दिलीप मंडल-
5 फैक्ट को एक साथ जोड़कर देखिए।
- ये तो सभी जानते हैं कि जिनको शूद्र कहकर अपमानित किया गया वे दरअसल शूद्र नहीं, क्षत्रिय थे। नंद से लेकर कुशवाहा, कुर्मवंशी और निषाद, अहीर, लोधी से लेकर गुर्जर, प्रतिहार, पाल, हैहय जैसे तमाम राजवंश थे।
- जिन क्षत्रियों ने ब्राह्मणों की श्रेष्ठता नहीं मानी, उनका जनेऊ संस्कार करने से ब्राह्मणों ने मना कर दिया, जिससे उनका स्थान नीचा हो गया। वही लोग अब ओबीसी हैं। कुछ और ग़ैर ओबीसी किसान जातियाँ भी ऐसे ही बनीं।
- ये जातियाँ आज भी खुद को शूद्र नहीं, क्षत्रिय मानतीं हैं। जो कि सही भी है।
- ब्राह्मणों के लीडर परशुराम ने क्षत्रियों का नरसंहार किया। या नरसंहार की कहानी बनाकर, विरोधी क्षत्रियों का मनोबल तोड़ा गया।
- एक परशुराम 21 पीढ़ियों तक नरसंहार तो कर नहीं सकता। तो क्या ये शुंगवंश की कहानी है?
क्या ये कड़ी जुड़ रही है?
हर शूद्र जाति खुद को क्षत्रिय मानती हैं। यह सच है। उन्होंने अपना इतिहास याद रखा है। वे राजा से शूद्र बनाए गए हैं। ये बात हमेशा अगली पीढ़ी को बताई जाती है।