अनेहस शाश्वत-
लखनऊ : सन २००० के आस पास की बात है , हिंदुस्तान बनारस में था , राजनैतिक खबरों के सिलसिले में सारी ही पार्टियों के दफ्तर में जाना होता था , लेकिन जब बात आंकड़ों ,जातिवार समूहों या चुनाव क्षेत्रों जैसे जटिल सवालों की होती थी , तो सबसे विश्वसनीय सहारा भाजपा का आई टी सेल ही होता था ।
लिहाज या भलमंसी जो भी कहिए पानी और गुड के साथ ये आंकड़े भी भाजपा वाले पत्रकारों को उपलब्ध करा देते थे । कई बार तो ऐसे आंकड़े भी मिल जाते थे , जो शासन के पास भी नहीं होते थे । किंतु , परंतु , आरोप , प्रत्यारोप अपनी जगह लेकिन मेहनत कभी जाया नही जाती।
जाहिर सी बात है वो चार पांच दुबले पतले लड़के अपना काम ईमानदारी से कर रहे थे , जो कंप्यूटर पर सर झुकाए निरासक्त भाव से अपना काम करते रहते थे।
मानी बात है भाजपा के और दफ्तरों में भी ऐसे लड़के होंगे ही । मुझे नहीं मालूम वो सब लड़के अब कहां हैं ? और योगी मोदी राज में उनकी पूछ है या नहीं। लेकिन उन्होंने अपना काम किया ये साफ है।
साफ ये भी है कि भाजपा के अलावा किसी भी और पार्टी के पास फिलहाल ऐसे निरासक्त लोग नही हैं। भाजपा सही है या गलत ये और बात है लेकिन निचले स्तर पर प्रतिबद्ध लोगों से समृद्ध है , ये फिलहाल आज की सच्चाई है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक हैं!