत लेकर आए हैं!
वैसे ही एडीटोरियल में अजीत अंजुम का जवाब नहीं। लंबे अनुभव के दम पर अजीत अंजुम ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बिना किसी खैर ख्वाह के, बिल्कुल अपने दम पर अपनी अलग पहचान बनायी है। बैग फिल्म के बैनरतले तमाम तरह के प्रोडक्शन में प्रमुख निभायी। न्यूज24 के प्रमुख रहे। आजतक में प्रमुख पदो पर रहे। इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडीटर रहे। भारतवर्ष में अब नई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, पारी के साथ नमूदार होंगे।
टीम भारतवर्ष के प्रमुख नगीने हैं हेमंत शर्मा। मीडिया बिजनेस को फलने फूलने के लिये अगर टीम में हेमंत शर्मा शामिल हों तो तीन साल के राजस्व का कैलेंडर तैयार होगा, ये तय मानिये। यानि प्रोडक्ट भले ही नया हो, मगर विनोद कापड़ी, अजीत अंजुम और हेमंत शर्मा ने मिलकर अगर पुराने मीडिया घराने से कुछ नया प्रोडक्ट निकालने की ठानी है तो खबर, कमाई और प्रोडक्शन के नजरिये से सफलता की शत-प्रतिशत गारंटी तय है।
करण थापर, बरखा दत्त सरीखे नामचीन खबरनवीसों को साथ लेकर हार्वेस्ट पाओरोटी, यानि हार्वेस्ट ब्रेड वाली कंपनी ने अंग्रेजी चैनल हार्वेस्ट लांच किया। हार्वेस्ट नाम को लेकर पहले से धार्मिक हार्वेस्ट टीवी नाम से चैनल चलानेवाले केरल के बीबी जॉर्ज चाको ने चैनल के नाम को चुराने का आरोप लगाते हुए मुकदमा ठोक दिया। मैनेजमेंट ने मुकदमा से डरकर हार्वेस्ट का नाम बदलकर तिरंगा कर दिया। ये अंग्रेजी चैनल 26 जनवरी को लांच हुआ। मगर, लांच होते ही गुमनामी में खो सा गया।
सूर्या समाचार चैनल में पुण्य प्रसून वाजपेयी के जाने से कुछ हलचल हुई थी। लेकिन अकेला चलना क्या भांड फोड़ेगा? उनके पास क्या टीम है? वे क्या करेंगे, ये स्पष्ट नहीं। चैनल की चर्चा भी सिर्फ पुण्य के कारण हो रही है। बहरहाल, सभी साथी पत्रकारों से स्वस्थ पत्रकारिता की उम्मीदों के साथ हार्दिक शुभकामनायें।
वरिष्ठ पत्रकार शिशिर सोनी की एफबी वॉल से.